कमलनाथ के छक्के से भाजपा अचंभित और लाखों किसान गदगद / अनामी शरण बबल

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नयी दिल्ली / भोपाल।

ऐसा तो किसी ने भी नहीं सोचा था। मगर कमलनाथ ने आज मध्यप्रदेश के 18 वे  मुख्यमंत्री पद और गोपनीयता का शपथ ‌ लिया। मगर मुख्यमंत्री  शपथग्रहण समारोह में ही नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ऐसा छक्का मारा कि   मुख्य विपक्षी दल भाजपा के हाथों से सारे तोते ही उड़ गए। जनता से वादा खिलाफी के मुद्दे पर कमलनाथ सरकार को घेरने की शिवराज योजना का बैलून बिनहवा के ही फुस्स हो गई। खजाने की कंगाली के बाद भी मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एक ही झटके में 44 लाक किसानों को राहत देते हुए उनके दो लाख रुपए के कर्जे को माफ करने के आदेशपत्र पर हस्ताक्षर कर दिए। इससे सरकारी खजाने पर 56 हजार करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा। सता से निकाल बाहर हुए शिवराज सरकार ने सूबे पर पौने दो लाख करोड़ रुपए का कर्ज से खजाने को खाली करके रुखसत हुए हैं। यह एक अजीब संयोग है कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बनते हीं कमलनाथ को 1984 के दंगों में शामिल होने के आरोपी  ठहराया, और दिल्ली से लेकर भोपाल तक कमलनाथ के खिलाफ धरना प्रदर्शन आरंभ हो गया है।

उल्लेखनीय है कि विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने किसानों के दो लाख रुपए के कर्ज को सता संभालने के केवल दस दिनों के भीतर माफी की घोषणा की थी। कांग्रेस सुप्रीमो राहुल गांधी ने तो यहां तक वायदा किया था कि यदि दस दिनों में कर्ज माफी नहीं हुआ तो मुख्यमंत्री को ही बदल देंगे। अध्यक्ष गांधी का तर्क था कि केंद्र सरकार यदि अपने कारोबारी दोस्तों के एक लाख करोड़ रुपए का कर्ज माफ कर सकते हैं तो लाखों किसानों के कर्ज भी माफ़ हो सकते हैं। और सूबे में चुनाव जीतने के साथ हीं यह मजाक प्रचलित सा हो गया कि कमलनाथ केवल दस दिन के कांग्रेसी  मुख्यमंत्री साबित होंगे। मगर सबों को अवाक अचंभित करते हुए कमलनाथ ने मुख्यमंत्री शपथग्रहण समारोह में ही कर्ज़ माफी फाईलों पर हस्ताक्षर करते हुए 44 लाख किसानों को खुशहाल बनाते हुए निहाल कर दिया।  सभी किसानों तक इसको लाभ पहुंचाने के लिए कार्यकर्ताओं को टीम बनाकर लाभकारी    किसानो  की सूची देने का सवाल ?बनाने पर भी मुख्यमंत्री ने जोर दिया है। सभी सहकारी और सरकारी बैंकों को इसके लिए योजना बनाने का निर्देश दिया है। उल्लेखनीय हैं कि पिछले 15 सालों में  मध्यप्रदेश में ढाई  हजार किसानों ने आत्महत्याएं की है। छत्तीसगढ़ के किसानों की संख्या को जोड़ दे तो आत्महत्या करने वाले किसानों की यह  संख्या चार हजार  से भी अधिक हो जाती है। मुख्यमंत्रीअगले सप्ताह से कर्ज़ माफ़ी की कार्रवाई आरंभ करने का ऐलान किया है।  मार्च 2019 तक सभी 44 लाख किसानों  तक इसका लाभ पहुंचाने का लक्ष्य तय कर दिया है। मालूम हो कि पिछले तीन दिनों से कमलनाथ सूबे के सभी जिला के डीएम को फोन करके एक सप्ताह के भीतर बैंक और प्रखंड से किसानी कर्ज का ब्यौरा  प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।  यानी सता संभालने से पहले ही कमलनाथ ने अपनी तेजी सक्रियता सटीकता और सक्षमता का ऐसा छक्का मारा कि  15 साल से सता की बागडोर थामें भाजपा भी कमलनाथ के इस खेल को बूझने में विफल कर दिया। लाखों मजबूर किसानों के मुरझाए चेहरे पर संतोष की मुस्कान आ गयी।  एक अनौपचारिक बातचीत में शपथग्रहण समारोह से पहले कमलनाथ ने समग्र भारत से कहा कि किसानों के साथ साथ युवाओं बेरोजगारों कारोबारियों कानून प्रशासन और सामाजिक समरसता पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया जाएगा। यानी 15 साल के बाद सता में वापसी करते ही कांग्रेस के काम से भाजपा के काम का एक नया अध्याय का आरंभ हो चुका है।

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