अनामी शरण बबल
नयी दिल्ली। देश के सबसे संवेदनशील क्षेत्र जम्मू-कश्मीर में जम्मू-कश्मीर के नाम पर भी नेताओं की घटिया और विद्वेषपूर्ण जुबानी नफरत फ़ैलाने की बेलगाम राजनीति जारी है। इस बात पर बिना सोचे समझे आसमानी और जुबानी फतह और मारकाट की भाषा पर लगाम लगाने और सोच समझकर ही जम्मू-कश्मीर के बारे में बोलने की जरूरत है, ताकि माहौल और सामाजिक वातावरण बेहतर बना रह सके। जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने सभी दलों को चेतावनी देते हुए कहा है कि सभी राजनीतिक पार्टियां चुनावी मौसम में ऐसी भाषा का इस्तेमाल कर रही हैं जिससे कश्मीर को नुकसान पहुंच रहा है। इससे सचेत रहने की जरूरत है। अपनी भाषा को लेकर संयमित रहने की जरूरत है। सामाजिक वातावरण में समरसता और सौहार्द्र को बनाये रखने की जरुरत है। इसके लिए सबकी महत्वपूर्ण भूमिका होनी चाहिए।
कन्वेंशन सेंटर में आयोजित एक कार्यक्रम के बाद चुनावी मौसम में सभी दलों की बेतुकी और बेसिर पैर की सौहार्द्र बिगाड़ने वाली टिप्पणियों आरोपों- लांछनों की अमर्यादित और गैर जरुरी भाषा पर भी चिंता प्रकट की। उत्तेजनात्मक शब्दों के इस्तेमाल पर सभी पार्टियों के नेताओं को संयम बरतने की जरूरत है। पत्रकारों से बातचीत करते हुए श्री मलिक ने कहा कि कुछ पार्टियां सत्ता में आने के बाद जमात तथा हाईवे पर बैन हटा लेने के दावे कर रहीं हैं । कुछ पार्टियां जेके में एक और प्रधानमंत्री अलग संविधान और धारा 370 और धारा 35A को लेकर भी ग़लत बयानी और गलतफहमियां फैला रही है।
राजनीतिक दलों पर भी उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि पता नहीं कब वे सत्ता में आएंगे। तब का हाल कैसा रहेगा, लेकिन एक बात जरूर है कि यदि नागरिकों को किसी प्रकार की तकलीफ होगी तो उसका संज्ञान ज़रूर लिया जाएगा। साथ ही इस दिशा में आवश्यक कदम उठाए जाएंगे ताकि उन्हें किसी प्रकार की दिक्कत न हो। राज्य की कानून व्यवस्था को लेकर सख्त रवैया अपनाया जाएगा। माहौल को किसी भी कीमत पर किसी दो चार बयानों से किसी भी सूरत में काबू से बाहर निकलने नहीं दिया जा सकता है। ।।।।।