अनामी शरण बबल
– नयी दिल्ली/ प्रयागराज। पूरे देश में बिहार और झारखंड तो यूं ही बदनाम हैं। मामला शासन कानून व्यवस्था अपराध और अपराधियों की हो या शिक्षा-परीक्षा की। पूरा देश इस मामले में खासकर बिहार ही ज्यादा बदनाम माना जाता है। आमतौर पर भले ही सुशासन कुमार के नाम से विख्यात नीतिश कुमार सूबे के मुख्यमंत्री हों, मगर आज़ भी अधिकार लोग बिहार में लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी लाराराज के जंगल राज बिहार को ही आज भी आज की सच्चाई की तरह देखा जाता है। मगर बिहार झारखंड से बाहर निकलकर यदि सबसे सर्वोत्तम उत्तरप्रदेश के हाल बेहाल पर नजर डाले तो देश के अब-तक 13 प्रधानमंत्रियों में नौ-नौ प्रधानमंत्री देने वाले राज्य का हाल तो कई मामलों में बिहार से भी बदतर है। खासकर यूपी माध्यमिका परीक्षा बोर्ड इलाहाबाद जिसे अब प्रयागराज भी कहा जाता है द्वारा संचालित नियंत्रित परीक्षाओं का बुरा हाल है। 28 फरवरी को हाई स्कूल की परीक्षा समाप्त हो गयी तो आज दो मार्च को इंटरमीडिएट की परीक्षा भी खत्म हो गयी। हाईस्कूल की दसवीं जिसे मैट्रिक की परीक्षा और इंटरमीडिएट की परीक्षा में करीब 16 लाख से अधिक छात्र छात्राओं को शामिल होना था। सरकार द्वारा नक़ल रोकने की सख्त मुहिम के कारण साढ़े सात लाख से अधिक छात्र छात्राओं ने बीच में ही परीक्षा छोड़ दी। जिसमें हाई स्कूल की परीक्षा छोड़ने वाले छात्रों की संख्या करीब तीन लाख की है। पिछले दो सालों से हर साल औसतन पांच से लेकर सात लाख छात्रों द्वारा हर साल अपनी परीक्षा को बीच में ही छोड़कर परीक्षा और पास फेल के चक्रव्यूह से बाहर हो गए। बोर्ड परीक्षाओं का इतना अपमान और बहिष्कार का इतना विकराल चेहरा देश के किसी और राज्य में नहीं होता। खासकर बिहार में तो बिहार स्कूल परीक्षा बोर्ड और इंटरमीडिएट बोर्ड का बड़ा मान सम्मान है। यह बोर्ड द्वारा संचालित सबसे सम्मान जनक परीक्षा है। जिसका ना केवल मान है बल्कि इसके परीक्षाफल को लेकर कभी विवाद नहीं उठा। ज्यादातर छात्र छात्राएं इसमें शामिल होने के लिए उतावले रहते हैं। परीक्षा बहिष्कार को लेकर बिहार में छात्र उतावले रहते हैं। उधर यूपी बोर्ड की सख्ती के चलते पूरे प्रदेश भर में केवल एक नकलची ही पकड़ा गया। इस बाबत यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बारम्बार कहना है कि बोर्ड को ध्वस्त करके थोक भाव में फर्जी स्टूडेंट्स को पास कराने का अड्डा बन गया था जिसपर नकेल कसते ही फर्जी स्टूडेंट्स लापता हो जा रहे हैं। सरकार के उस तर्क के बावजूद बात हजम नहीं हो पा रही है। उस पर योगी राज का यह नारा क्या सबको अचंभित नहीं करता कि जिसने यूपी नहीं देखा उसने इंडिया नहीं देखा। कमसे कम यूपी माध्यमिक परीक्षा बोर्ड द्वारा संचालित परीक्षा के लाखों स्टूडेंट्स का बीच में छोड़ देने का लगातार बढता ग्राफ इस राज्य की ऐसी परिभाषा बयान करतीं हैं, जिसपर अमूमन लोग कभी नहीं ध्यान नहीं देते।। ।।।