रेलवे का बड़ा रिकॉर्ड: H1 FY26 में 56.5% पूंजीगत व्यय का उपयोग
आधुनिकीकरण की तेज़ रफ़्तार! नई लाइनों और रोलिंग स्टॉक पर रिकॉर्ड खर्च
- रिकॉर्ड उपयोग: भारतीय रेलवे ने वित्तीय वर्ष 2025-26 की पहली छमाही (H1) में कुल पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) आवंटन का 56.5% खर्च करके नया कीर्तिमान बनाया है।
- तीव्र आधुनिकीकरण: यह खर्च मुख्य रूप से नई रेल लाइनों, रोलिंग स्टॉक खरीद (जैसे वंदे भारत ट्रेनें) और सुरक्षा प्रणालियों (जैसे कवच) के विस्तार पर केंद्रित रहा है।
- H1 FY26 में उपलब्धि: यह उच्च दर कुशल परियोजना प्रबंधन और सरकार के निरंतर उच्च सार्वजनिक निवेश के दृष्टिकोण को रेखांकित करती है।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 08 अक्टूबर: भारतीय रेलवे ने चालू वित्तीय वर्ष 2025-26 की पहली छमाही (अप्रैल 2025 से सितंबर 2025) में पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure – Capex) के उपयोग में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। रेलवे ने आवंटित ₹2.65 लाख करोड़ के कुल वार्षिक कैपेक्स का 56.5% रिकॉर्ड समय में खर्च कर दिया है। यह उच्च उपयोग दर न केवल रेलवे के क्षमता विस्तार (Capacity Augmentation) की तीव्र गति को दर्शाती है, बल्कि सरकार की ‘विकसित भारत’ की ओर बढ़ने की प्रतिबद्धता को भी मजबूत करती है।
क्यों महत्वपूर्ण है 56.5% कैपेक्स उपयोग?
पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) का तात्पर्य उन निधियों से है जो सरकार या संगठन संपत्ति बनाने या उसमें सुधार करने के लिए खर्च करते हैं। रेलवे के संदर्भ में, कैपेक्स का मतलब बुनियादी ढांचे का विकास (पटरियां, पुल), सुरक्षा उन्नयन (कवच), और आधुनिक रोलिंग स्टॉक (ट्रेनें) की खरीद है।
वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारतीय रेलवे का कुल पूंजीगत व्यय आवंटन लगभग ₹2.65 लाख करोड़ है (बजट अनुमान ₹2.52 लाख करोड़ + अतिरिक्त संसाधन, जैसा कि बजट 2025-26 के दस्तावेजों में दर्शाया गया है)। पारंपरिक रूप से, भारतीय रेल के लिए पहली छमाही (H1) में कैपेक्स उपयोग की दर लगभग 40-45% रही है। ऐसे में 56.5% के आंकड़े को छूना परियोजनाओं के क्रियान्वयन में तेज़ी, नौकरशाही बाधाओं को दूर करने और फंड के समय पर आवंटन का सीधा प्रमाण है।
किन क्षेत्रों में हुआ रिकॉर्ड निवेश?
उच्च कैपेक्स उपयोग का सबसे बड़ा प्रभाव उन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में देखा जा रहा है जो सीधे यात्री सुरक्षा और क्षमता वृद्धि को प्रभावित करते हैं:
रोलिंग स्टॉक और ट्रेन आधुनिकीकरण
कैपेक्स का एक बड़ा हिस्सा वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों और वंदे मेट्रो ट्रेनों के उत्पादन और खरीद पर केंद्रित रहा है। रोलिंग स्टॉक (इंजन, कोच और वैगन) के लिए आवंटित बजट का एक बड़ा हिस्सा खर्च हो चुका है, जिससे यात्री और माल ढुलाई दोनों की क्षमता में वृद्धि हुई है।
सुरक्षा और कवच प्रणाली
यात्री सुरक्षा रेलवे की सर्वोच्च प्राथमिकता बनी हुई है। स्वदेशी ‘कवच’ प्रणाली (ट्रेन टक्कर बचाव प्रणाली) के रोलआउट में तेजी लाने के लिए आवंटित संसाधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग किया गया है। दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा जैसे व्यस्त गलियारों पर कवच का विस्तार जारी है, जो एक सुरक्षित रेल नेटवर्क बनाने की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है।
नेटवर्क और क्षमता विस्तार
बुनियादी ढांचे के विकास के लिए आवंटित धन का उपयोग नई लाइनों के निर्माण, ट्रैक के दोहरीकरण (Doubling), और मौजूदा पटरियों के उन्नयन पर किया गया है।
नई लाइनें: कई राज्यों (जैसे ओडिशा, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, बिहार) में नई रेल लाइनों की परियोजनाओं पर तेज़ी से काम चल रहा है, जिसका लक्ष्य माल ढुलाई की गति और यात्री यातायात को सुव्यवस्थित करना है।
स्टेशन विकास: विश्व स्तरीय यात्री अनुभव प्रदान करने के लिए प्रमुख रेलवे स्टेशनों के आधुनिकीकरण और पुनर्विकास पर भी महत्वपूर्ण राशि खर्च की गई है।
वित्तीय वर्ष 2026 के लिए आगे की राह
H1 FY26 में 56.5% कैपेक्स उपयोग की दर बताती है कि रेलवे अपनी वार्षिक लक्ष्य प्राप्ति की राह पर तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। यदि यह गति बरकरार रहती है, तो वित्तीय वर्ष 2025-26 के अंत तक रेलवे अपने आवंटित पूंजीगत व्यय का 100% उपयोग करने के पिछले रिकॉर्ड को भी पार कर सकता है।
पीपीपी मॉडल पर ज़ोर: रेलवे सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मार्ग से निवेश का लक्ष्य भी बढ़ा रहा है, जो FY25 में सफल रहा था।
बुलेट ट्रेन परियोजना: मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर (बुलेट ट्रेन परियोजना) के विकास में तेजी लाने के लिए भी आगामी तिमाही में अधिक आवंटन की उम्मीद है।
यह रिकॉर्ड उपलब्धि दर्शाती है कि भारतीय रेलवे केवल एक परिवहन नेटवर्क नहीं, बल्कि देश की आर्थिक वृद्धि का एक प्रमुख इंजन है, जो आधुनिकता और दक्षता के साथ भविष्य के लिए तैयार हो रहा है।