SIR में खुलासा: बंगाल के आधार डेटा में भारी गड़बड़ी

यूआईडीएआई ने बताया—13 लाख लोगों के पास कभी आधार ही नहीं था, फिर भी वे अब मृत सूची में पाए गए; फर्जी और मृत मतदाताओं को हटाने के लिए SIR अभियान जारी।

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  • 2009 से अब तक बंगाल में 34 लाख आधार कार्ड धारक मृत पाए गए।
  • 13 लाख लोग ऐसे, जिनके पास आधार नहीं था लेकिन डेटा में मृत दर्ज।
  • बूथ स्तर अधिकारी घर-घर जाकर गणना फॉर्म वितरित कर रहे हैं।
  • फर्जी, मृत और दोहराए गए नाम पाए जाने पर BLO पर कार्रवाई होगी।

समग्र समाचार सेवा
कोलकाता, 13 नवंबर: पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची को साफ और अपडेट करने के लिए चल रही विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया के बीच एक बड़ा खुलासा सामने आया है। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने चुनाव आयोग को बताया है कि राज्य में आधार शुरू होने (जनवरी 2009) के बाद से अब तक करीब 34 लाख ऐसे लोग दर्ज हैं जिनकी मृत्यु हो चुकी है, लेकिन आधार डेटा में उनके नाम सक्रिय थे।

इसके अलावा UIDAI ने यह भी जानकारी दी कि लगभग 13 लाख लोग ऐसे थे जिनके पास कभी आधार कार्ड बना ही नहीं, लेकिन अब वे मृत नागरिकों की सूची में शामिल पाए गए हैं। यह अपडेट बुधवार को मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) मनोज कुमार अग्रवाल और UIDAI अधिकारियों के बीच हुई समीक्षा बैठक में साझा किया गया।

यह बैठक चुनाव आयोग के उस निर्देश के बाद हुई जिसमें राज्यों को आधार प्राधिकरण से मिलकर मतदाता सूची के डेटा का मिलान करने को कहा गया था, ताकि फर्जी, मृत या दोहराए गए नामों को हटाया जा सके।

सीईओ कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, आयोग को लंबे समय से फर्जी मतदाताओं, मृत व्यक्तियों के नाम जारी रहने, ग़ैरहाज़िर मतदाताओं, और दोहराए गए प्रविष्टियों को लेकर शिकायतें मिल रही थीं। UIDAI का यह डेटा मतदाता सूची को शुद्ध करने में बड़ी मदद करेगा।

अधिकारियों ने बताया कि मृत व्यक्तियों की पहचान में बैंकों से मिली जानकारी भी उपयोगी साबित हो रही है। क्योंकि ज्यादातर खाते आधार से जुड़े हैं, और जिन खातों में वर्षों से KYC अपडेट नहीं हुई है, वे मृत नागरिकों के संभावित रिकॉर्ड की पुष्टि करने में मदद कर रहे हैं।

राज्य में SIR अभियान के तहत बूथ स्तर अधिकारी (BLO) घर-घर जाकर 2025 की मतदाता सूची के आधार पर गणना फॉर्म बांट रहे हैं। इन फॉर्मों की तुलना वर्ष 2002 की पुराने मतदाता रिकॉर्ड से की जा रही है। बुधवार रात तक राज्य में 91.19% यानी 6.98 करोड़ फॉर्म बांटे जा चुके थे।

अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि आगामी प्रारूप मतदाता सूची में किसी BLO के बूथ पर मृत, फर्जी या दोहराए गए नाम पाए गए, तो संबंधित BLO के खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

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