लालू परिवार में कलह: रोहिणी आचार्य और संजय यादव का विवाद
तेजस्वी के करीबी संजय यादव पर रोहिणी ने उठाए सवाल, परिवार में बढ़ी तकरार।
- लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य और तेजस्वी यादव के राजनीतिक सलाहकार संजय यादव के बीच विवाद खुलकर सामने आ गया है।
- विवाद की शुरुआत तेजस्वी की ‘बिहार अधिकार यात्रा’ के दौरान एक बस में संजय यादव के आगे की सीट पर बैठने की तस्वीर से हुई, जो आमतौर पर लालू या तेजस्वी के लिए आरक्षित रहती है।
- इस घटना के बाद, रोहिणी आचार्य ने सोशल मीडिया पर अपने ‘आत्मसम्मान’ की बात करते हुए, पिता लालू यादव और भाई तेजस्वी सहित सभी राजनीतिक हस्तियों को अनफॉलो कर दिया।
समग्र समाचार सेवा
पटना, 22 सितंबर, 2025: बिहार की राजनीति में लालू प्रसाद यादव का परिवार एक बार फिर आंतरिक कलह को लेकर सुर्खियों में है। इस बार विवाद की वजह तेजस्वी यादव के करीबी माने जाने वाले राजनीतिक सलाहकार और राज्यसभा सांसद संजय यादव हैं। इस विवाद ने परिवार के भीतर की दरार को खुलकर सामने ला दिया है, खासकर लालू की बेटी रोहिणी आचार्य के सोशल मीडिया पोस्ट के बाद।
यह मामला तब शुरू हुआ जब तेजस्वी यादव की ‘बिहार अधिकार यात्रा’ के दौरान उनकी बस की आगे की सीट पर संजय यादव बैठे नजर आए। यह सीट पारंपरिक रूप से लालू प्रसाद यादव या तेजस्वी यादव जैसे शीर्ष नेतृत्व के लिए आरक्षित मानी जाती है। सोशल मीडिया पर जैसे ही यह तस्वीर वायरल हुई, कई लोगों ने इस पर सवाल उठाए, जिसे रोहिणी आचार्य ने भी अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर रीपोस्ट किया। इस कदम ने यह संकेत दिया कि रोहिणी भी संजय यादव के बढ़ते कद से खुश नहीं हैं।
विवाद बढ़ने पर, रोहिणी आचार्य ने एक के बाद एक कई भावुक पोस्ट किए। उन्होंने अपने ‘आत्मसम्मान’ को सर्वोपरि बताते हुए लिखा, “मुझे किसी पद की लालसा नहीं है, न मेरी कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा है, मेरे लिए मेरा आत्मसम्मान सर्वोपरि है।” इसके बाद, उन्होंने अपने एक्स अकाउंट से अपने पिता, भाई और पार्टी से जुड़ी सभी राजनीतिक हस्तियों को अनफॉलो कर दिया, जिससे यह साफ हो गया कि परिवार के भीतर सब कुछ ठीक नहीं है।
इस विवाद पर लालू यादव के बड़े बेटे और रोहिणी के भाई तेज प्रताप यादव भी खुलकर रोहिणी के समर्थन में आ गए हैं। तेज प्रताप, जो पहले से ही संजय यादव पर हमलावर रहे हैं, उन्होंने उन्हें ‘जयचंद’ तक कह डाला। उन्होंने रोहिणी की नाराजगी को जायज ठहराते हुए कहा कि परिवार में बाहरी लोगों का हस्तक्षेप बढ़ गया है, जिससे परिवार और पार्टी दोनों को नुकसान हो रहा है।
हालांकि, इस पूरे मामले पर तेजस्वी यादव ने चुप्पी साध रखी है। सूत्रों के मुताबिक, यह मामला ‘लालू के कोर्ट’ तक भी पहुंचा था, लेकिन वहाँ भी कोई हल नहीं निकल सका। लालू यादव ने रोहिणी को राजनीति की प्रकृति समझाने की कोशिश की, लेकिन दोनों अपनी-अपनी जगह पर अड़े रहे। यह विवाद बिहार चुनाव से ठीक पहले सामने आया है, जिससे राजद के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि परिवार और पार्टी इस आंतरिक कलह को कैसे सुलझाते हैं और क्या वे एकजुट होकर चुनाव में उतर पाएंगे।