कोरोना का नया वैरिएंट ‘लैम्बडा’ बना मुसीबत, अब तक 29 देश को बनाया है अपना शिकार

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 19जून। वैश्विक महामारी दिन-प्रतिदिन खतरनाक बनता जा रहा है। इसके अलग अलग वेरिएंट और इससे ठीक होने के बाद फंगस की समस्या ने देश को मुश्किल में डाल दिया है। जहां एक तरफ सारा विश्व कोरोना के डेल्टा वैरिएंट से निपटने के प्रयासों में लगा है वहीं इसी बीच डब्ल्यूएचओ ने एक बड़ा खुलासा किया है जो बेहद चौकाने वाला है।
बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने बताया कि 29 देशों में कोरोना का एक और नया वेरिएंट पाया गया है। ‘लैम्ब्डा’ नाम के इस वेरिएंट के बारे में माना जा रहा है कि यह दक्षिण अमेरिका में पहली बार पाया गया था। डब्ल्यूएचओ ने वीकली अपडेट में कहा कि पहली बार पेरू में पाया गया, लैम्ब्डा वेरिएंट दक्षिण अमेरिका में कोरोना के बढ़ते मामलों के लिए जिम्मेदार था।

WHO ने चिंता जताई है कि संक्रमण का यह वैरिएंट कहीं दुनिया भर में ना फैल जाए। हाल ही में डेल्टा वेरिएंट ने भी दुनिया की चिंता बढ़ा दी थी। ब्रिटेन ने दावा किया है कि उसके देश में 11 दिन में मामले दोगुने हो गए और इसका जिम्मेदार डेल्टा वेरिएंट को माना जा रहा है।

अधिकारियों ने बताया कि पेरू में लैम्ब्डा वेरिएंट का ज्यादा असर पाया गया। पेरू में अप्रैल 2021 से लेकर अब तक 81 फीसदी कोरोना मामले इसी वेरिएंट से जुड़े हुए हैं। उधर चिली में पिछले 60 दिनों में सबमिट किए गए मामलों में से 32 प्रतिशत मामलों यह वेरिएंट पाया गया है। अर्जेंटीना और इक्वाडोर जैसे अन्य देशों में भी इस वेरिएंट के कई मामले दर्ज किए गए हैं। इन्हें मिलाकर कुल 29 देशों में इस वैरिएंट के मामले मिले हैं।

एंटीबॉडी भी होगी बेअसर

लैम्ब्डा वेरिएंट म्यूटेट होता है जो संक्रमण क्षमता को बढ़ा सकता है। साथ ही संक्रमण के इस स्वरूप के सामने एंटीबॉडी भी असर नहीं करेगा। संगठन ने कहा कि लैम्ब्डा वेरिएंट को बेहतर ढंग से समझने के लिए और अधिक स्टडी की जरूरत है। बता दें वायरस के किसी भी स्वरूप को चिंताजनक तब बताया जाता है जब वैज्ञानिक मानते हैं कि वह अधिक संक्रामक है तथा गंभीर रूप से बीमार कर सकता है। वेरिएंट की पहचान करने वाली जांच, उपचार और टीके भी इसके खिलाफ कम प्रभावी हो सकते है।

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