चीनी की कड़वी मिठास से आरंभ होगा नया साल /
गन्ने की कीमतें में बढोत्तरी की मांग को लेकर आंदोलित किसानों के तेवर को देखते हुए शुगर मिल मालिकों ने आत्मसमर्पण कर दिया है। मिलों के मालिकों ने गन्ने की पेराई चालू नहीं की है। सरकार द्वारा गन्ने के फेयर एंड रेमुनेरेटिव प्राइस FRP से प्रति क्विंटल दो सौ रूपये की ज्यादा मांग को लेकर किसानों का आंदोलन जारी है। सरकार की तरफ से इस बारे में कोई पहल नहीं की जा रही है। जिससे शुगर मिलों के मालिकों ने भी रेट पर सहमति होने के बाद ही गन्ने की पेराई करके चीनी उत्पादन करने का मन बनाया है। शुगर मिल मालिकों के रवैये को देखते हुए ज्यादातर किसान भी दीपावली और छठ पूजा के लिए घर चले गए हैं। जिससे चुनी और गुड़ की सोंधेपन से गुलजार इलाकों में चीनी कारोबार ठप्प है। कीमतों को लेकर जारी तनातनी से नये साल में चीनी की मिठास मंहगाई का कड़वाहट की आशंका है। == शुगर के प्रोडक्शन में होने वाली देरी से मील मालिकों का प्रोडक्शन खर्चे में भी अधिक बोझ सहना होगा। अमूमन अक्टूबर के पहले हफ्ते से ही शुगर उत्पादन चालू हो जाता है। पूजा-पाठ के इस मौसम में नयी चीनी का उपयोग किया जाता है जिससे मालिकों को भंडारण का खर्चे नहीं उठाना पडता है। बाजार में नयी चीनी की आवक नहीं होने से भी त्यौहारों के समय चीनी की कीमतों में भारी उछाल है। ===मोटे तौर पर छठ पूजा के बाद ज्यादातर मजदूरों की वापसी होगी। जिससे 15 नवम्बर के बाद चीनी की आवक आरंभ होगी। इसमें लगभग एक माह की देरी दर्ज की जाएगी। दक्षिण महाराष्ट्र के कोल्हापुर इलाके के शुगर मालिकों ने गन्ने की कीमतों को लेकर स्थिति साफ होने के बाद ही गन्ने की पेराई चालू करने का फैसला किया है। सरकार की लेटलतीफी के कारण किसानों ने पेराई नहीं होने देने का ऐलान किया है तो मिल मालिकों की एकता से चीनी उत्पादन पर असर पड़ा है।==
==महाराष्ट्र के स्टेट शुगर कमिश्नरेट विभाग के अधिकारियों के अनुसार गन्ने की पेराई के लाइसेंस के लिए 200 शुगर मिलों ने आवेदन किया था जिसमें 61 मिलों को लाइसेंस मिल चुके हैं, और 36 मिलों में शुगर प्रोडक्शन शुरू हो गए हैं। अधिकारियों ने बताया कि पिछले साल FRP का भुगतान किसानों को नही किए जाने के कारण करीब 40 शुगर मिलों को पेराई के लाईसेंस को रोक दिया गया है। उधर शुगर मिल मालिकों ने भी सारे विवादों के निपटारे के बाद ही नये सिरे से पेराई और प्रोडक्शन चालू करने का फैसला किया है इनका कहना है कि सरकार की निर्धारित रेट पर हमेशा भुगतान किए जाने के बाद भी समाज में हम शुगर मिलों के मालिकों की इमेज शोषक की है। लगता है कि हमलोग इनको भुगतान ही नहीं करते और ये शोषण के शिकार हो रहे हैं। पर हकीकत यह नहीं है। यह पूछे जाने पर बताया कि अक्सर सरकार समय पर रेट तय करने की बजाय प्रोडक्शन की डिलीवरी करते समय अचानक कर देती है जिससे हमलोग का पूरा बजट और कीमत लागत का अंतर निकालना भारी पडता है। इन विवादों से बचने के लिए ही गन्ने की पेराई रोक रखी है। जिसको लेकर कोई विवाद ना हो। मगर इस मामले में सरकार द्वारा समय से कोई रेट निर्धारण नहीं करना भी एक दिक्कत बनी हुई है। उधर खाद्य विभाग को सभी लाईसेंस जारी करने और गन्ने की पेराई शुरू होने की संभावना है। ====किसान स्वाभिमानी शेतकारी संगठन नै पेराई चालू नहीं करने की चाल के लिए शुगर मिल मालिकों पर जानबूझकर परेशान करने का आरोप लगाया है। इनका कहना है कि पिछले साल बेहतर चीनी उत्पादन के चलते स्टॉक में चीनी है। इस साल अक्टूबर तक प्रोडक्शन शुरू करने से इनको गोदाम में भंडारण की समस्या हो सकती थी, लिहाजा सरकारी रेट निर्धारण के बहाने पेराई को रोक दिया ताकि स्टॉक खत्म होते ही उत्पादन चालू कर दे। किसानो ने कहा कि वे सरकारी दया के पात्र भी बनते जा रहे हैं और हम किसानों के लिए सूखाग्रस्त इलाके में गन्ने की लहलहाती फसलों को सूखने से बचाना भी भारी है। मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस पर भी किसानों ने मिल मालिकों के हित में काम करने का आरोप लगाया है। === उल्लेखनीय है कि दीपावली और छठ पूजा के बाद शुगर प्रोडक्शन चालू होने और FRP रेट में मामूली बढ़ोतरी भी होती है तो इसका बाजार पर बुरा असर पड़ेगा। अमूमन बाजार में 36 रूपये से लेकर 42 रूपये में एक किलो मिलने वाली चीनी 40 से लेकर 48-50 रूपये तक मिलेगी। महाराष्ट्र में FRP रेट बढ़ाने का तत्काल असर पश्चिम यूपी के सैकड़ों शुगर मिल मालिकों पर भी पडेगा। देशव्यापी FRP रेट निर्धारण की मांग उठेगी। यानी नये साल में चीनी आम नागरिकों तक नये तेवर नयी कीमतों के गरम नेचर के साथ मिलकर आएगी। देखना यही है कि मिठास कितनी बची रहेगी जो हर घर के बजट को कुतरने को तैयार है।
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