कानून की मदद से नारायण दत्त तिवारी के बेटे साबित हुए रोहित शेखर हार गए जीवन से

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!

नयी दिल्ली । उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड़ के मुख्यमंत्री पूर्व केंद्रीय मंत्री और आंध्र प्रदेश के राज्यपाल  रहे दिवंगत नारायण दत्त तिवारी के कानून की मदद से बेटे बने रोहित शेखर तिवारी का का आज दिल्ली में निधन हो गया है। दक्षिण दिल्ली के डीसीपी विजय कुमार ने बताया है कि शेखर को उनकी मां और पत्नी द्वारा साकेत के मैक्स अस्पताल में लेकर पहुंची थीं। जहां पर डॉक्टरों ने उनके निधन की पुष्टि की।  रोहित 40 साल के थे। बताया गया है कि उन्‍हें हार्ट अटैक आया था, जिसके बाद उन्‍हें उनकी पत्नी और मां द्वारा मैक्स अस्पताल लेकर आई थीं। किन वजहों से उनकी मौत हुई है, इसकी सही-सही जानकारी  नहीं मिल सकी है।
जानकारों के मुताबिक, मंगलवार शाम करीब चार बजे दिल्ली के डिफेंस कॉलोनी स्थित घर में पर उनकी तबीयत बिगड़ी। उनके हाथ-पांव ठंडे हो गए और नाक से खून निकलने लगा। रोहित की पत्नी और मां अस्पताल लेकर आईं लेकिन उनको बचाया नहीं जा सका। पुलिस सभी तथ्यों और सूचनाएं मैच करके शव को परिवार के हवाले करने की प्रक्रिया में लगी है।
उल्लेखनीय है कि रोहित शेखर 2017 में भाजपा में शामिल हुए थे। उस समय इनके पिता नारायण दत्त तिवारी भी जीवित थे। इसके बावजूद हालांकि वो राजनीतिक तौर पर सक्रिय नहीं थे। रोहित एनडी तिवारी और उज्जवला शर्मा के बेटे थे। एनडी तिवारी का 93 साल की उम्र में अक्‍टूबर 2018 में निधन हो गया था। तिवारी जो उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद पर रहने के अलावा आंध्र प्रदेश के राज्यपाल भी रहे थे। रोहित ने 2008 में दावा किया था कि वो एनडी तिवारी के बेटे हैं, जिसके बाद ये मामला अदालत तक गया और आखिर में उनकी बात सही साबित हुई। डीएनए मैच के बाद अदालत ने उनको वैधानिक तौर पर एनडी तिवारी का बेटे की मान्यता प्रदान की। लंबी लडाई और सामाजिक उपहास के बावजूद रोहित ने अपनी मां और अपने लावारिस होने के कलंक के खिलाफ दस साल के बाद जीत हासिल की थी। नारायण दत्त तिवारी ने न केवल रोहित को अपनाया बल्कि उज्ज्वला शर्मा से 88 साल की उम्र में विवाह किया।  एनडी का पिछले साल अक्टूबर 2019 में मौत हो गयी। और इस तरह संघर्षजीवी रोहित का दुखद: अंत हो गया। 

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
Leave A Reply

Your email address will not be published.