रामविलास पासवान को अब राज्यसभा भेजने की तैयारी /अनामी शरण बबल

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दलित वोटों के लिए लोजपा का साथ चाहती है एनडीए / अनामी शरण बबल

  अगले साल 2019 में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर एनडीए अपनी एकता को लेकर गंभीर हो गयी है।  गठबंधन में दलित धार देने के लिए भाजपा अब असम से रामविलास पासवान को राज्यसभा में भेजने पर सहमत हो गयी है। सहयोगियों के आगे तेवर ढीले-करके एनडीए बिना टेंशन के मैदान में उतरने के लिए दृढ संकल्पित है। पीएम के सीधे हस्तक्षेप के बाद बिहारी राजनीति में टकराव की संभावना कम हो गयी है। कुशवाहा को भी बिहार में जमकर काम करने की सलाह दी है।                               ==   बिहार के 40 सीटों के बंटवारे को लेकर  असंतुष्ट लोक जनशक्ति पार्टी के सुप्रीमो रामविलास पासवान और रालोसपा के उपेन्द्र कुशवाहा-शांत रहते हुए भी भीतर से व्यग्र थे। अपने कैबिनेट सहयोगियों की भावनाओं का सम्मान करते हुए प्रधानमंत्री ने दोनों पक्षों को अपने साथ रखने का विश्वास जताया। अपनी तरफ से पहल करते हुए पासवान को राज्यसभा में भेजने और कुशवाहा को पर्याप्त सम्मान के साथ रखने का भरोसा दिया। पीएम की तत्परता से भूचाल की संभावना पर विराम लगता दिख रहा है। उल्लेखनीय है कि 17-17 सीटों पर जेडीयू और भाजपा में सहमति बन जाने के बाद जेडीयू ने जमुई सीट की मांग कर दी थी। लोजपा के पासवान पुत्र चिराग पासवान यहां से सांसद हैं। जेडीए की मांग से नाराज लोजपाईयों की नाराजगी को दूर करने के लिए पीएम ने पासवान को असम से राज्यसभा भेजने का भरोसा दिया। रामविलास पासवान ने हाजीपुर संसदीय सीट को अपने बेटे चिराग पासवान के लिए छोड़ने का संकेत दिया। एनडीए के इस प्रस्ताव के बाद चिराग पासवान ने भी अपनी जिद छोड़ दी है। लोजपा भी अब अपने अध्यक्ष रामविलास पासवान के अलावा अपने हिस्से की चार सीटों पर संतुष्ट हैं। उधर रालोसपा को भी पीएम की तरफ से कुछ प्रस्ताव दिए गए हैं जिससे कुशवाहा भी अब एनडीए के प्रति अपनी निष्ठा जाहिर की है। ======= दलित वोटरों को आकृष्ट करने और सरकारी उपलब्धियों की जानकारी जन-जन तक पहुंचाने की जिम्मेदारी पासवान सहित पार्टी के दलित नेताओं को दिए जाने की संभावना है। देश की 90 आरक्षित सीटों के लिए एनडीए अपनी रणनीति बनाएगी। अब देखना है कि नयी उम्मीद नये तेवर नयी तैयारी और नये-नये मुहावरे दार शैली में जुमलों की बरसात का आमसभा चुनाव पर क्या असर रहता है? जुमलों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र  मोदी के लिए भी यह चुुुुनाव विकास के साथ साथ मंदिर मसले की भी अग्निपरीक्षा हो सकती है।

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