लोकल एजेंट से गल्फ की ‘हैदराबादी आंटी’ तक: शेख मैरिज का पूरा सिस्टम सेट, निजाम के दौर से जुड़ी हैं जड़ें

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,29 नवम्बर।
हैदराबाद अपनी सांस्कृतिक धरोहर, निजाम की ऐतिहासिक विरासत और शानदार वास्तुकला के लिए जाना जाता है। लेकिन इसके साथ ही शहर का एक काला सच भी है, जो दशकों से चर्चा का विषय बना हुआ है—गल्फ देशों के शेखों के साथ होने वाली तथाकथित “शेख मैरिज”। यह प्रथा एक संगठित सिस्टम का हिस्सा बन चुकी है, जिसमें लोकल एजेंट, ‘हैदराबादी आंटी’ और गल्फ के प्रभावशाली शेख शामिल हैं।

शेख मैरिज: क्या है यह सिस्टम?

शेख मैरिज में अमूमन गल्फ देशों से आने वाले अमीर शेखों की अल्पसंख्यक या गरीब मुस्लिम परिवारों की लड़कियों से शादी कराई जाती है। हालांकि इसे शादी का नाम दिया जाता है, लेकिन कई बार यह एक तरह की वैध मानव तस्करी के रूप में सामने आती है।
शादी की प्रक्रिया एक व्यवस्थित चैनल के तहत होती है, जिसमें स्थानीय दलाल और ‘हैदराबादी आंटियां’ अहम भूमिका निभाती हैं। ये लोग गरीब परिवारों को आर्थिक मदद और अच्छी जिंदगी के सपने दिखाकर लड़कियों को इस प्रथा में शामिल करते हैं।

कैसे काम करता है यह सिस्टम?

  1. लोकल एजेंट:
    यह सिस्टम लोकल एजेंटों से शुरू होता है, जो शेखों की आवश्यकताओं के अनुसार परिवारों की पहचान करते हैं। ये एजेंट उन परिवारों को निशाना बनाते हैं, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और जल्दी पैसा कमाने की चाहत रखते हैं।
  2. ‘हैदराबादी आंटी’:
    ये महिलाएं एजेंट और परिवारों के बीच मध्यस्थ का काम करती हैं। ये न केवल परिवारों को राजी करती हैं, बल्कि शादी की पूरी प्रक्रिया को “वैध” दिखाने का इंतजाम भी करती हैं।
  3. शेख:
    गल्फ देशों से आने वाले ये शेख अमूमन अमीर और उम्रदराज होते हैं। कई बार वे सिर्फ कुछ दिनों या हफ्तों के लिए भारत आते हैं, शादी करते हैं, और फिर अपने देश लौट जाते हैं। कुछ मामलों में ये शादियां महज कुछ दिनों के लिए होती हैं, जिसके बाद लड़कियों को छोड़ दिया जाता है।
  4. काजियों की भूमिका:
    इस प्रथा में कुछ काजियों की भूमिका भी संदिग्ध रहती है। आरोप है कि ये काजी बिना उचित जांच-पड़ताल के शादियों को वैध करार देते हैं।

इतिहास: निजाम के दौर से जुड़ी जड़ें

शेख मैरिज का यह सिस्टम नया नहीं है। इसकी जड़ें निजाम के दौर से जुड़ी हैं, जब हैदराबाद और गल्फ देशों के बीच व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंध मजबूत थे। उस समय भी अमीर व्यापारी और शेख हैदराबादी लड़कियों से शादी करते थे। हालांकि, तब ये शादियां सामाजिक स्वीकार्यता और परंपरा का हिस्सा मानी जाती थीं। लेकिन समय के साथ, इस प्रथा ने एक संगठित व्यवसाय का रूप ले लिया।

लड़कियों का भविष्य: सपने या दु:स्वप्न?

इन शादियों का अंत अक्सर लड़कियों के लिए दु:स्वप्न बन जाता है।

  • कई बार उन्हें शेखों के देश ले जाया जाता है, जहां उनका शोषण होता है।
  • कुछ लड़कियों को छोड़ दिया जाता है, जिससे वे समाज में उपेक्षित और कलंकित हो जाती हैं।
  • उनकी शिक्षा और भविष्य की संभावनाएं खत्म हो जाती हैं।

सरकार और प्रशासन की भूमिका

सरकार ने समय-समय पर इस प्रथा को रोकने के लिए कदम उठाए हैं।

  • पुलिस ने कई बार ‘हैदराबादी आंटियों’ और एजेंटों के खिलाफ अभियान चलाए।
  • विदेश मंत्रालय ने गल्फ देशों के साथ इस विषय पर चर्चा की है।
  • स्थानीय जागरूकता कार्यक्रमों के जरिए परिवारों को इस प्रथा से बचने की सलाह दी गई है।

समाज की जिम्मेदारी

इस समस्या को खत्म करने के लिए समाज को भी अपनी भूमिका निभानी होगी।

  • गरीब परिवारों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए सरकार और गैर-सरकारी संगठनों को प्रयास करना होगा।
  • शिक्षा और रोजगार के अवसर बढ़ाकर लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाने की जरूरत है।
  • धार्मिक और सामाजिक संगठनों को इस प्रथा के खिलाफ सख्त रुख अपनाना होगा।

निष्कर्ष

‘शेख मैरिज’ का यह सिस्टम सिर्फ लड़कियों के शोषण की कहानी नहीं है, बल्कि यह समाज की कमजोर आर्थिक और सामाजिक संरचना को भी उजागर करता है। इसे खत्म करने के लिए न केवल सख्त कानूनों की जरूरत है, बल्कि सामाजिक जागरूकता और आर्थिक सशक्तिकरण भी अनिवार्य है।
यह समय है कि हम इस प्रथा को इतिहास का हिस्सा बनाएं, न कि इसे वर्तमान और भविष्य का हिस्सा रहने दें।

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