हमारे बारे में

समग्र भारत.!!!एक नाम है विचार का ,समाचार का ,आन्दोलन का ,समग्रता का ,समग्रता में अनेकता का,वैश्विक भारत का और हमारी राष्ट्र भाषा राज भाषा हिंदी को विश्व पटल पर स्थापित करने का.सबको पता है कि हिंदी की आजीवन वकालत हमारे भारत के उपराष्ट्रपति श्री भैरों सिंह शेखावत ने की थी.उनके ही परिकल्पना के अनुसार और उनके आशीर्वाद से हमारी टीम ने समग्र भारत का प्रकाशन वर्ष २००३ में शुरू किया गया था.जो आज भी कई प्रकार के संघर्षों के वावजूद अनवरत जारी है.

श्री शेखावत जी भारत के एक ऐसे राजनेता रहे ,जिन्होंने आम जन के हित में देश में अन्त्योदय को महिमा मंडित कर उसे पूर्ण रूपेण परिभाषित और चरितार्थ किया था. श्री शेखावत जी ने कहा था -अन्त्योदय नए भारत में एक उत्प्रेरक  का कार्य करेगा.उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में अन्त्योदय को समाज के लिये पूरक बनाने का अनुपम कार्य किया था. श्री शेखावत जी सदैव हिंदी के हिमायती रहे.

 हिंदी,अन्त्योदय के साथ हिंदी को विश्व भाषा के तौर पर स्थापित करने का  लक्ष्य है समग्र भारत का .नए भारत के परिपेक्ष्य में हिंदी को विश्व के माथे की बिंदी की तरह सम्मान दिलाना है.अन्त्योदय के लक्ष्य में एक सहायक की भूमिका का निर्वहन भी करना है .इस राह में जो भी बाधा आये ,उसे दूर भी करना है.भारत में ये स्वाभाविक है कि विकास कार्य में कई प्रकार के जाने-अनजाने,पूर्वनियोजित,सुनियोजित बाधाएं आती  है,लेकिन समग्र भारत और इसकी टीम के साथ इसके शुभचिंतक तैयार है,उन बाधाओं को जडमूल से हटाने के लिए .राष्ट्र विकास यज्ञ के तहत नए भारत के निर्माण में अपनी-अपनी आहुति के लिए.

इसलिए देश के साथ समग्र भारत विश्व के कई देशों में भी भारत का जयगान करेगा.भारत की विकास गाथाओं की श्रृंखला तैयार करेगा.तेजी से बदल रहे भारत के साथ चलेगा और विश्व विजयी भारत को नमन भी करेगा .इसलिए समग्र भारत राष्ट्र का ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना कार्य करने को तैयार है .

इसलिए नए भारत के नव निर्माण भावना के तहत हमने  समग्र भारत” को विश्व के सभी महादेशों से प्रकाशन किये जाने की वृहद् योजना तैयार की हैं.ये हमारी सोच है ,सपना है ,प्रण है,प्रतिज्ञा है,आपसे वादा है और अपने प्यारे देश से भी.आने वाले दिनों में भारत एक बार सोने की चिड़िया वाला देश के साथ  विश्व गुरु भी कहलायेगा;जिसकी भूमिका लिखी जा चुकी है ,हम ,आप और हम सब इसके साक्षी होंगे और खुशियों से लबालब होंगे! आत्म विश्वास से आत्मविभोर होंगे!

विश्व के आबादी के आधार पर विश्व में ३३ प्रतिशत लोग हिंदी भाषा के जानकार है और इसका सफल प्रयोग भी करते हैं .आए,आप भी जुड़े ,विश्व विजय अभियान में .समग्र भारत के साथ ,अपने साथ ,अपनी भाषा के साथ,अपनी माटी के साथ,अपने वतन के साथ,अपने उत्थान गाथा के साथ…..