लोकसभा चुनाव से पहले बिहार में एनडीए का टूटना तय /अनामी शरण बबल

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 पांच माह सत्ता की मलाई खकर बाहर होंगे पासवान – कुशवाहा

पांच राज्यों में हो रहे लोकसभा चुनाव के बीच लोकसभा चुनाव की बात करना  बेमौसम बरसात की तरह लग सकता है, मगर बिहार में लोकसभा चुनाव से पहले एनडीए की टूटने का स्क्रिप्ट लिखा जा चुका है। लोजपा और रालोसपा का एनडीए से बागी होकर निकलना पक्का है।  बस अभी बागी होकर खाली हाथ निकलने की बजाय अभी पांच माह सत्ता में साथ-साथ रहकर मलाई चाटने की रणनीति है। इसी योजना के तहत केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान और उपेन्द्र कुशवाहा एकमत हैं उधर लालू प्रसाद यादव के पुत्र तेजस्वी यादव दोनों नेताओं के संपर्क में हैं। भाजपा भी इन नेताओं की गतिविधियों पर नजर रख रही हैं। = == उल्लेखनीय है कि सत्ता के साथ रहने के लिए मशहूर रामविलास पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा अपनी उपेक्षा से परेशान हैं। लोकसभा चुनाव में टिकट के वितरण को लेकर पिछले तीन माह से विवाद था। जिसे पिछले माह ही भाजपा और जेडीयू के बीच 17-17 सीटों पर सहमति बनी। बाकी छह सीटों में चार लोजपा और दो सीटें रालोसपा को देना तय हुआ। राज्य में इस समय लिए जेडीयू के दो भाजपा के 22 लोजपा के छह ओर रालोसपा के चार सांसद थे। जिसमें एक सांसद के खोने के बाद अभी तीन सांसद हैं। अपने मौजूदा सांसदों से भी कम सीट दिए जाने से पासवान – कुशवाहा नाराज हैं मगर बागी होकर अभी मोदी सरकार से बाहर होने का कोई मतलब नहीं है। इसी संभावना को देखकर दोनों पार्टियों के सुप्रीमो को अभी अगले पांच माह तक सरकार के साथ रहना ही लाभदायक दिख रहा है। इसबीच संगठन को मजबूत करने ओर अपनी राष्ट्रीय इमेज को बेहतर करना ही हितकर लग रहा है। लोजपा के रामविलास पासवान की बजाय पटना से बिहार सरकार के मंत्री पशुपति पासवान का गरम तेवर ही लोजपा के विरोधी स्वर बने हुए हैं।           == एक तरफ एनडीए के भीतर आग सुलगती रही, तो दूसरी ओर चुनाव दूर होने के कारण उपर से सब सामान्य दिखाया जा रहा था। इधर अयोध्या मामले में तनाव राफेल सौदों में घोटाले की तेज होती आवाज और सीबीआई में सरकार की हुई किरकिरी के बाद एनडीए की छवि पर जनता संदेह करने लगी हैं।                   = === ==  =उधर पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव के जेल भेजे जाने के बाद राजद का  कमान थामें तेजस्वी यादव सभी असंतुष्ट नेताओं के संपर्क में हैं। अपने पार्टी के जनाधार से अधिक नीतीश कुमार और एनडीए सरकार के असंतुष्टों को दाना डालने की कोशिश कर रहे हैं। जिससे राजद के भीतर भी काफी असंतोष है। उधर सीटों को लेकर असंतुष्ट चल रहे कुशवाहा-पासवान भी मार्च के बाद कभी भी  बागी बन सकते हैं। हिंदुत्व उभार के बाद क्या माहौल रहता है इसपर निर्भर करता है कि जेडीयू भी साथ साथ कब तक साथ साथ  रहेगी। कुशवाहा-पासवान के हमलावर तेवर को लेकर आने वाले दिनों में बिहार के भीतर भावी महाभारत की पूरी पटकथा फाईनल दौर में है। और आगे-आगे यही देखना दिलचस्प होगा कि क्या क्या होगा अभी बिहार में सामने सबके आगे आगे।

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