‘आदर्श भारत’ की ओर बढ़ा कदम, ब्रह्मचारी गिरीश जी ने कहा- चेतना का शुद्ध होना अत्यंत आवश्यक

महर्षि महेश योगी के 'आदर्श भारत' अभियान पर परिचर्चा, जिसमें न्यायपालिका और धर्म जगत के दिग्गज हुए शामिल।

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  • ब्रह्मचारी गिरीश जी के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में भोपाल में ‘आदर्श भारत निर्माण’ विषय पर दो दिवसीय कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ।
  • परिचर्चा में ब्रह्मचारी गिरीश जी ने महर्षि महेश योगी के ‘आदर्श भारत’ की संकल्पना को साकार करने पर जोर दिया और चेतना की शुद्धता को अत्यंत आवश्यक बताया।
  • इस कार्यक्रम में न्यायपालिका, राजनीति और धर्म के क्षेत्र से आए गणमान्य व्यक्तियों ने अपने विचार साझा किए, और कर्तव्यों पर ध्यान केंद्रित करने की बात कही।

समग्र समाचार सेवा
भोपाल, 25 अगस्त, 2025: महर्षि विद्या मंदिर विद्यालय समूह के अध्यक्ष, वेद विद्या मार्तंड ब्रह्मचारी गिरीश जी के दो दिवसीय जन्मोत्सव कार्यक्रम का शुभारंभ आज भोपाल में “आदर्श भारत निर्माण” विषय पर एक विशेष परिचर्चा के साथ हुआ। यह कार्यक्रम भोपाल के छान स्थित गुरुदेव ब्रह्मानंद सरस्वती आश्रम के ‘महर्षि उत्सव भवन’ में आयोजित किया गया है। दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए ब्रह्मचारी गिरीश जी ने कहा कि परम पूज्य महर्षि महेश योगी जी के ‘आदर्श भारत’ और ‘अजेय भारत’ की अवधारणा को अब सरकारों ने भी अपना लिया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस अभियान में पिछले 10 वर्षों में लाखों लोग जुड़े हैं, और इसे आगे बढ़ाने की सख्त जरूरत है।

आदर्श भारत: ज्ञान और प्राकृतिक नियमों का संगम

ब्रह्मचारी गिरीश जी ने ‘आदर्श भारत’ की पृष्ठभूमि को समझाते हुए कहा कि इसकी बुनियाद ज्ञान की गहराई में समाहित है। उन्होंने महर्षि जी द्वारा 1982 में शुरू किए गए इस अभियान का जिक्र किया, जिसमें समाज विज्ञान, कृषि, लोक प्रशासन सहित सभी महत्वपूर्ण क्षेत्रों को शामिल किया गया था। उनका कहना था कि ‘राम राज्य’ की अवधारणा से जुड़ी हर बात ‘आदर्श भारत’ में समाहित है। उन्होंने कहा कि महर्षि जी का मानना था कि केवल राष्ट्रीय कानूनों का नहीं, बल्कि प्राकृतिक नियमों का पालन करना भी हम सभी के लिए आवश्यक है, इसीलिए आदर्श भारत अभियान में प्राकृतिक न्याय को प्रमुखता दी गई है। उन्होंने वेदों को सृष्टि का संविधान बताते हुए सकारात्मक ऊर्जा के संचार पर बल दिया।

गांधी के सेवा भाव से दूर हुए नेता

इस अवसर पर अखिल भारतीय संत समिति के महासचिव, स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती जी महाराज ने ब्रह्मचारी गिरीश जी को उनके जन्मदिन की अग्रिम शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि भारत सदियों से एक राष्ट्र रहा है और हमारे वेदों में नैतिकता बहुत कठोर है। उन्होंने कहा कि हमारा धर्म, अधर्म और अशांति को मान्यता नहीं देता। महाराज जी ने गांधी जी के विचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि गांधी जी ने राजनीति को सेवा का माध्यम कहा था, लेकिन आज नेता शासन करने के लिए आते हैं और उसे प्रशासन का नाम दे दिया जाता है।

कर्तव्यों पर ध्यान केंद्रित करने का आह्वान

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर जी ने कहा कि महर्षि जी ने एक छोटे से गांव में जन्म लेकर पूरी दुनिया में भारत के वैदिक ज्ञान की धर्म ध्वजा फहराई। उन्होंने सभी से आह्वान किया कि इंदौर के लोगों की तरह भोपाल के लोगों को भी स्वच्छता और कर्तव्य पर ध्यान देना चाहिए ताकि ‘आदर्श भारत’ की संकल्पना को जमीनी स्तर पर साकार किया जा सके। इसी तरह, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवि शंकर झा ने भी कहा कि मूलभूत अधिकारों के साथ-साथ मूलभूत कर्तव्यों को भी अपनाना बेहद जरूरी है।

कार्यक्रम में सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि आदर्श भारत का सपना महर्षि जी और महर्षि संस्थान का है, और हम सभी को मिलकर इस दिशा में कार्य करना है। उन्होंने कहा कि मानव निर्मित समस्याओं का समाधान केवल पाँच वर्षों में किया जा सकता है। कार्यक्रम में कई अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भी अपने विचार रखे, जिसमें विश्व हिंदू परिषद के प्रवक्ता अशोक तिवारी, माइंड लॉजिक ग्रुप के संस्थापक सुरेश अलंगोवन, वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अजात शत्रु श्रीवास्तव और कई अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तित्व शामिल थे।

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