टाटा ग्रुप की दिलचस्पी से जेट एयरवेज पर बाजार का भरोसा बढा /अनामी शरण बबल

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जेट एयरवेज और टाटा ग्रुप में बाजारी सगाई की संभावना
                            भारत के सबसे बड़ी प्राइवेट एयरलाइंस जेट एयरवेज में टाटा ग्रुप की दिलचस्पी की खबर फैलते ही इसके प्रति बाजार और शेयरधारकों का भरोसा जागने लगा है। जेट एयरवेज के साथ मिलकर टाटा ग्रुप के काम करने की कोशिश जारी है। हालांकि दोनों के बीच बातचीत का दौर आरंभिक स्टेज पर ही है, इसके बावजूद मुसीबत की मारी जेट एयरवेज के दिन फिरने की उम्मीदें हरियाने लगी है। शेयर बाजार में भी टाटा ग्रुप की रूचि को सकारात्मक ढंग से लिया है और देखते ही देखते जेट एयरवेज का स्टॉक ने 24%की उछाल के साथ ही निराश शेयरधारकों में जान डाल दी है। कभी आसमान के किंग रहे जेट एयरवेज की भारतीय आकाश में तूती बोलती थी। समय सेवा सत्कार और सुरुचिपूर्ण घरेलू व्यावहार के चलते औरों से थोड़ा महंगा होने के बाद भी इसकी बादशाहत कायम थी। सहारा एयरवेज को समाहित करके जेट ने अपना विस्फोटक विस्तार किया। भारत में इसके बराबर कोई नहीं था मगर आसमान में तीखी प्रतिस्पर्धा और फेयरवार ने सभी एयरवेज को सांसत में डाल दिया। मगर भारत में हवाई यात्रियों की संख्या में विस्फोटक बढोतरी के साथ ही निजी कंपनियों को संघर्ष करने का साहस दिया। और आज निजी कंपनियों की सेवाओं में लगातार विस्तार के बावजूद यात्रियों की  संख्या भी अप्रत्याशित रूप से काफी बढ़ गयी है। यदि हवाई रूट से जुडाव है तो देर रात की नाईट फ्लाइट से लेकर अलगू सुबह-सुबह भी पैसेंजरों की तादाद के मुकाबले हवाई जहाज कम पड़ रहे हैं। भारतीयों में हवाई यातायात को तरजीह देने के बाद निजी कंपनियों की हालत में सुधार आया है। मगर स्काई किंग्स जेट एयरवेज की बादशाहत और नंबर एक का रूतबा संकट में आ गया। वित्तीय संकट और लगातार घाटे को पाटने में जेट एयरवेज का गणित सेट नहीं कर पाया। देखते ही देखते हजारों करोड़ रुपए के घाटे में आकर जेट एयरवेज का कारोबार फिसलने लगा। बाजार में किंगफिशर एयरलाइंस और सहारा एयरलाइंस की तरह इसके दिन भी लदने की चर्चा होने लगी। व्यापक रूप से यहां के कर्मचारियों को दूसरे एयरवेज ने अपने साथ जोड़ना आरंभ कर दिया।   मलेशिया एयरटेल के साथ टाटा के साझे में एयर एशिया एयरलाइंस की बाजार में काफी चर्चे होते रहे। सबसे लोइर फेयर रखने की योजना को लेकर भी इसके प्रति यात्रियों की दिलचस्पी थी। तभी विस्तारा एयरलाइंस के आने से भी यात्री अलौकिक अंदाज में बेहतरीन सेवा से रूबरू हुए। इसमें टाटा की साझेदारी थी। मगर चर्चा है कि टाटा ग्रुप विस्तारा  के साथ अलग होकर जेट एयरवेज के साथ अपनी शर्तों और अपने अंदाज में  नयी पारी आगाज करने के लिए इच्छुक हैं। टाटा ग्रुप की दिलचस्पी  के साथ ही जेट एयरवेज के हताश कर्मचारियों और शेयरधारकों में नयी जान आ गयी है। बाजार में 28%की हिस्सेदारी भी प्रतिस्पर्धा में अब केवल 16%की ही हिस्सेदारी बची है। जेट एयरवेज के भविष्य को लेकर उठ रही आशंकाओं पर भुगतान मात्र टाटा की दिलचस्पी से विराम लगा है। एक दिन के बाजारी उछाल से ही दोनों के बीच नये समीकरण की संभावनाओं को नया आकार और आकाश मिला है। देखना है कि बात कहां तक जाती है और मिलजुल जेट एयरवेज के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उडान सेवा में क्या परिवर्तन और परिणाम सामने आता है। यानी टाटा और जेट की सगाई से निजी एयरलाइंस संसार में फिर धमाका की उम्मीदों को बल मिलेगा।
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