पराक्रम दिवस: नेताजी सुभाषचंद्र बोस जी की जयंती पर शत-शत नमन

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,24 जनवरी।
देश के महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन! 23 जनवरी को उनकी जयंती को “पराक्रम दिवस” के रूप में मनाकर हम उनके अदम्य साहस, अटूट संकल्प और राष्ट्रप्रेम को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। इस अवसर पर समस्त देशवासियों को पराक्रम दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!

नेताजी सुभाषचंद्र बोस: साहस और संकल्प के प्रतीक

नेताजी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक थे, जिन्होंने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ क्रांतिकारी संघर्ष किया। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अद्वितीय योगदान दिया और “आजाद हिन्द फौज” की स्थापना कर अंग्रेजों के खिलाफ सशस्त्र संग्राम का नेतृत्व किया। उनका प्रसिद्ध नारा “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा” आज भी हर देशभक्त के हृदय में जोश भर देता है।

आजाद हिन्द फौज और नेताजी का संघर्ष

नेताजी का मानना था कि स्वतंत्रता केवल अहिंसक आंदोलन से संभव नहीं है, बल्कि इसके लिए सशक्त क्रांति आवश्यक है। इसी विचारधारा को साकार करते हुए उन्होंने आजाद हिन्द फौज का गठन किया और ब्रिटिश शासन की जड़ों को हिला दिया। उनके नेतृत्व में भारतीय सेना ने कई महत्वपूर्ण अभियानों को अंजाम दिया और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी।

देशभक्ति और बलिदान का प्रेरणास्त्रोत

नेताजी का संपूर्ण जीवन राष्ट्र के प्रति समर्पण, बलिदान और निडरता का प्रतीक है। उन्होंने न केवल स्वतंत्रता की अलख जगाई बल्कि भारतीय युवाओं को संघर्ष की राह पर चलने के लिए प्रेरित किया। उनकी विचारधारा और योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए सदैव प्रेरणास्त्रोत बने रहेंगे।

पराक्रम दिवस का महत्व

नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती को “पराक्रम दिवस” के रूप में मनाने का उद्देश्य युवाओं को उनके साहस, दृढ़ निश्चय और राष्ट्रभक्ति से प्रेरित करना है। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि यदि हमारे भीतर आत्मबल और संकल्प शक्ति हो, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है।

समर्पण और श्रद्धांजलि

आज, जब हम नेताजी की जयंती मना रहे हैं, तो हमें उनके आदर्शों को आत्मसात करने का संकल्प लेना चाहिए। हमें उनके बलिदान को स्मरण करते हुए अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए और राष्ट्रहित में योगदान देना चाहिए।

“जय हिंद!” – यह केवल एक नारा नहीं, बल्कि नेताजी के विचारों और उनके संघर्ष का प्रतीक है। आइए, हम सब मिलकर इस दिन को गर्व और सम्मान के साथ मनाएं और अपने महानायक को श्रद्धांजलि अर्पित करें।

पराक्रम दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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