विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने कहा- भारत, सीमा पार से आतंकवाद को कतई बर्दाश्त न करने की नीति पर अडिग
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 25 सितंबर। विदेश मंत्री डॉ.एस. जयशंकर ने कहा है कि भारत सीमा पार से आतंकवाद को कतई बर्दाश्त न करने की नीति पर अटल है। कल रात न्यूयॉर्क में संयुक्तराष्ट्र महासभा के 77वें अधिवेशन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत दशकों से सीमा पार से आतंकवाद का दंश झेल रहा है। उन्होंने कहा कि कारण चाहे कोई भी हो, आतंकवाद की किसी भी गतिविधि का कोई औचित्य नहीं है। जिन देशों ने संयुक्तराष्ट्र में घोषित आतंकवादियों का बचाव किया है, उन्होंने न तो अपने हितों की रक्षा की और न ही अपनी प्रतिष्ठा बचायी।
यूक्रेन के मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करते हुए भारत ने शांतिपूर्ण बातचीत और राजनयिक माध्यम से संघर्ष के समाधान की प्रतिबद्धता दोहराई। डॉ. जयशंकर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन में, राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बातचीत में कहा था कि भारत इस संघर्ष को लेकर चिंतित है और इस समस्या के शांतिपूर्ण समाधान के पक्ष में है। उन्होंने कहा कि इस संघर्ष के शीघ्र समाधान के लिए संयुक्त राष्ट्र के दायरे में और बाहर से भी सामूहिक प्रयास जरूरी हैं।
विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम ने पिछले 75 वर्ष में भारत की आर्थिक प्रगति की सराहना की। उन्होंने कहा कि उपनिवेशवाद ने भारत को एक निर्धन देश बना दिया था लेकिन आज वह विश्व की पांच सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में एक है।
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत, जलवायु परिवर्तन की रोकथाम में समान भागीदारी के लिए अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन, एक सूर्य- एक विश्व- एक ग्रिड और आपदा समायोजी बुनियादी ढांचा पहल के अन्तर्गत अन्य साझेदारों के साथ प्रयास कर रहा है।