जियो के खिलाफ अब आक्रामक तेवर में एयरटेल वोडा-आईडिया
जियो मोबाइल के खौफ से बाहर निकलने की रणनीति पर एयरटेल और वोडा-आईडिया ने साझा तौर पर काम आरंभ कर दिया है इस नीति के तहत इनलोगों ने अपने कस्टमर को किसी तरह बचाओ नीति को खत्म कर दिया। इस मुहिम के तहत अब मोबाइल कंपनियों ने अपने कंजूस ग्राहकों से पल्ला छुड़ाने काऊ फैसला किया है। जियो के आगमन के बाद करोड़ों ग्राहक पिछले दो सालों से कंपनी का नंबर रखकर यूजर्स तो बने हुए हैं। मगर हर माह रिचार्ज कराने वालो की आऊटगोइंग बंद हो गयी है। इन नंबरों का यूज केवल इनकमिंग नंबरों को रिसीव के लिए ही की जा रही है
अमूमन डबलसीम मोबाइल में वोडा-आईडिया और एयरटेल सीम को दूसरे नंबर पर यूज किया जा रहा है जबकि 4G मोबाइल फोन में जियो सीम प्रधान सीम की तरह उपयोग में लाया जा रहा है। इस तरह मोबाइल धारकों का सारा काम जियो से हो रहा है और पुराना से पुराने नंबर का उपयोग लगभग फ्री में ही चल रहा था। जियो के आतंकी खौफ से बचने के लिए सभी मोबाइल कंपनियों का पूरा ध्यान ग्राहकों को टूटने से बचाने पर लगी रही। इसके लिए कंपनियां भी एकदम उदार हो गयी और बिना रिचार्ज कराये भी मोबाइल की इनकमिंग और आऊटगोइंग को जारी रखा। पिछले दो सालों में इस तरह के करोड़ों यूजर्स सामने आए जो महज सौ-दो सौ रुपये के रिचार्ज में ही अपने नंबरों को बचाने में भी सफल रहे। ऐसे यूजर्स के चलते नंबर वन ओर टू पर यूजर्स की बदौलत होने के बाद भी राजस्व में भारी गिरावट का सामना करना पड़ रहा है। आर्थिक तौर पर दो साल की गिरावट के साथ ही मोबाइल की पूरी दुनिया बदल गयी।———-=
====जियो के आगमन के साथ ही भारत में एक दर्जन से भी अधिक एक्टिव मोबाइल फोन कंपनियों का जीना दूभर हो गया। सभी छोटी कंपनियां घाटे के बाद एयरटेल या वोडाफोन में समाहित हो गयी। खासकर आइडिया भी अकेले इस गलाकाट दौर में नहीं टीक पा रही थी। अंततः आइडिया भी वोडाफोन के साथ एक हो गयी। अलबत्ता विलय होने वाली कंपनियों को लोग भूल गये मगर वोडाफोन के साथ आइडिया का नाम जीवित हैं। रही बात सरकारी मोबाइल कंपनियों की तो पहले से ही लस्त पस्त हाल बेहाल BSNL & MTNL तो कंपीटिशन में न कल थीं और न आज भी इनको न तीन में ना तेरह की गिनती में ही है। तमाम निजी कंपनियों में 5G लाने की तैयारी की जा रही है वहीं सरकारी मोबाइल कंपनीअभी 3G में ही घूम रही है। हर महीने जियो के साथ करीब करीब एक करोइ नये ग्राहकों का जुडाव हो रहा है तो पोर्ट के जरिए हर माह लाखों ग्राहकों को भी खोने का सिलसिला जारी है। उधर प्राइस वार में जियो की किफायती परंपरा बदस्तूर जारी है। कभी डाटा बढाने का अॉफर तो कभी-कभी अन्य गिफ्ट्स की बारिश से जियो जिंदाबाद जारी है। जियो के सामने तो रिलायंस रीम भी बेदम होकर बंद हो गयी। बाजार में अब केवल तीन बड़ी कंपनियों जियो वोडा-आईडिया और एयरटेल ही रह गये हैं। जियो के खिलाफ वोडा-आईडिया और एयरटेल साझा तौर पर अब मुकाबला करने का मन बना लिया है।
==== इन नीतियों के तहत वोडा-आईडिया और एयरटेल ने सबसे पहले अपने कंजूस यूजर्स से निपटने का मन बनाया है। बिना लाभ के कंपनी के ग्राहक बनकर चिपके यूजर्स के लिए ही न्यूनतम रिचार्ज और 28 दिन की लक्ष्मण रेखा को पहले की ही तरह सख्ती से लागू करके पालन किया जाएगा। डेट खत्म होने के बाद आऊटगोइंग बंद और बाद में इनकमिंग बंद। यानी दोबारा रिचार्ज नहीं कराने पर नंबर समाप्त। मोटे तौर पर कंपनी को अनुमान है कि आरंभ में लाखों कस्टमर के खोने के बाद भी राजस्व में बढोतरी होगी। सूत्रों के अनुसार : कंपनियां अब कस्टमर बर बनाए रखने की बजाय लाभदायक यूजर्स को बेहतर सेवा देने के लिए कटिबद्ध हैं। सूत्रों के मुताबिक एक आंतरिक सर्वेक्षण में ज्यादातर यूजर्स अधिक समय तक किसी भी रेट पर जियो से पोर्ट होने की बजाय इनलोगों से ही जुड़े रहना चाहते हैं। मालूम हो कि जियो के दवाब के चलते मोबाइल कंपनियों ने पांच – दस रूपये के बैलेंस रहने पर भी कस्टमर के कनेक्शन को बने रहने दिया गया। कंपनियों की इसी उदारता के चलते करोड़ों ग्राहक लगभग मुफ्त में मोबाइल फोन नंबर के साथ इनकमिंग का भी यूज कर रहे हैं। बाजार में कंपनी कम होने के कारण अब कंपनियाँ को मिलकर दुश्मन नंबर वन जियो के मुकाबले बाजार में खड़ा होने की लडाई ज्यादा हौसले के साथ निपटाना आसान हो जाएगा। मोबाइल कंपनियों ने 100 रूपये से कम की राशि से रिचार्ज की अधिकतम अवधि 28 दिन की कर दी गयी है। अलबत्ता यह देखना सबसे दिलचस्प है कि अपने कंपीटिटरों से निपटने के लिए जियो की भावी रणनीति पर यूजर्स से अधिक कंपनियों की नजर रहेगी।
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