पत्रकार से सन्यासी बने माधवकांत जी मिश्र चिरंतन यात्रा पर …..

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कुमार राकेश, नई दिल्ली .13 सितम्बर  : अपने,सबके,हमारे,अपने देश के ,पूरी दुनिया के राष्ट्रवादी पत्रकार व सन्यासी महामंडलेश्वर स्वामी मार्तंड पूरी जी महाराज”.(माधवकान्त जी मिश्र ) चिरंतन यात्रा के लिए निकल पड़े . जीवन शेष भी, अशेष भी ,जीवन के बाद मृत्यु ,मृत्यु के बाद जीवन ,यही तो चिरंतन यात्रा है .

अब हमारी,आपकी उनसे कभी मुलाकात नहीं हो सकेगी .दुनिया की कोई शक्ति भी हमें अब उनसे नहीं मिलवा सकती.,क्योकि वैसे यात्री पर किसी का बस नहीं चलता,कोई नियत्रण नहीं.ऐसे निर्भय यात्री के लिए विश्व की सभी तथाकथित महान शक्तियां भी निसहाय,निरुपाय हो जाती हैं .वो लौकिक युग की G-7 की शक्तिया हो या कोई और …

ईश्वर से ,परम पिता परमेश्वर से ,जगत जननी माता से प्रार्थना है कि सबके प्रिय माधवकांत जी की आत्मा को शांति व मुक्ति प्रदान करे.
उनको हम सबकी श्रद्धांजलि ..नमन ..शत शत नमन..

हे ईश्वर,सच में आपको को भी नेक इंसान ही अच्छे लगते हैं.लगता नहीं था कि उनके साथ भी ऐसा हो सकता है.माधवकान्त जी एक प्रखर पत्रकार तो थे ही निहायत ही नेक इंसान भी थे.एक ओजस्वी वक्ता,सफल पत्रकार.एक नेक दिल सदैव हँसते-खिलखिलाते रहने वाले सम्वेदनशील इंसान .जितना सोच रहा हूँ ,उतना ही कष्ट बढ़ता दिख रहा है…..

उनके बारे में विस्तारपूर्वक फिर कभी लिखूंगा. पत्रकारिता जगत के साथ सन्यास जगत के लिए भी एक अपूरणीय क्षति…..

ये इस सदी का अजब संयोग था,एक अजीबोगरीब घटना थी .एक सफल पत्रकार का सन्यासी हो जाना.वो इस जगत के लिए एक अनंत सन्देश था,कोई समझा,तो ज्यादातर ने जान बूझकर नहीं समझने का ढोंग भी किया.पर कर्म ही प्रबल होता है कर्म ही सफल होता है ,,बाकी निरर्थक.कर्म सार्थक ,कर्म ही सन्देश .कर्म ही जीवन,कर्म ही देश .

पत्रकार का मूल भाव वैसे भी सन्यास का होता है ,होना चाहिए,लेकिन लिखते हुए दुःख हो रहा है कि पत्रकारिता अब वैसी नहीं रही.न मिशन,न प्रोफेशन,बल्कि एक शुद्ध बाज़ार बन गया है.शायद ऐसे ही कई कारणों से दुखी होकर माधवकान्त जी स्वयं को पत्रकारिता व लेखन के मुख्य धारा से स्वयं को मुक्त कर लिया था.उनका नया नाम था महामंडलेश्वर स्वामी मार्तंड पूरी जी महाराज”. वे दिल व दिमाग से सच्चे एक सनातनी हिन्दू थे.

माननीय माधवकांत जी के साथ मेरे कई अनुभव हैं ,संस्मरण हैं,किस्से हैं ,कई रोचक व प्रेरक कहानियां भी .कई मुलाकातें ,तो कई बाते .मेरे को उनके साथ कार्य करने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ था.उस पर बाद में विस्तृत चर्चा करूँगा.

जीवन पथ के उस अनंत यात्री को ,अथक पथिक को हमारा शत शत नमन ………..
आप बहुत याद आओगे ,लेकिन मिल नहीं पाओगे .पर हम आपका सदैव हँसता ,मुस्कुराता,चेहरा कभी नहीं भूल पायेंगे ,,,…ॐ शांति ॐ ….

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