WhatsApp को राहत: डेटा-शेयरिंग प्रैक्टिस पर लगे बैन पर रोक

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,24 जनवरी।
दुनिया की सबसे लोकप्रिय मैसेजिंग ऐप WhatsApp को एक बड़ी राहत मिली है। हाल ही में डेटा-शेयरिंग प्रैक्टिस पर लगाए गए बैन को अस्थायी रूप से रोक दिया गया है, जिससे कंपनी को बड़ी राहत मिली है। यह मामला यूजर्स की गोपनीयता (Privacy) और डेटा सुरक्षा से जुड़ा हुआ है, जिस पर कई देशों में विवाद चल रहा था।

क्या है मामला?

WhatsApp पर आरोप था कि वह अपनी मूल कंपनी Meta (फेसबुक) के साथ उपयोगकर्ताओं का डेटा साझा कर रहा है, जिससे यूजर्स की निजता को खतरा हो सकता है। यूरोप समेत कई देशों में इसे लेकर जांच चल रही थी, और आयरिश डेटा प्रोटेक्शन कमीशन (DPC) ने WhatsApp की इस नीति पर रोक लगाने का आदेश दिया था।

हालांकि, अब यूरोपीय न्यायालय (European Court of Justice) ने इस बैन पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी है। इससे WhatsApp को कुछ समय के लिए राहत मिल गई है, लेकिन डेटा-शेयरिंग से जुड़े मुद्दों पर कानूनी लड़ाई अभी भी जारी है।

WhatsApp का क्या कहना है?

WhatsApp ने हमेशा दावा किया है कि यूजर्स की गोपनीयता उसकी पहली प्राथमिकता है और वह एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन के जरिए सुरक्षा सुनिश्चित करता है। कंपनी का कहना है कि उसका डेटा-शेयरिंग मॉडल यूजर्स की सहमति पर आधारित है और वह किसी भी तरह से गोपनीयता का उल्लंघन नहीं करता।

यूजर्स पर इसका क्या असर पड़ेगा?

  • फिलहाल, WhatsApp अपनी डेटा-शेयरिंग नीति को जारी रख सकता है, क्योंकि इस पर लगे बैन पर रोक लगा दी गई है।
  • यूजर्स की प्राइवेसी को लेकर चिंता बनी रहेगी, क्योंकि Meta पर पहले भी डेटा लीक और गलत इस्तेमाल के आरोप लग चुके हैं।
  • यदि भविष्य में अदालत WhatsApp के खिलाफ फैसला देती है, तो कंपनी को अपनी डेटा-शेयरिंग पॉलिसी में बड़े बदलाव करने पड़ सकते हैं।

आगे क्या होगा?

WhatsApp और Meta के खिलाफ यूरोपीय यूनियन और अन्य देशों में डेटा प्राइवेसी को लेकर अगली कानूनी कार्यवाही जल्द शुरू हो सकती है। डेटा सुरक्षा से जुड़े ये फैसले भविष्य में दूसरी टेक कंपनियों जैसे Google, Apple और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी प्रभाव डाल सकते हैं

निष्कर्ष

WhatsApp को इस मामले में अस्थायी राहत जरूर मिली है, लेकिन डेटा सुरक्षा और यूजर्स की प्राइवेसी को लेकर कानूनी चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या WhatsApp को अपनी नीतियों में बदलाव करने होंगे या फिर वह अपने मौजूदा मॉडल को बनाए रख पाएगा

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