जनता के राष्ट्रपति डॉ कलाम की तीसरी पुण्यतिथि

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!

भारत के मिसाइलमैन के नाम से मशहूर हुए भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को दुनिया से रूख्सत हुए आज तीन साल हो गए हैं। वर्ष 2015 में आज (27 जुलाई) ही के दिन भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) शिलौंग में ‘रहने योग्य ग्रह’ विषय पर एक व्याख्यान के दौरान दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। वह एक जाने-माने वैज्ञानिक, अभियंता (इंजीनियर) और शिक्षक थे। उन्होंने 1974 में भारत द्वारा पहले मूल परमाणु परीक्षण के बाद से दूसरी बार 1998 में पोखरण में किए गए परमाणु परीक्षण में एक निर्णायक, संगठनात्मक, तकनीकी और राजनैतिक भूमिका निभाई थी।

अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को तमिलनाडु में रामेश्वरम के धनुषकोडी गांव में एक मध्यमवर्गीय मुस्लिम परिवार में हुआ था। उनका प्रारंभिक जीवन बहुत ही गरीबी में गुजरा था, लेकिन उन्होंने अपने शिक्षक इयादुराई सोलोमन की कही गई एक बात को गांठ बांध लिया था और उसी के सहारे उन्होंने दुनियाभर में अपने काम और नाम का डंका बजवाया। उनके शिक्षक ने कहा था ‘जीवन में सफलता और अनुकूल परिणाम प्राप्त करने के लिए तीव्र इच्छा, आस्था, अपेक्षा इन तीन शक्तियों को भलीभांति समझ लेना और उन पर प्रभुत्व स्थापित करना चाहिए।’

कलाम ने वर्ष 1950 में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से अंतरिक्ष विज्ञान में स्नातक किया था। स्नातक करने के बाद उन्होंने हावरक्राफ्ट परियोजना पर काम करने के लिये भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) में प्रवेश किया। उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक के बाद कई मुकाम हासिल करते गए।

साल 1962 में वे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) से जुड़े, जहां उन्होंने सफलतापूर्वक कई उपग्रह प्रक्षेपण परियोजनाओं में अपनी भूमिका निभाई। उन्हीं के निर्देशन में भारत ने अपना स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी-3 बनाया था। अग्नि और पृथ्वी जैसी मिसाइलों के निर्माण के सूत्रधार भी वही थे।

इसके बाद साल 1998 में भारत ने रूस के साथ मिलकर सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल बनाने का काम शुरू किया और ब्रह्मोस प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना की गई। ब्रह्मोस मिसाइल धरती, आकाश और समुद्र कहीं से भी हमला करने में सक्षम है। मिसाइलों के क्षेत्र में भारत को मिली इस अद्भुत सफलता के बाद ही अब्दुल कलाम को मिसाइल मैन के नाम से जाना जाने लगा।

देश के प्रति उनके समर्पण और भारत में तकनीकी के विकास में उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए साल 1997 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। हालांकि इससे पहले वो साल 1981 में देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण और साल 1990 में पद्म विभूषण पा चुके थे। बता दें कि भारत का राष्ट्रपति बनने से पहले भारत रत्न पाने वाले अब्दुल कलाम देश के तीसरे राष्ट्रपति हैं। उनसे पहले यह सम्मान सर्वपल्ली राधाकृष्णन और जाकिर हुसैन ने हासिल किया था।

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
Leave A Reply

Your email address will not be published.