नई दिल्ली: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने गंगा में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए अहम टिप्पणी की है। एनजीटी की तरफ से कहा गया है कि अगर सिगरेट के पैकेट पर ‘स्वास्थ्य के लिए हानिकारक’ चेतावनी लिख सकते हैं, तो प्रदूषित गंगा के पानी को लेकर ऐसा क्यों नहीं किया जा सकता है। बता दें कि इससे पहले ट्रिब्यूनल ने गंगा में प्रदूषण को रोकने के लिए अहम फैसला सुनाया था। एनजीटी ने गंगा में गंदगी फैलाने वालों के खिलाफ सम्बंधित एजेंसियो को 50 हज़ार का जुर्माना लगाने का आदेश भी दिया था।
अपने फैसले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कहा था कि गंगा किनारे स्थापित सभी फैक्ट्रियों को बंद किया जाए। अगर कोई इंडस्ट्री मालिक इसका पालन नहीं करता तो उसके खिलाफ कर्रवाई की जाए। ट्रिब्यूनल ने यह भी कहा था कि हरिद्वार से उन्नाव तक गंगा तट से 100 मीटर की दूरी तक किसी भी तरह का निर्माण कार्य नहीं होगा। अगर 100 मीटर के अंदर कोई फैक्ट्री या निर्माण कार्य हो रहा है तो उसे तुरंत कहीं और शिफ्ट किया जाए।
गौरतलब है कि एनजीटी गंगा सफाई को लेकर तमाम राज्यों को कई बार फटकर भी लगा चुका है। एनजीटी ने गंगा किनारे बनी हुई फैक्ट्रियों को तत्काल हटाने का निर्देश दिया था क्योंकि नालों से निकलने वाला जहरीला केमिकल गंगा को प्रदूषित करता है।