जापान में 7.3 तीव्रता का भूकंप: सुनामी का भी अलर्ट जारी, टोक्यो में भगदड़; 20 लाख घरों की बत्ती गुल

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समग्र समाचार सेवा

टोक्यो, 17 मार्च। जापान में बुधवार रात 7.3 तीव्रता का भूकंप आया। इसका असर राजधानी टोक्यो समेत कई शहरों में देखा गया। जापान के मेट्रोलॉजिकल डिपार्टमेंट ने सिर्फ एक लाइन के बयान में कहा- हमारे देश के उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र में सुनामी का अलर्ट जारी किया गया है। हालात पर नजर रखी जा रहा है। खबर है कि राजधानी टोक्यो में भगदड़ के हालात बन गए। बुधवार को ही भारत के लद्दाख में 5.2 तीव्रता का भूकंप आया। यहां किसी नुकसान की खबर नहीं है।

20 लाख घरों में बिजली गुल

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भूकंप का केंद्र फुकुशिमा क्षेत्र के करीब 60 किलोमीटर गहराई में था। इसके बाद लोगों को स्पेशल एडवाइजरी जारी की गई। जापान के वक्त के मुताबिक, भूकंप रात 11:36 बजे आया। इस दौरान ज्यादातर लोग अपने घरों में थे। फिलहाल, किसी तरह के नुकसान की खबर नहीं है। कुछ समुद्री इलाकों में लहरें एक मीटर तक उठीं। जापान टाइम्स के मुताबिक, करीब 20 लाख घरों में बिजली बंद हो गई है। कुछ इलाकों में खतरे से बचने के लिए बिजली सप्लाई बंद कर दी गई।

फुकुशिमा प्लांट पर पैनी नजर

जापान सरकार की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट पर पैनी नजर रखी जा रही है। 11 साल पहले आए भूकंप में इसे काफी नुकसान पहुंचा था। तब भूकंप की तीव्रता 9.0 थी। जापान में अकसर भूकंप आते हैं, क्योंकि यह रिंग ऑफ फायर क्षेत्र में आता है। यहां मकान और बड़ी इमारतें का डिजाइन इस तरह से तैयार किया जाता है ताकि वो भूकंप के बड़े झटके सह सकें। 2011 में आए भूकंप और सुनामी में करीब 19 हजार लोग मारे गए थे। फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट को भी काफी नुकसान पहुंचा था।

जापान में ज्यादा भूकंप क्यों आते हैं?

जापान भूकंप के सबसे ज्यादा संवेदनशील क्षेत्र में है। यह पेसिफिक रिंग ऑफ फायर क्षेत्र में आता है। इसका असर इतना ज्यादा है कि जापान में हर साल छोटे-बड़े 100 से ज्यादा भूकंप आते हैं।

क्या है रिंग ऑफ फायर और टेक्टोनिक प्लेट्स?

रिंग ऑफ फायर ऐसा इलाका है जहां कई कॉन्टिनेंटल के साथ ही ओशियनिक टेक्टॉनिक प्लेट्स भी हैं। ये प्लेट्स आपस में टकराती हैं तो भूकंप आता है, सुनामी उठती है और ज्वालामुखी फटते हैं। इस रिंग ऑफ फायर का असर न्यूजीलैंड से लेकर जापान, अलास्का और उत्तर व साउथ अमेरिका तक देखा जा सकता है। दुनिया के 90 फीसदी भूकंप इसी रिंग ऑफ फायर क्षेत्र में आते हैं। यह क्षेत्र 40 हजार किलोमीटर में फैला है। दुनिया में जितने सक्रिय ज्वालामुखी हैं, उनमें से 75 फीसदी इसी क्षेत्र में हैं। 15 देश इस रिंग ऑफ फायर की जद में हैं।

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