अनामी शरण बबल
यमुना एक्सप्रेसवे पर नियम तोड़ने में दिल्ली वालेआगे, दूसरे नंबर पर यूपी, एक्सप्रेस वे पर हैं हरियाणा के वाहन हैं लगभग ना के बराबर
नयी दिल्ली/ आगरा। अपनी जान की परवाह किए बगैर ही दिलवालों की दिल्ली के लोग जान जोखिम में डालने से कभी परहेज नहीं करते हैं। नियम कानून तोडने से लेकर तेज रफ्तार से भागने में भी दिल्ली वालों के दिल बेताब ही रहते हैं। मामला दारू खरीदने से लेकर गटकने की हो इन मामलों में भी दिल्ली वालें भला कहां मानते हैं। ट्रैफिक नियमों की धज्जियां उड़ानें में तो दिल्ली वाले सबसे बेताब बेलगाम हैं नोएडा ट्रैफिक पुलिस की रिपोर्ट ने इस मामले में हैरान कर देने वाली रिपोर्ट दी है, जिसमें प्रस्तुत आंकड़ों से दिल्ली और यूपी की बेलगाम छवि प्रकट हुए हैं। यमुना एक्सप्रेसवे पर बेलगाम दौड़ने वाले सबसे ज्यादा वाहन दिल्ली के पाए गए हैं, जबकि दूसरे पायदान पर उत्तर प्रदेश का नंबर आता है। दिल्ली और यूपी के मुकाबले हरियाणा के वाहन चालकों की लापरवाही काफी कम दिखी है।
लगातार बढ़ती दुर्घटनाओं और लगातार बढ़ती मौत के ग्राफ से यमुना एक्सप्रेसवे का नाम डेथ वे हो गया है। बेलगाम वाहनों की रफ्तार से हादसों का ग्राफ कम नहीं हो रहा है।
उल्लेखनीय है कि एक्सप्रेसवे पर अधिकतम गति सीमा बसों और ट्रकों के लिए 80 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार निर्धारित है, तो कार आदि छोटी वाहनों के लिए अधिकतम गति सीमा 100 किलोमीटर की है, लेकिन बेलगाम वाहन 140-150 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार तक से दौड़ती-भागती हैं। हालांकि हर टोल प्लाजा पर टोलकर्मियों द्वारा अधिक गति सीमा के लिए आगाह भी कर दिया जाता है। जिसको अनसुना करके ज्यादातर वाहन बेलगाम भागती रहती है।
ट्रैफिक पुलिस द्वारा 2018 से जनवरी 2019 तक टोटल 82876 वाहनों के चालान यमुना एक्सप्रेसवे पर काटे गए जिसमें अकेले 34309 वाहन दिल्ली से रजिस्टर्ड हैं, जबकि 34195 वाहन उत्तर प्रदेश से रजिस्टर्ड हैं। हालांकि, 10 महीने के आंकड़ों के आधार पर जारी की गई रिपोर्ट में हरियाणा नंबर के वाहनों का चालान प्रतिशत महज 10 फ़ीसदी है। महज 8345 हरियाणा रजिस्टर्ड वाहनों के चालान अप्रैल 2018 से जनवरी 2019 के बीच काटे गए। वाहन चलाने के मामले में हरियाणवी चालक अधिक संजीदा और नियम कानून के दायरे में रहने वाले पाए गए। हालांकि नियम की धज्जियां उड़ानें वालें बेशुमार है,मगर एक्सप्रेस वे के बीच चालान काटने का प्रबंधन नही होने से यमुना एक्सप्रेसवे के बीच में वाहनों पर कोई नियंत्रण नहीं रखा जाता है। आमतौर पर पूरे एक्सप्रेस वे के उपर लगे 150, कैमरों और 40 से अधिक गति सीमा मापक के मासिक मूल्यांकन और निगरानी के आधार पर वाहन नंबरों की ट्रेशिंग की जाती है। जिसको मानक मानकर पुलिस द्वारा कभी चालान काटकर महीनों बाद बेलगाम रफ्तार का नोटिस भेजा जाता है। यानी पुलिस और एक्सप्रेस वे प्रशासन की तमाम कोशिशों के बावजूद एक्सप्रेस वे पर सफ़र तेज होने के बाद भी सुरक्षित नहीं है। डेथ की खबरों को सार्वजनिक नहीं की गई है। इसके पीछे वाहन चालकों को आशंकित नही होने देना ही प्रमुख तर्क है, मगर अब तक हजारों जानें जा चुकी है और इस सिलसिले पर लगाम नहीं लग रहा है। ।।।।