ममता ने SIR को बताया ‘खतरनाक’, CEC को लिखा पत्र
वोटर लिस्ट के 'विशेष गहन पुनरीक्षण' (SIR) पर घमासान; CM का दावा- यह पिछले दरवाजे से NRC लागू करने की साजिश।
- पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग के SIR (Special Intensive Revision) को लोकतंत्र के लिए ‘खतरनाक’ बताया है।
- उन्होंने CEC को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि यह प्रक्रिया पिछले दरवाजे से NRC (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) है, जिससे बंगाल में वास्तविक नागरिकों के नाम काटे जा रहे हैं।
- CM ने दावा किया कि इस प्रक्रिया के डर से राज्य में कई अवांछित मौतें हुई हैं और EC को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है।
समग्र समाचार सेवा
कोलकाता, 20 नवंबर: पश्चिम बंगाल में इन दिनों मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR – Special Intensive Revision) को लेकर राजनीतिक घमासान मचा हुआ है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस प्रक्रिया को लेकर अपनी आपत्ति दर्ज कराने के लिए मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) को एक और कड़ा पत्र लिखा है। उन्होंने SIR प्रक्रिया को न केवल अनावश्यक, बल्कि लोकतंत्र और राज्य के नागरिकों के लिए ‘खतरनाक’ बताया है।
चुनाव आयोग (EC) ने देश के 12 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूची की ‘अशुद्धियों’ को दूर करने के लिए SIR की घोषणा की थी। आयोग का कहना है कि यह प्रक्रिया मतदाता सूची को साफ करने, मृत या फर्जी मतदाताओं के नाम हटाने और पलायन कर चुके लोगों के नाम सही करने के लिए जरूरी है। हालांकि, तृणमूल कांग्रेस (TMC) की प्रमुख ममता बनर्जी इसे ‘वोटबंदी’ और भाजपा की साजिश करार दे रही हैं।
CM ममता के गंभीर आरोप: ‘पिछला दरवाजा NRC’
अपने पत्र में, ममता बनर्जी ने CEC को लिखे संदेश में स्पष्ट रूप से कहा है कि SIR, राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) को पिछले दरवाजे से लागू करने की कोशिश है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस प्रक्रिया के तहत, खासकर बंगाली-भाषी, अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अल्पसंख्यक समुदायों के वास्तविक नागरिकों को परेशान किया जा रहा है और उनके नाम मतदाता सूची से हटाने की योजना बनाई जा रही है।
ममता बनर्जी ने यह भी सवाल उठाया कि चुनाव आयोग ने यह प्रक्रिया पर्व-त्योहारों के बीच क्यों शुरू की, जब अधिकांश लोग व्यस्त होते हैं या छुट्टियों पर होते हैं। उन्होंने भाजपा नेताओं के उस कथित बयान को भी आधार बनाया जिसमें प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही 1.5 करोड़ मतदाताओं के नाम काटे जाने का दावा किया गया था। CM ने EC से सवाल किया कि क्या योजनाएं पार्टी कार्यालयों में बन रही हैं और आयोग उन पर केवल मुहर लगा रहा है? उन्होंने EC से अपनी निष्पक्षता बनाए रखने की मांग की।
SIR के डर से हुई मौतों का दावा
सबसे गंभीर आरोप लगाते हुए, ममता बनर्जी ने दावा किया कि SIR की घोषणा के बाद से राज्य में कई अवांछित मौतें हुई हैं, जिसमें लोगों ने NRC के डर से आत्महत्या जैसा कदम उठाया है। उन्होंने इन मौतों के लिए सीधे तौर पर चुनाव आयोग को जिम्मेदार ठहराया है, जिसके चलते राज्य में तनाव और भ्रम की स्थिति पैदा हुई है। उन्होंने CEC से इस मानवीय संकट पर ध्यान देने और इस प्रक्रिया को तुरंत रोकने की मांग की है।
चुनाव आयोग का रुख स्पष्ट
ममता बनर्जी के इन गंभीर आरोपों के बावजूद, चुनाव आयोग ने SIR प्रक्रिया को जारी रखने का फैसला किया है। आयोग ने CM के दावों का खंडन करते हुए स्पष्ट किया है कि यह केवल मतदाता सूची का एक मानक पुनरीक्षण है और इसका नागरिकता से कोई लेना-देना नहीं है। इसके उलट, आयोग के एक उप चुनाव आयुक्त ने कोलकाता में समीक्षा बैठक कर राज्य के अधिकारियों को सख्त चेतावनी दी है कि SIR प्रक्रिया में किसी भी तरह की चूक होने पर उन्हें जवाबदेह ठहराया जाएगा। आयोग ने अधिकारियों को इस प्रक्रिया को तेजी से और त्रुटिरहित तरीके से पूरा करने के निर्देश दिए हैं।
इस पूरे विवाद ने बंगाल की राजनीति में गरमाहट बढ़ा दी है और यह स्पष्ट है कि आगामी चुनावों तक मतदाता सूची का यह ‘पुनरीक्षण’ एक प्रमुख राजनीतिक मुद्दा बना रहेगा।