अनामी शरण बबल
: नयी दिल्ली। विपक्षी दलों की एकता का यह कैसा गठबंधन है जिसमें यूपीए और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की उपेक्षा की जा रही है। कांग्रेस और राहुल गांधी की उपेक्षा करके कोई भी विपक्षी दल कभी भी केंद्र में सरकार नहीं बना सकती है। तमाम विपक्षी दलों के सभी नेताओं को इस हकीकत की असली सच्चाई की जानकारी है। और सबसे बडी सच्चाई यह भी है कि कांग्रेस अपनी उपेक्षा को अधिक देर तक सहन भी नही कर सकता है। मध्यप्रदेश के कभी मुख्यमंत्री रहे कांग्रेस के वरिष्ठ बुजुर्ग नेता मोतीलाल वोरा ने समग्र भारत के साथ बातचीत करते हुए यूपीए से अलग एक मोर्चा बनाए जाने की उम्मीदों पर उपरोक्त बातें कहीं।– श्री वोरा ने कहा कि तमाम विपक्षी दलों को यूपीए और पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी से परहेज़ है। जिसे कांग्रेस कभी भी बर्दाश्त नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा कि अभी तीन राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनी है। इससे हमारी ताकत और जनाधार बढ़ा है। इससे लोकसभा में परिणाम बेहतर होने की संभावना है। उन्होंने विपक्षी नेताओं की नीयत में पारदर्शिता नहीं होने का आरोप लगाया। नीयत नीति इरादा और नेतत्व को लेकर नजरिया साफ होना निहायत आवश्यक है। जनता के बीच एक सटीक संदेश जाना जरुरी है। इसके बगैर जनता के मन में पार्टी और नेताओं को लेकर जनता स्पष्ट धारणा नहीं बनती है। वोरा ने कहा कि राजनीति को तमाशा या कोई जादूगरी नहीं है कि एकाएक एक पल में कोई भी पार्टी और नेता पल भर में जनता के मन में विश्वास नहीं बना पाता। एक सवाल के जवाब में वोरा ने कहा कि विपक्षी दलों के नेताओं में अभी भी बेहतर शासन के लेकर भावी और वर्तमान हाल पर ठोस नजरिया नहीं है। सता पाना इनका लक्ष्य है। सता पाने की ललक के पीछे केवल प्रधानमंत्री पद पाने की लालसा है। जनता इनको तीन तीन बार आजमा कर देख चुकीं हैं। बीस साल के बाद भी कहीं कुछ नहीं बदला है। हां एक बदलाव है कि प्रधानमंत्री बनने की लालसा रखने वाले कुछ नेताओं के लिए यह आखिरी मौका है। (मुस्कुराते हुए) अभी इस बार नहीं तो कभी नहीं। विपक्षी नेताओं पर कटाक्ष करते हुए वोरा ने कहा कि केवल एक दो राज्यों में दखल रखने वाले ऐसे ऐसे नेता जिनके पास 50 से भी कम सांसदों का समर्थन होने के बाद भी सब प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं। यह इन सब नेताओं को अपने सपनों को साकार करने का समय है। ढेरों नेताओं का जमावड़ा केवल नाम और दिखावे के लिए है।—-यूपीए और राहुल गांधी की उपेक्षा के बाबत पूछे जाने पर वोरा ने कहा कि कांग्रेस 135 साल पुरानी पार्टी है। जनता के बीच पूरे देश में इसकी पहचान और उनके मन में विश्वास है। कांग्रेस इनके साथ जाकर भीड़ में शामिल होने की बजाय सता से बाहर रहना पसंद करेगी। किसी दल के साथ नही रहने के बाद भी अकेले अपने बूते ही चुनाव मैदान में उतरने का फैसला करेंगे। तब देख लेंगे कि कौन हमारे सामने रहेगा। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय दलों के उभार को कांग्रेस बर्दाश्त करने के साथ साथ बढावा भी देगी। मिलजुल कर सता में सहयोगी भी बना सकते हैं। पर कांग्रेस सबों के पीछे पीछे नहीं चल सकती है। कांग्रे््स् यूपीए और राहुल विरोध के फलस्वरूप यह तीसरा चौथा मोर्चा बॉस बनने की छटपटाहट है। भाजपा द्वारा कांग्रेस मुक्त भारत मुहिम के बाबत वोरा ने कहा कि यह सब लोकतंत्र के भीतर के तानाशाही का नजरिया है। तानाशाही में केवल एक तानाशाह होता है सबकी सुनने की बजाय केवल अपनी करता और चलाता है। लोकतंत्र में शासन तो जनता को लेकर जनता के लिए किए जाने वाले शासन का नाम है। जहां पर तानाशाही नजर नही मानवीय संवेदनशील सोच चाहिए। सबों के साथ मिलकर सता को चलाने की व्यवस्था है। किसी को उजाड़ने सफाया करने का नाम और काम लोकतंत्र में संभव नहीं है। वोरा ने कहा कि कांग्रेस में ही भारतीय राजनीति का भविष्य निहित है। द हेराल्ड बिल्डिंग प्रकरण पर पूछे जाने पर श्री वोरा ने कहा कि अब मामला अदालत के अधीन में है लिहाजा इस पर टिप्पणी करना अदालती कार्यवाही के लिए उचित नहीं है।