प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ईटानगर, अरुणाचल प्रदेश से वर्चुअल तरीके से सेला सुरंग राष्ट्र को की समर्पित

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 09मार्च। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज ईटानगर, अरुणाचल प्रदेश में विकसित भारत – विकसित पूर्वोत्तर कार्यक्रम के दौरान सेला सुरंग परियोजना को वर्चुअल तरीके से राष्ट्र को समर्पित किया। असम में तेजपुर को अरुणाचल प्रदेश में पश्चिम कामेंग जिले के तवांग से जोड़ने वाली सड़क पर 13,000 फीट की ऊंचाई पर इस सुरंग का निर्माण सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने किया है। कुल 825 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित यह सुरंग बालीपारा – चारिद्वार – तवांग रोड पर सेला दर्रे के पार तवांग को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करेगी, सशस्त्र बलों की तैयारियों को मजबूती देगी और सीमा क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ाएगी।

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास के लिए सरकार की अटूट प्रतिबद्धता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि सेला सुरंग हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करेगी और तवांग के लोगों के लिए यात्रा को आसान बनाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि क्षेत्र में कई सुरंगों पर काम चल रहा है।

प्रधानमंत्री ने सीमावर्ती गांवों के विकास की पहले की गई उपेक्षा की आलोचना की। उन्होंने कहा कि वे चुनावी हितों के लिए नहीं, बल्कि देश की जरूरतों के मुताबिक काम करते हैं। अपने संबोधन में उन्होंने रक्षा कर्मियों से वादा किया कि वह अपने अगले कार्यकाल में सुरंग बनाने की कमाल की इस इंजीनियरिंग के लिए उनसे मिलने आएंगे।

उद्घाटन समारोह के दौरान अन्य गणमान्य लोगों के साथ ही अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू और पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरेन रिजीजु भी उपस्थित थे।

इस सेला सुरंग का निर्माण नई ऑस्ट्रियाई सुरंग विधि का उपयोग करके किया गया है और इसमें उच्चतम मानकों की सुरक्षा विशेषताएं शामिल हैं। यह परियोजना न केवल क्षेत्र में तेज़ और अधिक कुशल परिवहन मार्ग प्रदान करेगी बल्कि देश के लिए रणनीतिक महत्व की भी है।

इस सुरंग की आधारशिला 09 फरवरी, 2019 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रखी थी और इसका निर्माण कार्य 01 अप्रैल, 2019 को शुरू हुआ था। कठिन इलाके और प्रतिकूल मौसम की चुनौतियों को पार करते हुए सुरंग केवल पांच वर्षों में बनकर तैयार हो गई है। सीमा क्षेत्रों के विकास में बीआरओ सदैव अग्रणी रहा है। पिछले तीन वर्षों में, बीआरओ ने 8,737 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित रिकॉर्ड 330 बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को पूरा किया है।

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