रामभक्ति-सबकी शक्ति,सबके राम-सबमें राम !!

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*कुमार राकेश
कहते है श्री राम की बड़ी महिमा है.उनकी महिमा अपरम्पार है.कोई ओर नहीं ,कोई छोर नहीं.न कोई आर,न कोई पार .रामभक्ति में अजाब गज़ब किस्म की शक्ति है.इसलिए जो रामभक्त होता है ,वो जगत प्रसिद्ध हो जाता है.जिसने भजा श्रीराम को ,वो बना जगत का एक नया आयाम. उसी कड़ी में राम भक्त नरेन्द्र मोदी भी एक ऐसी हस्ती है जो श्री राम के परम भक्त व अनुयायी है.सदैव रहेंगे भी.5 अगस्त को अयोध्या में दिए गए श्रीराम जन्म मदिर के भूमि पूजन में दिए गए उदगार से तो यही लगता है.ये देश के अनूठे प्रधानमंत्री है ,अपने धर्म और अपने राष्ट्र को साथ साथ चलने और चलाने की बात करते हुए अपने विचार सबका साथ,सबका विकास पर अटल है.सच में मोदी जी अपने अटल जी के भक्त है ,तो अटल रामभक्त भी है.
कई मसलो पर नरेन्द्र भाई मोदी श्रीराम चरित से प्रभावित लगते हैं .श्रीराम की राष्ट्र के प्रति असीम भक्ति हो या न्यायप्रियता की बात हो.सामाजिक समरसता की बात हो या विविधता में अनेकता की.श्री मोदी के कार्यो में श्रीराम का प्रभाव साफ़ दिखता है.इसलिए 5 अगस्त को श्री मोदी पूरी तरह राममय हो गए थे.श्री मोदी श्रीराम की तरह अक्खड़ और जिद्दी भी हैं.
श्री मोदी की जिद की कई कहानियां है.जैसे नरेद्र भाई मोदी जबतक विधायक नहीं बने,गुजरात विधान सभा परिसर में नहीं गए.जब विधायक बने तो मुख्यमंत्री भी बने.जबतक सांसद नहीं बने संसद परिसर नहीं गए.2014 में सांसद बनने के साथ प्रधानमंत्री भी बने. उसके बाद ही संसद भवन में प्रवेश किया.उसी प्रकार सोमनाथ से अयोध्या की राम रथ यात्रा में अपने गुरु लालकृष्ण आडवाणी के सहयात्री होने के बाद 1991 में कसम खायी थी-जबतक अयोध्या में श्रीराम मंदिर बनने क अवरोध समाप्त नहीं हो जाते,तब तक वे अयोध्या नहीं जायेंगे.वो नहीं गए.2014,2017 और 2019 के लोक सभा-विधानसभा चुनावो के बावजूद श्री मोदी अयोध्या नहीं गए थे.
5 अगस्त 2020 का दिन भारत व विश्व इतिहास में ऐतिहासिक दिवस हो गया,जब प्रधानमंत्री श्री मोदी अयोध्या गए.श्रीराम जन्म भूमि के निर्माण के लिए भूमि पूजन से श्रीगणेश भी किया.साथ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन राव जी के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ.राज्यपाल आनंदीबेन पटेल,श्रीराम जन्म भूमि के प्रेरणादायक स्तम्भ महंत नृत्य गोपाल दास,श्रीराम जन्म भूमि न्यास के महामंत्री चंपत राय,वात्सल्य ग्राम,वृन्दावन की संस्थापिका दीदी माँ साध्वी ऋतंभरा के अलावा कई साधु संत मौजूद रहे.
5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी ने सम्पूर्ण वैदिक रीति से श्रीराम जन्म भूमि मंदिर निर्माण के सभी पूजा-अनुष्ठान कार्यो को सम्पन्न किया.उन्होंने पूजा,आरती,वंदना की.साष्टांग दंडवत किया.सनातन वैदिक हिन्दू संस्कृति के विधि विधान के साथ पूजा-अर्चना सम्पन्न किया.श्रीराम जन्म स्थल की परिक्रमा करने के बाद एक हिन्दू वैदिक विद्वान की तरह श्रीराम महिमा का बखान किया.प्रधानमन्त्री ने जय सिया राम के उदघोष से अपने भाषण शुरु किया तो जय-जय सिया राम से ही अपने भाषण का समापन.वह बोले,खूब बोले.खुलकर बोले.दिल से बोले,भाव से बोले.सबका साथ सबका विकास की बुनियाद पर श्री राम महिमा का वैश्विक बखान किया.
श्री मोदी ने कहा है राम कण कण में हैं.जन जन में हैं.जब उन्होंने कहा राम काज किये बिना उन्हें कहा विश्राम.सच में राम काज के पूर्ण होने के बाद ही वे अयोध्या आये.श्री राम का पूजन किया.भजन किया.महिमा मंडन किया.श्री मोदी ने कहा –श्रीराम सबके हैं ,श्रीराम सबमें हैं.राम आस्था के प्रतीक हैं.
प्रधानमंत्री ने कहा आज 5 अगस्त को भारत ही नहीं समस्त विश्व भावुक है.सदियों का इंतजार ख़त्म हुआ. उन्होंने श्रीरामजन्म मंदिर आन्दोलन को भारत की आज़ादी की तरह का एक आन्दोलन बताया.जिस प्रकार गाँधी जी ने देश में राम राज्य की जरुरत बताई थी,अब उनका सपना भी पूरा होगा.पूर्ण राम-राज्य का सपना.वो तारीख थी 15 अगस्त की,वो था देश को अंग्रेजो से मुक्ति का आज़ादी दिवस तो मेरे विचार से 5 अगस्त है देश के लिए सांस्कृतिक आज़ादी का ऐतिहासिक दिवस घोषित होना चाहिए.
प्रधानमंत्री ने कहा- आज का दिन त्याग,तप,संकल्प का प्रतीक है.अर्पण का भी,तर्पण का भी.संघर्ष का भी ,संकल्प भी.श्रीराम हमारे मन में हैं.सबमें घुल मिल गये है.हरेक भारतवासियों के मन में हैं,थे और सदैव रहेंगे.उन्होंने कहा-श्रीराम मंदिर हमारी संस्कृति का आधुनिक प्रतीक बनेगा.देश के करोड़ों लोगो के सामूहिक शक्ति का प्रतीक है ये श्री राम जन्म भूमि मंदिर.ये राष्ट्र को जोड़ने का उपक्रम हैं.श्री मोदी ने श्री राम के साथ सभी धर्मो का भी जिक्र किया,जहाँ श्री राम की महिमा के बारे में सभी धर्मो में जिक्र किया गया है.सामजिक समरसता के प्रतीक रहे हैं राम,न्यायप्रियता के अनुपम उदाहरण रहे हैं श्रीराम.तुलसी के राम सगुण थे तो कबीर व नानक के राम निर्गुण थे.जैन धर्म में भी राम का जिक्र है.तमिल,तेलुगु,ओडिया,कन्नड़,कश्मीरी हर भाषा ,हर क्षेत्र के हैं राम.गुरु गोविन्द सिंह ने गोविन्द रामायण ही लिख डाली थी.श्री राम भारत के कण कण में हैं तो विदेशो में भी हैं .श्री मोदी ने कहा –कम्बोडिया,लाओस,इंडोनेशिया,थाईलैंड,मलेशिया में राम ही राम है तो ईरान व चीन में भी राम के कई प्रसंग देखने व सुनने को मिलते है.नेपाल से तो श्रीराम का आत्मीय सम्बन्ध था.
प्रधानमंत्री मोदी जो कहते हैं वो करते है.दिल्ली-गुजरात-दिल्ली की महती यात्रा में उन्होंने कई आयाम स्थापित किये.कई अनहोनी कार्यों को पूरा किया.अब श्रीराम जन्म भूमि मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया.यदि प्रधानमंत्री के शब्दों में कहा जाये तो हम न तो टालते हैं ,न ही पालते है.हम तो किसी भी समस्या का फौरी समाधान में विश्वास रखते हैं.उन्होंने जो कहा,वो किया. इसे कहते हैं प्रण,संकल्प,प्रेरणा से पूर्ण दृढ प्रतिज्ञ व्यक्तित्व.
इस पूजन सभा में विशेष तौर पर आमंत्रित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन राव भागवत ने श्रीराम मंदिर आन्दोलन में अशोक सिंघल ,लाल कृष्ण आडवाणी जैसे नेताओ के योगदान का जिक्र किया.डॉ भागवत ने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण लोक कल्याण का कार्य है ,जिसकी शुरुआत देश एक सक्षम प्रधानमंत्री के द्वारा किया जा रहा है.ये देश के लिए एक ऐतिहासिक दिवस है.श्री राम जन्मभूमि को राष्ट्र का विरासत बताया.डॉ भगवत ने श्रीराम जन्म मंदिर को लाखो राम भक्तो के बलिदान और संघर्ष का परिणाम बताया.उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस कार्य को राष्ट्र गौरव से परिपूर्ण बताया.बड़े ही सादे समारोह में मर्यादा पुरुषोत्तम के दरबार में कोरोना कीवजह से सभी मर्यादाओ का उचित पालन किया गया.इस प्रकार 492 वर्षो से विवादित किया गया श्रीराम जन्म मंदिर अब अपनी पुरानी विरासत की तरह फिर से खड़ा होगा,जो हर भारतीय का स्वाभिमान था और अब पुनः होगा.
इस राम जन्म भूमि को लेकर वैसे तो 492 वर्षो का विवाद रहा ,लेकिन पिछले करीब 33-34 वर्षो में श्रीराम मंदिर राजनीति के राष्ट्रीय व धार्मिक पक्षों को मैंने भी कई बार अन्दर व बाहर से देखा,समझने की कोशिशे की.राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समर्थक संगठनो के साथ भाजपा जैसी विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी ने श्रीराम जन्म भूमि मुक्ति को एक जन आन्दोलन बनाया.1986,1989,1990 के बाद 1992 श्रीराम जन्म भूमि मंदिर के लिए ऐतिहासिक वर्णन वर्ष है.
6 दिसम्बर 1992 बाबरी ढांचा ध्वंस दिवस था.उस दिन शाम दिल्ली में मेरी अटल बिहारी वाजपेयी से इन मसलो के अलावा कई मसलो पर चर्चा भी हुयी थी.सबसे पहले साक्षात्कार का अवसर भी मेरे को मिला था.बाद में आईएएनएस एजेंसी के तरुण बासु ने भी उनसे बातचीत की थी.जहाँ तक बाबर की बात है,वो भारतीय संस्कृति का हिस्सा कभी नहीं था.वो तो एक आक्रमणकारी था.लुटेरा था.उनके साथ जिन मुगलों ने भारत पर बल,कूटनीति,फुटनीति,स्वार्थनीति से भारत को गुलाम बनाया.भारत के वैदिक काल के प्राचीन मंदिरों व ऐतिहासिक स्थलों को मुसलमान नामो से बदला गया.जहाँ जहाँ सनातन हिन्दू के प्रसिद्ध मंदिर रहे,सब पर जबरन कब्ज़ा किया गया.भारत की सांस्कृतिक आत्मा पर प्रहार किया गया, परन्तु अब और नहीं. श्री मोदी ने शायद इसीलिए कहा –राम नीति में “भय बिन होई प्रीति” की बात वर्णित है.परन्तु श्री मोदी “समरथ को नहीं दोष गोसाई” की बात करना भूल गए.
भारत में श्रीराम जन्म भूमि से जुडी नीतियों को कई प्रकार की स्वार्थपरक ओछी राजनीति में लपेटा गया.उसी क्रम में संविधान में सेक्युलर शब्द को अप्राकृतिक तरीके से समावेश करके देश कि मूल भावनाओ से छेड़छाड़ की गयी.संविधान निर्माण के समय सेक्युलर या अल्पसंख्यक दोनों में से एक को ही अनुमति की बात थी.ऐसा क्यों? ये भी एक सवाल है,देश के सामने.
श्रीराम की महिमा अपरम्पार है.जो राजनेता या राजनीतिक दल कभी मुस्लिम तुष्टिकरण के नाम पर श्रीराम मंदिर का विरोध किया था,वो आज श्रीराम भक्ति में लीन होते दिख रहे हैं.कांग्रेस श्रीराम के शरण में आ गयी है.उस पार्टी के कई नेताओ कि बोलती बंद हैं .कांग्रेस भी राममय होते दिखने लगी लगी है.लगता है कांग्रेस को कोई रास्ता ही नहीं सूझ रहा है.आजतक उस पार्टी ने देश को दंश दिया .हिन्दुओ को परेशान किया.मुसलमानों को वोट बैंक बताकर हिदुओं को जातिवाद व क्षेत्रवाद में उलझाकर कमजोर किया.परन्तु आज ईसाई परिवार की बहू प्रियंका गाँधी वाड्रा जय सियाराम का नारा लगा रही है ,क्यों ? ऐसा क्यों ? जरा अपने वकील साहेब कपिल सिब्बल,चिदमबरम,सलमान खुर्शीद,अहमद पटेल ,मोतीलाल वोरा जैसे नेताओ से तो पूछती कि पिछले कई वर्षो से श्रीराम जन्म भूमि मंदिर को विवादित क्यों बनाये रखा गया ? भला हो एक हिन्दू प्रधानमंत्री नरसिंहराव जी का ,जिनके कार्यकाल में 1992 में बाबरी ढांचा ध्वस्त हुआ.
कभी पानी पी पी कर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा को कोसने वाले व्यापारी-राजनेता व पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को क्या हो गया कि श्रीराम के दूत हनुमान महिमा का बखान करने लगे? ये सब नौटंकी देश खूब समझता है.देश की जनता इतनी भोली नहीं रही अब. भारत की जनता अब जाग चुकी है.कांग्रेस कि नौटंकी में नहीं फसने वाली हैं.ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस को केंद्र में सरकार बनाने के लिए 2029 के बाद की रणनीति पर विचार करना चाहिए.शायद प्रधानमंत्री श्री मोदी का सफल जादू का ही ये असर है कि कांग्रेस त्राहि माम करने लगी है.हालांकि ये बात दीगर है कि कुछ मुठ्ठी भर मुसलमानों के राजनीतिक ठेकेदार असदुद्दीन ओबैसी का आरोप है कि हिन्दुत्व के मसले पर भाजपा व कांग्रेस अंदरखाने मिली हुयी है.
श्रीराम मंदिर को लेकर अपनी महत्ता साबित करने के लिए भाजपा के राज्य सभा सासंद डॉ सुब्रमनियम स्वामी के कथित सियासत भी गज़ब की रही है.भाजपा सांसद डॉ स्वामी ने कहा है कि श्रीराम मंदिर के इस सफलतम परिणति के लिए देश में मात्र तीन नेता बधाई के पात्र हैं.कांग्रेस पार्टी से प्रधानमंत्री बने राजीव गाँधी,जिन्होंने 1986 में ताला खुलवाया ,दुसरे कांग्रेसी प्रधानमंत्री पीवी नरसिंहराव,जिन्होंने बाबरी ढांचे के ध्वंस में अपनी विशेष भूमिका अदा की.तीसरे विश्व हिन्दू परिषद् के संस्थापको में से एक अशोक सिंघल जी.लेकिन डॉ स्वामी कुछ भूल गए या जानबूझकर प्रधानमंत्री श्री मोदी की अप्रत्यक्ष आलोचना करने का नया बहाना खोज रहे थे.डॉ स्वामी को मालूम होगा कि 1990 में सोमनाथ से अयोध्या तक की श्रीराम यात्रा को भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने शुरू किया था ,जिसके सारथि नरेन्द्र मोदी थे.आज वही सारथि देश के प्रधानमंत्री के तौर पर श्रीराम मंदिर के भूमि पूजन किया.पूरे विश्व में श्रीराम की महिमा का बखान किया .हाँ एक बात जरुर खली-उस अनुपम समारोह में श्री अडवाणी ,डॉ मुरली मनोहर जोशी ,कल्याण सिंह,उमा भारती,विनय कटियार ऐसे उस वक़्त के सक्रिय नेताओ को निमंत्रित नहीं किया गया .किसी ने कोरोना और वृद्ध जन को कारण बताया.शायद इसी को मोदी कि राजनीति कहते हैं.इसके साथ एक अच्छा कार्य हुआ. श्रीराम के चरणों में लीन वैकुंठवासी कार सेवको के परिवारों को निमत्रण जरुर भेजा गया.ये उन परिवारों के लिए आत्म गौरव का वक़्त था.
5 अगस्त को अब भारतीय इतिहास में कई कारणों से जाना जायेगा.जम्मू कश्मीर और लद्दाख को राजनीतिक व कलुषित धारा 370 व 35A से मुक्ति दिवस के लिए और श्रीराम जन्म मंदिर भूमि पूजन व शिलान्यास के लिए.गौरतलब है 5 अगस्त 2019 जम्मू कश्मीर व लद्दाख को मुक्ति मिली तो 5 अगस्त 2020 को श्रीराम जन्म भूमि पूजन से नए युग की शुरुआत की गयी.
5 अंक की श्रीराम मंदिर से जुडी कई महिमामंडित कथाये है.अंक शास्त्र के परिपेक्ष्य में श्रीराम मंदिर के लिए प्रथम कार सेवा 30-10-1990 को सम्पन्न हुआ था.2-11-1990 को कर सेवको पर बर्बरतापूर्वक फायरिंग किया गया था.कई भक्त रामलीन हो गए थे.यूपी में प्रथम भाजपा सरकार का गठन की तारीख 24-6-1991,सर्वोच्च न्यायालय का अंतिम फैसला-9-11-2019,और इसके साथ ही यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी का जन्म दिन 17-9-1950.इन सभी तिथियों का योगांक 5 हैं.5 अगस्त 2020 का मूलांक भी 5 है .इसे दैव योग कहा जाये या सार्थक संयोग.सच कहते है श्री राम की महिमा अपरम्पार है.
संभवतः धर्म और राजनीति के बीच इस अद्भुत जंग में पहली बार जीत धर्म की हुयी है ,वो भी देश के उच्चतम न्यायालय द्वारा.जो कि निष्पक्ष माना जाता है.ये भी एक मुद्दा है कि जब विश्व में 55 देश इस्लामिक देश हो सकते हैं तो भारत जैसे हिन्दू बहुल देश हिन्दू राष्ट्र क्यों नहीं हो सकता ? इस बारे में वात्सल्य ग्राम,वृन्दावन की संस्थापक व श्रीराम जन्म भूमि आन्दोलन की प्रखर नेता रही दीदी माँ साधवी ऋतंभरा की सोच है कि अब भारत को एक हिन्दू राष्ट्र बनने से कोई रोक नहीं सकता और भारत एक बार फिर विश्व गुरु के तौर पर पुनः स्थापित होगा.
*कुमार राकेश
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