सुप्रीम कोर्ट और सीवीसी के तेवर से सांसत में सरकार और सीबीआई / अनामी शरण बबल

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सुप्रीम कोर्ट में बेपर्दा होगा सीबीआई

सीबीआई केंद्र सरकार के गले की फांस बनती दिख रही हैं। केंद्रीय सतर्कता आयोग द्वारा समय पर  रिपोर्ट नहीं देने के कारण आज इ की सुनवाई हुई। जांच रिपोर्ट की तारीफ करते हुए मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने सबकी सराहना की। सेवानिवृत्त ज़ एके पटनायक के प्रति धन्यवाद ज्ञापन किया। और सीलबंद तीन लिफाफा अलग अलग देते हुए इसकी गोपनीयता को बनाए रखने का निर्देश दिया। मुख्य न्यायाधीश ने सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा से और भी जानकारी सहित कुछ मामलों में स्पष्टीकरण देने को कहा गया है। निदेशक आलोक वर्मा की सफाई के बाद कोर्ट को संपूर्ण मामला साफ होने की उम्मीद है। सारा मामला आलोक वर्मा की सफाई पर निर्भर करेगा कि अंतत: कोर्ट उनसे क्या और किस मामले में स्पष्टीकरण चाहती है। सीबीआई नंबर टू राकेश अस्थाना द्वारा प्रति मांगने की अर्जी को ठुकरा दिया गया। अस्थाना ने निदेशक आलोक पर दो करोड़ रुपये की रिश्वत लेने का आरोप लगाया है। दोनों अधिकारियों की उठा-पटक गतिविधियों के कारण इस पीएमओ ने रातो रात निदेशक आलोक वर्मा को जबरन छुट्टी पर भेज दिया था। जिसके खिलाफ आलोक वर्मा सुप्रीम कोर्ट में चले गए। जिसके बाद से ही सुप्रीम कोर्ट ने सीवीसी को दो सप्ताह में जांच करके रिपोर्ट देने का निर्देश दिया था। उधर सरकार द्वारा नियुक्त निदेशक को सुप्रीम कोर्ट ने केवल कागजी कार्रवाई तक सीमित रहने की लक्ष्मण सीमा तय कर दी थी।   ====== सुप्रीम कोर्ट की गतिविधियों और सीवीसी की जांच से पिछले दो साल से विभाग के भीतर की उठा पटक का खुलासा होगा। देखना है कि एक दूसरे को नीचा दिखाने की गलाकाट अंहकार लडाई में किसकी पोल खुलती हैं और किस मामले को दबाने छिपाने टालने और लटकाने का भी राज खुल सकता है कि आखिरकार इस तोताराम का संचालन कौन कब कहां कैसे और किस तरह करता है?

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