35 साल बाद जोगेश्वरी मंदिर और गोपी तीर्थ की दीयों से जगमगाहट, कश्मीर में आध्यात्मिक पुनरुत्थान
जोगेश्वरी मंदिर ट्रस्ट ने लोकुत मंदिर और गोपी तीर्थ को दीवाली पर सजाया, पुनर्स्थापना और शैव परंपरा के संरक्षण का संकल्प
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35 साल बाद जोगेश्वरी मंदिर और गोपी तीर्थ को रौशन किया गया।
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प्राचीन शिव लिंग को लोकुत मंदिर में स्थापित किया गया।
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ट्रस्ट ने मंदिर परिसर और बाज़ार क्षेत्र की बहाली की योजना बनाई।
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अतिक्रमण और भूमि हड़पने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की चेतावनी।
समग्र समाचार सेवा
श्रीनगर, 25 अक्टूबर: इस दीवाली, कश्मीर में एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पुनरुत्थान देखने को मिला। 35 साल से बंद पड़े जोगेश्वरी मंदिर (लोकुत मंदिर) और प्राचीन गोपी तीर्थ को जोगेश्वरी मंदिर ट्रस्ट (JMT) ने फिर से रौशन किया। यह ट्रस्ट रेनावरी कश्मीरी पंडित एक्शन कमेटी (RKPAC) का हिस्सा है।
आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पुनरुद्धार
JMT के अध्यक्ष डॉ. महेश कौल ने इसे “आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पुनर्जागरण” बताया। उन्होंने कहा कि यह मंदिर कश्मीर की शैव परंपरा और त्रिक दर्शन का एक पुराना केंद्र रहा है, जहां कभी तांत्रिक साधनाएं और योग विद्या खूब विकसित हुई थीं।
डॉ. कौल ने बताया, “यहाँ देवी दुर्गा को योगिनी जोगेश्वरी के रूप में पूजा जाता है। ये कश्मीरी पंडित समुदाय की संरक्षक देवी हैं।” उन्होंने कहा कि मंदिर परिसर और आसपास के बाज़ार की बहाली पर काम शुरू कर दिया गया है, जो वर्षों की उपेक्षा और नुकसान के बाद अब पुनः जीवन्त होगा।
पुनर्स्थापना की दिशा में कदम
इस साल की शुरुआत में RKPAC अध्यक्ष बी.एल. जलाली के नेतृत्व में मंदिर को फिर से चलाने की कोशिशें शुरू हुईं। प्राचीन शिव लिंग, जो पहले बोध मंदिर, क्राल्यार में था और रेनावरी नाले से सुरक्षित निकालकर लाया गया, अब लोकुत मंदिर में स्थापित किया गया है। मंदिर का मूल सप्तिक (क्रिस्टल) शिव लिंग अभी भी नहीं मिला है, जिसके लिए ट्रस्ट ने सरकार से सहयोग की मांग की है।
गोपी तीर्थ की रौशनी और संरक्षण
ट्रस्ट ने गोपी तीर्थ को भी सजाया, जो मंदिर की ऐतिहासिक संपत्ति है। इसमें कई मंदिर, पवित्र कुंड और भूमि शामिल हैं। डॉ. कौल के अनुसार, यह तीर्थ माँ जोगेश्वरी का निवास माना जाता है और इसका कुंड चिकित्सीय गुणों वाला माना जाता है।
ट्रस्ट ने अतिक्रमण पर चिंता जताते हुए सरकार से आग्रह किया है कि भूमि हड़पने वाले या नकली आश्रमों को हटाया जाए। रविंदर कौल, महासचिव, ने चेतावनी दी: “जो भी तीर्थ की पवित्रता को नुकसान पहुँचाएगा या भूमि पर अतिक्रमण करेगा, उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी।”
शैव परंपरा की रक्षा का संकल्प
जोगेश्वरी मंदिर ट्रस्ट ने यह स्पष्ट किया कि वह लोकुत मंदिर और गोपी तीर्थ की बहाली और सुरक्षा के लिए लगातार काम करेगा, ताकि ये कश्मीर की शैव परंपरा के जीवंत प्रतीक बने रहें।