अनामी शरण बबल
शिमला। हिमाचल प्रदेश के ऊना समेत कई जिलों में सरकार के प्रोत्साहन और बढ़ावा देने से आम नागरिकों द्वारा अपने सभी व्यावसायिक और अव्यावसायिक केंद्रों का नाम अपनी बेटियों या महिलाओं के नाम पर रखे जा रहे हैं। नाम बदलने में होने वाली दिक्कतों को सरकार नगर निगम नगरपालिका या ग्राम पंचायतों द्वारा सभी दिक्कतों को हल करने से लोगों में नाम बदलने की मुहिम परवान पर है।
नारी शक्ति को बढ़ावा देने तथा लड़कियों के प्रति समानता और सम्मान की भावना के लिए ही मेरी बेटी मेरी शान अभियान चल रहा है। लडकियों के लिए सरकार ने एक खास तरह की जागरुकता योजना लागू की है। ताकि घर परिवार ने उन्हें अहमियत मिल सके। इसी योजना का नाम ऊना उत्कर्ष है। जहां पहले लोग अपनी दुकानें बेटों के नाम पर रखते थे, अब बेटियों के नाम पर रख रहे हैं।घरों के नाम और नेमप्लेट पर भी घर की मुखिया के रुप में नेम प्लेट पर भी घर की सबसे बुजुर्ग या बेटियों के नाम लिखे जा रहे हैं। दिखने में बेशक नेमप्लेट छोटी पहल है पर घर के अंदर महिलाओं की अहमियत का सबसे प्रभावशाली संदेश है। उन्ना के एक गांव से आरंभ यह मुहिम महज़ 14 माह के अंदर जागरुकता का सबसे बड़ा माध्यम बन गया है।आज 50 से अधिक गांवों समेत करीब 229 हजार से अधिक घरों दुकानों स्कूलों ट्रेनिंग सेंटर अस्पतालों के नाम लड़कियों के नाम पर रखे जा चुके हैं। इस जागरुकता से इसकी सामूहिक ताक़त और कोशिश से लड़कियों को एक आवाज मिल रही है। उन्हें भी अब ऐसा महसूस हो रहा है कि जितना उनका भाई अहमियत रखता है उतना ही वो भी अहमियत रखती हैं। ऊना के एक गांव में तो ऐसी बहुत सी दुकानें दिख जाएंगी, जो लड़कियों के नाम पर रखी गई हैं। जिसके चलते बाजार में नागरिकों में दुकानदारों में और खासकर महिलाओं में सम्मानजनक आत्मबल और गौरव का अहसास हो रहा है। जिन दुकानों के नाम नहीं बदले हैं तो उसके प्रति आम नागरिकों की धारणा बदलने। लगीं है। अपने ग्राहकों को बचाने तथा बाजार तथा शहर की मुख्यधारा में बने रहने के लिए भी अपने दुकानों को धर परिवार या भगवान के रुप में विख्यात लक्ष्मी पार्वती सरस्वती आदि से नाम रखने की कोशिश की जा रही है।
अब दौलतपुर चौक सहित कई अन्य गांवों में अधिकतर ऐसे साइनबोर्ड दिख जाएंगे, जो लड़कियों के नाम पर हैं। यहां दुकानों के नाम कुछ इस तरह हैं, अर्चिता नवदुर्गा ब्यूटी सैलून, पल्लवी वशिष्ट ऑटो केयर, खुशी राणा अनामिका राणा वाशिंग सेंटर, मेघा पिज्जा हट, नाजिया शूज एंड चप्पल हाउस आदि। अब लोग बेटियों के नाम पर दुकानों के नाम रख रहे हैं, जिनसे उनकी बेटियों को भी काफी खुशी हो रही है।
महिला एंव बाल विकास के जिला प्रोग्रामिंग अफसर सतनाम सिंह का कहना है, “हमें शुरुआत में तो काफी विरोध का सामना करना पड़ा। लोग ऐसा करना नहीं चाहते थे। लेकिन वो धीरे-धीरे अपनी बेटियों के नाम पर दुकानों का नाम रखने को सहमत हो गए, और आज तो उम्मीद से बढ़कर उत्साह है। स्थानीय नागरिकों ने इसे अपनी बात कहने का सबसे सबल तरीका माना है। राज्य सरकार भी उन्ना की जागरुकता से गदगद हैं। उना की जागरुकता का अब यह असर है कि शिमला से लेकर धर्मशाला मडलोडगंज मंडी आदि शहरों में भी यह मुहिम अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है। । ।।