प्रचार करने पहुंचे तेज प्रताप को RJD समर्थकों ने खदेड़ा, ‘तेजस्वी जिंदाबाद’ के लगे नारे — लालू परिवार की कलह अब सड़क पर
महनार में JJD प्रमुख तेज प्रताप यादव को झेलना पड़ा RJD समर्थकों का विरोध, जय सिंह राठौर ने लगाया साजिश का आरोप — दोनों दलों पर जनता में नाराज़गी बढ़ी
- 
महनार में तेज प्रताप यादव के जनसभा के दौरान RJD कार्यकर्ताओं ने ‘तेजस्वी जिंदाबाद’ के नारे लगाए।
- 
JJD प्रत्याशी जय सिंह राठौर ने RJD उम्मीदवार रविंद्र सिंह पर साजिश रचने का आरोप लगाया।
- 
टिकट खरीद, शराब और पैसे से वोट मांगने के आरोपों ने चुनावी माहौल को गर्माया।
- 
RJD और JJD की आपसी कलह ने जनता के असली मुद्दों को हाशिए पर धकेल दिया।
समग्र समाचार सेवा
महनार, बिहार | 30 अक्टूबर:
प्रचार करने पहुंचे तेज प्रताप को RJD समर्थकों ने खदेड़ा, ‘तेजस्वी जिंदाबाद’ के लगे नारे — लालू परिवार की कलह अब जनता के सामने
बिहार की सियासत में एक बार फिर परिवारिक ड्रामा खुलकर सामने आ गया। महनार विधानसभा क्षेत्र में लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को जनसभा के दौरान RJD समर्थकों के विरोध का सामना करना पड़ा। तेज प्रताप अपनी पार्टी जनशक्ति जनता दल (JJD) के उम्मीदवार जय सिंह राठौर के लिए वोट मांगने पहुंचे थे, लेकिन सभा में ही माहौल बिगड़ गया।
सभा स्थल पर मौजूद RJD कार्यकर्ताओं ने ‘तेजस्वी यादव जिंदाबाद’ और ‘लालटेन छाप जिंदाबाद’ के नारे लगाते हुए आक्रोशित समर्थकों ने तेज प्रताप के काफिले को कुछ दूर तक खदेड़ कर भगाया
सभा बनी टकराव का मंच
यह घटना हीरानंद उच्च विद्यालय के प्रांगण में हुई, जहां तेज प्रताप शाम 5 बजे पहुंचे और करीब एक घंटे तक भाषण दिया।
सभा के खत्म होते ही RJD समर्थक उग्र हो गए और नारेबाजी करने लगे। तेज प्रताप का काफिला कुछ दूर तक भीड़ से घिरा रहा, जिसके बाद उन्हें सुरक्षा घेरे में वहां से निकालना पड़ा।
वे हेलीकॉप्टर से पहुंचे थे, लेकिन देर होने के कारण लौटते वक्त सड़क मार्ग से महुआ के लिए रवाना हो रहे थे, तभी विरोध तेज हो गया।
JJD उम्मीदवार का पलटवार — ‘साजिश RJD की’
JJD उम्मीदवार जय सिंह राठौर ने इस घटना के लिए सीधे RJD प्रत्याशी रविंद्र सिंह को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, “यह पूरा विरोध एक सोची-समझी साजिश थी। RJD अब चुनाव नहीं, गुंडागर्दी के बल पर जीतना चाहती है।”
राठौर ने यह भी आरोप लगाया कि RJD ने करोड़ों में टिकट बेचे हैं , “रविंद्र सिंह ने 15–16 करोड़ में टिकट खरीदा है और 5–6 करोड़ रुपये चुनाव में उड़ाए जाएंगे, शराब और पैसे से वोट खरीदे जाएंगे।”
RJD और JJD दोनों पर उठे सवाल
यह पूरा घटनाक्रम यह भी दिखाता है कि बिहार की राजनीति में वैचारिक नहीं, व्यक्तिगत लड़ाई चल रही है।
जहां RJD ने खुद को “गरीबों की पार्टी” बताकर सत्ता में जगह बनाई थी, वहीं अब उसके कार्यकर्ता खुद विरोध के नाम पर हिंसा और नारेबाजी की राजनीति कर रहे हैं।
दूसरी ओर तेज प्रताप यादव, जो कभी RJD का चेहरा हुआ करते थे, अब अपनी छोटी पार्टी के सहारे अपने भाई से बदला लेने की राजनीति कर रहे हैं।
दोनों भाई अब जनता के मुद्दों से हटकर अहम और विरासत की जंग लड़ रहे हैं,  एक “जननायक” कहलाने की कोशिश में है, तो दूसरा “जनशक्ति” दिखाने में।
परिवारिक विवाद की छाया राजनीति पर
तेज प्रताप और तेजस्वी के बीच तनाव अब किसी से छिपा नहीं है। तेज प्रताप ने हाल ही में कहा था कि तेजस्वी यादव लालू प्रसाद की छत्रछाया में रहकर खुद को जननायक बता रहे हैं, जबकि असली जननायक वे होते हैं जो जनता के बीच काम करें।
उन्होंने गांधी, अंबेडकर और कर्पूरी ठाकुर का उदाहरण देते हुए तेजस्वी पर तंज कसा था।
तेज प्रताप ने यह भी चेतावनी दी थी कि अगर तेजस्वी महुआ में प्रचार करने आएंगे, तो वह राघोपुर में जाकर प्रचार करेंगे, यानी अब भाईचारा नहीं, सीधा मुकाबला।
जनता के मुद्दे हाशिए पर
महनार की इस घटना ने एक बार फिर साबित किया कि बिहार में जनता के मुद्दों से ज़्यादा परिवार की राजनीति और निजी अहंकार अहम है।
जहां RJD खुद को जनता की आवाज़ बताती है, वहीं उसके कार्यकर्ता विरोधियों को सड़क पर घसीटने में लगे हैं।
उधर तेज प्रताप जनता की सेवा की बात करते हैं, लेकिन उनके मंच पर जनता से ज़्यादा परिवारिक शिकायतें गूंजती हैं।
 
			