महापर्व छठ को यूनेस्को की मान्यता दिलाने की पहल

संस्कृति मंत्रालय ने यूनेस्को को भेजा नामांकन, विश्व धरोहर सूची में शामिल करने की तैयारी।

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  • भारत सरकार ने पूर्वी भारत के महापर्व छठ को संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) की विश्व सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
  • संस्कृति मंत्रालय ने इसके लिए एक विस्तृत नामांकन फाइल तैयार कर यूनेस्को को भेजी है।
  • इस पहल का उद्देश्य छठ की समृद्ध सांस्कृतिक और सामाजिक विरासत को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाना है, जो भारत के सांस्कृतिक कूटनीति का एक हिस्सा है।

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 21 सितंबर, 2025: भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक मंच पर और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। भारत सरकार ने पूर्वी भारत के सबसे बड़े और महत्वपूर्ण पर्व, छठ महापर्व, को यूनेस्को की ‘अमूर्त सांस्कृतिक विरासत’ (Intangible Cultural Heritage) की सूची में शामिल कराने के लिए अपनी पहल शुरू कर दी है। संस्कृति मंत्रालय ने इस संबंध में एक विस्तृत नामांकन फाइल यूनेस्को को भेजी है, जिसमें इस पर्व के ऐतिहासिक, धार्मिक और सामाजिक महत्व को विस्तार से दर्शाया गया है।

यह पहल इसलिए भी खास है क्योंकि छठ पूजा केवल बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश तक ही सीमित नहीं है, बल्कि दुनिया भर में भारतीय प्रवासियों द्वारा बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती है। सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित यह चार दिवसीय पर्व, शुद्धता, आस्था और प्रकृति की पूजा का प्रतीक है। इस पर्व के दौरान व्रती (व्रत रखने वाले) कठिन नियमों का पालन करते हैं, जैसे कि 36 घंटे का निर्जला व्रत रखना, नदियों और तालाबों में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देना और प्रसाद तैयार करना।

इस पहल को लेकर हाल ही में नई दिल्ली में संस्कृति सचिव विवेक अग्रवाल की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। इस बैठक में संयुक्त अरब अमीरात, सूरीनाम और नीदरलैंड सहित कई देशों के वरिष्ठ राजनयिकों ने भाग लिया। इसके अलावा, मॉरीशस, फिजी, सूरीनाम, यूएई और नीदरलैंड में भारत के राजदूतों और उच्चायुक्तों के साथ भी वर्चुअल बैठकें हुईं। इन सभी देशों के प्रतिनिधियों ने भारत की इस पहल का स्वागत किया और अपने-अपने देशों में आवश्यक जानकारी और दस्तावेज जुटाने में पूर्ण सहयोग का वादा किया।

अगर छठ महापर्व को यूनेस्को की मान्यता मिल जाती है, तो यह भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी। इससे पहले कोलकाता की दुर्गा पूजा को भी यूनेस्को द्वारा इसी तरह की मान्यता दी गई है। यह सम्मान न केवल छठ के महत्व को वैश्विक स्तर पर बढ़ाएगा, बल्कि दुनिया भर में रहने वाले भारतीय प्रवासियों के बीच भी गर्व और जुड़ाव की भावना को मजबूत करेगा। यह भारत की सांस्कृतिक कूटनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसके माध्यम से देश अपनीSoft power को बढ़ा रहा है।

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