उपेंद्र कुशवाहा को बड़ा ‘झटका’, ललन सिंह बोले- वह सिर्फ MLC हैं जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष नहीं

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 7फरवरी। उपेंद्र कुशवाहा को बड़ा झटका लगा है. कुशवाहा की तरफ से पार्टी बैठक बुलाए जाने के बाद JDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा कि वह सिर्फ MLC हैं, संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष नहीं. उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा, ‘5 दिसंबर, 2022 को पार्टी चुनाव के दौरान केवल एक चुनाव हुआ था और वह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए था. जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष का चुनाव करने के लिए कोई अन्य मतदान नहीं हुआ. उपेंद्र कुशवाहा पार्टी के केवल एमएलसी हैं और किसी पद पर नहीं हैं.’

पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद ललन सिंह ने कहा कि कोई कमेटी नहीं बनी. हालांकि, ललन सिंह के दावे को विरोधाभासी बताया जा रहा है, क्योंकि कुशवाहा ने संसदीय बोर्ड अध्यक्ष के तौर पर पार्टी के कई कार्यक्रमों में शिरकत की थी. पार्टी ने 10 और 11 दिसंबर को राष्ट्रीय कार्यकारिणी परिषद की बैठक बुलाई थी, जिसमें कुशवाहा ने संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष के तौर पर शिरकत की थी. इसके अलावा, उन्होंने नीतीश कुमार और ललन सिंह की अध्यक्षता में कई बैठकों में भाग लिया था.

उधर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा किसी और की भाषा बोल रहे हैं. उन्होंने कहा कि हम हमेशा इज्जत देते रहे हैं, लेकिन अचानक ये सब दो महीने के अंदर शुरू हो गया है. नीतीश कुमार ने कहा कि वे (कुशवाहा) तीन बार पार्टी में आए और पार्टी ने उन्हें इज्जत देकर एमएलए, सांसद और पार्टी का नेता बनाया.

अपनी समाधान यात्रा के क्रम में नीतीश सोमवार को बांका पहुंचे. पत्रकारों ने यहां जब उनसे उपेंद्र कुशवाहा को लेकर सवाल किया तो उन्होंने भड़कते हुए कहा कि उन्हें हमलोगों ने कितना बढ़ाया है. आज जब आप पूछ रहे हैं, तो बोलना ही पड़ेगा. उन्होंने कहा कि कुशवाहा के लिए क्या-क्या नहीं किया. हमने उनको एमएलए बनाया, पार्टी का लीडर भी बनाया.. इसके बावजूद भाग गए, फिर आ गए एक बार, तो राज्यसभा का सदस्य बना दिए, फिर भाग गए तो तीसरी बार आ गए और अब क्या-क्या बोल रहे हैं.

मुख्यमंत्री ने भाजपा की ओर इशारा करते हुए कहा कि पता नहीं उन्हें क्या हो गया है, किसकी भाषा बोल रहे हैं. दो महीने के अंदर ऐसा क्या हो गया समझ में नहीं आ रहा है. इस मामले पर रोज बोलना और उसके प्रचार का मतलब है कि किसी और के लिए बोल रहे हैं तो इसका प्रचार हो रहा है. उन्हें कहीं जाना है तो जायें, फैसला उनको लेना है. अगर आप रोज बोलेंगे तो इसका मतलब है कि आपकी राय हमसे अलग है.

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