पत्रकार सम्मान पेंशन योजना में ऐतिहासिक वृद्धि

नीतीश सरकार ने पत्रकारों की पेंशन में की दोहरे अंक की वृद्धि

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  • पत्रकारों की मासिक पेंशन ₹6,000 से बढ़कर ₹15,000 कर दी गई।
  • मृत पत्रकारों की पत्नियों के लिए पेंशन ₹3,000 से बढ़ाकर ₹10,000 कराई गई।
  • यह घोषणा विधानसभा चुनाव से पहले आते हुए पत्रकारों को सम्मान देने की रणनीतिक पहल मानी जा रही है।

समग्र समाचार सेवा
पटना, 26 जुलाई 2025 — बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज ‘बिहार पत्रकार सम्मान पेंशन योजना’ के तहत पत्रकारों के लिए एक ऐतिहासिक घोषणा की है। इसके तहत अर्हता प्राप्त सेवानिवृत्त पत्रकारों को ₹6,000 की जगह अब ₹15,000 प्रति माह पेंशन दी जाएगी। साथ ही, मृत पत्रकारों की पत्नी को ₹3,000 की बजाय ₹10,000 मासिक पेंशन मिलेगी। यह वृद्धि संविधान की चौथी स्तंभ पत्रकारों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

नीतीश कुमार ने ट्वीट कर कहा:

“मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि बिहार पत्रकार सम्मान पेंशन योजना के तहत अब सभी पात्र पत्रकारों को ₹15,000 प्रति माह प्राप्त होंगे। मृत पत्रकार के आश्रित को अब उम्र भर ₹10,000 की पेंशन दी जाएगी।”

उन्होंने पत्रकारों को लोकतंत्र की चौथी शक्ति करार देते हुए कहा कि उन्हें निष्पक्ष और निर्भीक पत्रकारिता के लिए वित्तीय समर्पण जरूरी है। इस घोषणा को चुनावी माहौल में पत्रकार समुदाय को सम्मान का प्रतीक माना जा रहा है।

योजना का महत्व और विस्तृत विवरण

300% से अधिक पेंशन वृद्धि: ₹6,000 से ₹15,000 तक पेंशन में उल्लेखनीय बढ़ोतरी।

परिवार की सुरक्षा: मृत पत्रकारों की पत्नियों के लिए पेंशन राशि में भी तीन गुना वृद्धि।

स्थायी आय सुनिश्चित: सरकार ने स्पष्ट किया है कि परिवार को जीवन भर यह पेंशन मिलती रहेगी।

राजनीतिक और चुनावी बिंदु

इस घोषणा को चुनावों से पहले एक राजनीतिक रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। क्योंकि पत्रकार वर्ग चुनावों की प्रक्रिया व निष्पक्षता पर नजर रखते हैं, ऐसे में यह कदम ध्रुवीकरण और सकारात्मक संदेश दोनों को दर्शाता है। विरोधियों ने आरोप लगाया है कि यह घोषणा RJD की पहले की घोषणाओं की नकल है, लेकिन JDU ने इसे जनहित में लिया गया निर्णय बताया है।

राज्य सरकार ने संबंधित विभाग को तत्काल़ निर्देश दिए हैं कि पेंशन बढ़ोतरी शीघ्र प्रभाव में लाई जाए। पत्रकार संगठनों ने भी इस पहल का स्वागत करते हुए इसे एक “सम्मान और आत्मनिर्भरता” की दिशा बताया है। इस कदम से पत्रकारों की जीवन-स्तरीय वित्तीय चुनौतियाँ काफी हद तक दूर हो सकती हैं।

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