राष्ट्रप्रथम: लोकतंत्र के नाम पर सनातन विरोधी जमघट

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पार्थसारथि थपलियाल
(संयोजक भारतीय संस्कृति सम्मान अभियान)

रविवार 31 मार्च को रामलीला मैदान दिल्ली में भारत की परिवारवादी पार्टियों की एक रैली आयोजित की गई। इसे “लोकतंत्र बचाओ रैली” नाम दिया गया। इस रैली में विपक्षी राजनीतिक दलों के इंडी गठबंधन ने आयोजित किया था।

जो नेता लोकतंत्र बचाने के लिए एकत्र थे वे सब परिवारवादी अथवा अलोकतांत्रिक जमावड़े थे। कांग्रेस में मल्लिकार्जुन खड़गे अध्यक्ष बनाए गए हैं, लेकिन समस्त शक्तियां सोनिया गांधी और उनके पुत्र/पुत्री के हाथों में है। समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव, मुलायम यादव के सुपुत्र हैं। जबसे सपा बनी तबसे यही परिवार प्राइवेट कंपनी की तरह पार्टी चलते है। बिहार में लालू यादव परिवार आरजेडी बनने से आज तक राष्ट्रीय जनता दल चला रहे हैं। इस परिवार का नेतृत्व तेजस्वी यादव कर रहे थे। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पंवार बताएं के पिछले 26 सालों में उनके अलावा कौन एनसीपी चलाता रहा। हिंदू हृदय सम्राट बाला साहेब ठाकरे के धर्मनिरपेक्षता की माला पकड़े सुपुत्र, उद्धव ठाकरे और पौत्र आदित्य ठाकरे भी रीत का रायता बांटने दिल्ली आए थे। कश्मीर का नेशनल कांफ्रेंस का परिवार और उसके मुखिया फारूख अब्दुल्ला भी लोकतंत्र की दुहाई दे रहे थे। कश्मीर की ही अन्य पारिवारिक पार्टी पीडीपी की मुखिया महबूबा मुफ्ती भी लोकतंत्र की बात उसी तरह कर रही थी जिस तरह शिकारी पक्षियों को जाल में फंसने के लिए दाना डालता है। भ्रष्टाचार के मामले में जेल में बन्द झारखंड (परिवारवादी), पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन अपने सत्यवर्ती पति के निरपराध चरित्र को व्यथित मन से बता रही थी तो सनातन विरोधी रामास्वामी पेरियार की विरासत को बढ़ानेवाले व सनातन संस्कृति को मिटाने का संकल्प लिए,परिवारवादी पार्टी डीएमके के नेता तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन थे। इनमें शराब घोटाले की कार्यवाही झेल रहे, ई डी की हिरासत में गिरफ्तार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल अपने पति की तरफ से मंच पर तनाशाई के ताने मार रही थी। व्यक्ति केन्द्रित तृण मूल कांग्रेस की नेता के प्रतिनिधि डेरिक ओ ब्रायन आदि नेता जब लोकतंत्र बचाओ की बात मंच से कह रहे थे, वे दर्शकों को बेवकूफ समझ रहे थे। जब तक राजनीतिक दलों में आंतरिक लोकतंत्र नही तब तक ये राजनीतिक दल सत्ता पर काबिज होने के गिरोह मात्र हैं। ऐसा सोचने के लिए नैतिकता की आवश्यकता होती है। वक्ताओं में पिछले 20 वर्षों से प्रधानमंत्री पद की जिज्ञासा पाले नेहरू गांधी परिवार के नेता राहुल गांधी वर्तमान भारत सरकार पीके तानाशाही पक्ष को उजागर कर रहे थे उनका भाषण में धारदार होने की बजाय शिकायती अधिक लग रहा था।

अधिकतर नेता दीपावली में फटे पटाखों की तरह आवाज कर रहे थे, जो केवल फुस्स हो रहे थे। अधिकतर वक्ता कोई प्रभाव नहीं छोड़ पाए। अदृश्य डर उनका पीछा कर रहा था। ईडी, सीबीआई और इनकम टैक्स की छाया भूत की तरह वक्ताओं के दिमागों में पसरी हुई लग रही थी। सनातन को गालियां देने वाले कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खड़गे के पिता परिवारवादी नेहरू गांधी परिवार द्वारा संचालित कांग्रेस अध्यक्ष ने बड़ा हैरानी में डालने वाला भाषण दिया वे कह रहे थे देश की एकता रखने के लिए श्रीमती इंदिरा गांधी ने अपनी जान दी। राहुल गांधी जी ने अपनी जान दी। शरीर के टुकड़े टुकड़े हो गए… इसी तरह की चूक वाला भाषण वे पहले भी दे चुके हैं। अब बताइए अपने प्रधानमंत्री प्रत्याशी राहुल गांधी के बारे में क्या बोल गए खड़गे। इस महारैली में जो लोग शामिल थे वे भय के कारण एकत्र हुए थे। अधिकतर विपक्षी नेता भाई भतीजावाद और भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण एकजुट हैं। कोई धर्मनिरपेक्षता के छलावे को जिंदा रखने की कोशिश में है कोई अल्पसंख्यक की माला जपने का ढोंग कर रहा है। सनातन संस्कृति को जड़ से उखाड़ने वाले राजनीति का दुसाला ओढ़े, कोई लेफ्ट लिबरल, कोई टुकड़ा टुकड़ा गैंग, अलग अलग पोशाकों में कभी बैठते थे कभी हाथ ऊंचा करते थे। सुनीता केजरीवाल और सौरभ भारद्वाज ने रैली को अरविंद केजरीवाल से जोड़ने की कोशिश की तो इंडी गठबंधन ने अपने ट्रैक पर लाने की कोशिश की। सोनिया गांधी और राहुल गांधी का परिचय क्या बताया जाय यह भी तय नही था।

हैरानी की बात यह थी कि हिंदू हृदय सम्राट बाला साहेब ठाकरे के राजनीत में आए पुत्र उद्धव ठाकरे इसी मंच पर थे। वक्ताओं में वे लोग भी शामिल थे जो सनातन को पानी पी पी कर कोसते हैं उस विरासत के कुछ लोगों ने पिछले दिनों क्या क्या कहा उसे भी पढ़ लें। डी एम के नेता उदयनिधि ने सनातन धर्म को समूल उखाड़ने के लिए सेमिनार में मुख्य वक्ता के रूप में सनातन की तुलना डेंगू और मलेरिया मच्छर से की थी। DMK पार्टी के ए. राजा का बयान- “हम भगवान राम और भारत माता की जय को कभी स्वीकार नहीं करेंगे”। मुझे रामायण और भगवान राम पर भरोसा नहीं है।” राहुल गांधी ने भी कुछ समय पूर्व एक वक्तव्य विदेशों में दिया था। कर्नाटक के DK सुरेश, कॉंग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के पुत्र प्रियंक खड़गे, बिहार के पूर्व शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर, सपा का पूर्व महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य भी सनातन धर्म के विरोध में बयान दिए हैं।
इस आयोजन को जमघट इसलिए कहा कि बिना नेतृत्व का यह आयोजन उन लोगों का जमावड़ा था जो सनातन के विरोध में बोलते रहते हैं। परिणाम क्या निकला के पाना कठिन है। लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए सनातन विरोधियों का जमघट जैसे तैसे जुट गया।

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