कंगाली की ओर जेट के बढ़ते कदम, ढेरों रूट की उड़ानें लगातार हो रही है निरस्त

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अनामी शरण बबल

नयी दिल्ली/ मुंबई। कभी आकाश के नरेश के रुप में विख्यात जेट एयरवेज के दबंग मालिक नरेश गोयल आज कंगाली और दिवालिएपन के कगार पर खड़ी है। निरंतर घाटे से दिवालिया होने के कगार पर पहुंची जेट एयरवेज ने अप्रैल के अंत तक 13 और अंतरराष्ट्रीय रूटों पर विमान सेवा बंद  कर दी है। मुंबई के एयरलाइंस सूत्रों के अनुसार इसके अलावा सात अन्य विदेशी रूट पर उड़ानों की संख्या कम कर दी है। इनमें से ज्यादातर उड़ानें दिल्ली और मुंबई के बीच की हैं। जेट एयरवेज ने मुंबई से मैनचेस्टर रूट की सेवा तो पहले ही बंद कर दी है।
जेट एयरवेज की प्रति महीने सीटों की संख्या के अनुमानित आंकड़े से पता चलता है कि फरवरी महीने में घरेलू उड़ानों की कुल सीटें 13 लाख घट गयी है। इस समय मासिक उड़ान में एक करोड़ 34  लाख रह गईं हैं। जबकि ये संख्या जनवरी महीने में 1 करोड़ 47 लाख थी। इसका मुख्य कारण जेट एयरवेज के कई विमानों का उड़ान नहीं भरना है। 
इस एयरलाइन पर देनदारी 25 हजार करोड़ रुपये पहुंच गई है। बैंक एक हजार करोड़ रुपये की मदद का प्रस्ताव रखने को तैयार कर रहे हैं। टाटा समेत आधा दर्जन राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने जेट में दिलचस्पी ली थी। उस समय जेट कएब मालिक नरेश गोयल जेट पर से अपनी पकड़ कमजोर नहीं होने देना चाहती थी। श्री गोयल द्वारा पार्टनरशिप में एक सीमा के बाद समझौता नहीं करने से कहीं बात नहीं बनी। 
सूत्रों का कहना है कि जेट एयरवेज को बिजनेस में बने रहने के लिए कम से कम 10 हजार करोड़ रुपये की जरूरत है। बीते कुछ समय में कंपनी का मार्केट शेयर भी गिरा है। यह दूसरे नंबर से फिसलकर और नीचे पर आ गया है। माना जा रहा है कि एक हजार करोड़ रुपये से तो केवल पायलटों की सैलरी और कैंसल टिकट की राशि का ही भुगतान किया जा सकेगा। उल्लेखनीय है कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया जेट को जीवित करने में सामने आईं हैं। बताया जा रहा है कि बैंक प्रबंधकों की इस कार्रवाई से बैंक यूनियन खासे नाराज हैं। यूनियन का आरोप है कि बैंक प्रबंधकों का काम बैंक चलाना है। हवाई जहाज उड़ाना बैंक का काम नहीं है तो जनता के हजारों करोड़ रुपये जेट एयरवेज जैसे नुकसानदेह में क्यों लगाया जाए।  यूनियन ने जेट के कर्ज देने के किसी योजना के खिलाफ अनिश्चितकालीन हड़ताल करने की चेतावनी दी है। बहरहाल, जेट एयरवेज के पंख थक गए लगते हैं। एकाएक उडान रद्द करने की घोषणा के चलते भी अधिकतर यात्री धीरे धीरे जेट से दूर होते जा रहे हैं। जिन उड़ानों को रद्द कर दिया गया है, उसका भुगतान भी तत्काल ना करके बाद में करने का भरोसा दिया जा रहा है। यानी आसमान के नरेश की बादशाहत खतरे में है। देखना है कि तमाम कमियों के बावजूद जेट के पंखों को दमदार बनाने की कोई पहल की जाती है अथवा कभी सहारा एयरवेज को अधिग्रहण करने वाले जेट किसी सहारे के बगैर बेसहारा होकर दम तोड़ने के लिए विवश होकर  रह बेदम हो जाएगा। ।।।

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