अगर हिंदू नहीं रहेगा तो दुनिया नहीं रहेगी: मोहन भागवत
इंफाल में RSS प्रमुख ने कहा, 'कुछ बात है जो हस्ती मिटती नहीं हमारी', धर्म दुनिया को देने का काम हिंदू समाज का
- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि अगर हिंदू समाज नहीं रहा, तो दुनिया भी नहीं रहेगी।
- उन्होंने जोर देकर कहा कि हिंदू समाज का अस्तित्व ईश्वर प्रदत्त है और ‘धर्म नाम की चीज को दुनिया को देने का काम’ हिंदू ही करेगा।
- भागवत ने सामाजिक सद्भाव स्थापित करने के लिए धैर्य और सामूहिक प्रयास की जरूरत बताते हुए कहा कि RSS मणिपुर में शांति स्थापना के लिए प्रतिबद्ध है।
समग्र समाचार सेवा
इंफाल, 22 नवंबर: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को मणिपुर की राजधानी इंफाल में हिंदू धर्म के ‘अमर’ अस्तित्व और उसकी वैश्विक भूमिका पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि भारत में बना सामाजिक नेटवर्क ही वह कारण है जिसके चलते हिंदू समाज को कभी खत्म नहीं किया जा सकता।
भागवत ने कहा कि दुनिया में समय-समय पर हर देश पर कई तरह की परिस्थितियाँ आईं। इन हालात में यूनान, मिस्र, रोम जैसी महान सभ्यताएँ और देश दुनिया के नक्शे से मिट गए। उन्होंने कहा कि इन सभी का उदय और अस्त भारत ने देखा है, लेकिन भारत अभी भी वैसा ही है और आगे भी बना रहेगा। इसी संदर्भ में उन्होंने प्रसिद्ध शायर इक़बाल की पंक्ति का उल्लेख किया और कहा, “कुछ बात है जो हस्ती मिटती नहीं हमारी।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत एक अमर समाज और सभ्यता का नाम है। यह अमरता इसलिए है क्योंकि हमने अपने समाज का एक ऐसा मजबूत और टिकाऊ नेटवर्क बनाया है, जिसने हमें एकजुट रखा है।
‘धर्म नाम की चीज को दुनिया को देने का काम हिंदू ही करेगा’
मोहन भागवत ने हिंदू समाज के अस्तित्व के महत्व को रेखांकित करते हुए एक बहुत बड़ा बयान दिया। उन्होंने साफ शब्दों में कहा, “अगर हिंदू नहीं रहेगा तो दुनिया नहीं रहेगी।”
सरसंघचालक ने कहा कि यह जो ‘धर्म’ नाम की चीज है, समय-समय पर उसको जीकर दुनिया को देने का काम हिंदू समाज ही करेगा। यह उसका ईश्वर प्रदत्त कर्तव्य है। उन्होंने हिंदू धर्म की पहचान को समय-समय पर दुनिया को बताना जरूरी समझा और कहा कि भले ही परिस्थिति के हिसाब से सबको चलना पड़ता है, लेकिन हमारी मूलभूत पहचान अक्षुण्ण बनी रहनी चाहिए। उन्होंने जोर दिया कि हिंदू धर्म की यह जिम्मेदारी है कि वह दुनिया को नैतिक और आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान करता रहे।
मणिपुर में सामाजिक सद्भाव और शांति पर बल
अपने संबोधन में, मोहन भागवत ने मणिपुर जैसे संवेदनशील राज्य में सामाजिक सद्भाव, सभ्यतागत एकता और दीर्घकालिक शांति की आवश्यकता पर विशेष बल दिया। उन्होंने कहा कि RSS देश के हर हिस्से को लेकर चिंतित है और मणिपुर के लिए जो भी संभव होगा, हम कर रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे।
संघ प्रमुख ने निर्माण और विनाश के बीच का अंतर समझाते हुए कहा कि विनाश में केवल 2 मिनट लगते हैं, लेकिन निर्माण में 2 साल लग जाते हैं। उन्होंने कहा कि समावेशी ढंग से और बिना किसी को नुकसान पहुँचाए किसी भी चीज का निर्माण करना कठिन होता है, खासकर तब जब लोगों के बीच मेलजोल का भाव लाना हो।
भागवत ने माना कि सद्भाव लाने में समय लगेगा, लेकिन यह कार्य धैर्य, सामूहिक प्रयास और सामाजिक अनुशासन की मांग करता है। उन्होंने आश्वस्त किया कि RSS का मकसद फिर से सबको एक करना है और हमारा संगठन किसी सरकार के बलबूते नहीं, बल्कि अपने नेटवर्क के बल पर हर जगह काम कर रहा है। यह दौरा ऐसे समय में हुआ है जब मणिपुर में आंतरिक शांति एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है, जिससे भागवत के शांति और समावेश के संदेश को और अधिक महत्व मिलता है।