भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद भी सीजफायर की आवश्यकता क्यों ?

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,14 मई ।
भारत जिस लक्ष्य के लिए आक्रमण किया था वह अपना लक्ष्य हासिल कर लिया। हाफिज सईद जैसे कुछ दुर्दांत आतंकियों को इसलिए छोड़ दिया कि पाकिस्तान को आतंकी देश घोषित किया जा सकेगा। और उसे बेनकाब किया जा सकेगा। अनेक आतंकी और आतंकी सिविर तबाह हो गए। पाकिस्तानी आक्रमण के उत्तर में उसके 11 एयर वेस ध्वस्त हो गए। कराची लाहौर, बहावलपुर, रावलपिंडी, इस्लामाबाद जैसे अति सुरक्षित वेस ध्वस्त कर पाकिस्तान की चूल्हे हिला दी। पाकिस्तान जगह-जगह रोते-बिलखते युद्ध रोकवाने की भीख मांगने लगा। और अपने परमाणु मिसाइल के प्रयोग के लिए मीटिंग बुलाई, अमेरिका से कहा; कि हम तो बर्बाद हो ही रहे हैं अब हिंदुस्तान को भी बर्बाद कर देंगे। परमाणु के अलावा हमारे पास कोई और विकल्प नहीं है।
अमेरिका तुरंत एक्शन में आया और युद्ध रोकने के लिए भारत को कहा। युद्ध भयंकर रूप न लें भारत ने बात मान ली। यह मोदी जी का बुद्धिमत्ता पूर्ण निर्णय था। मित्रों!प्रथम उद्देश्य अपने देश के जान-माल की सुरक्षा है।लेकिन युद्ध; मोदी जी अपनी शर्तों पर स्थगित किया, न कि बिना शर्त। जैसा कि पूर्व विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा कह रहे हैं। “हमें आतंकियों को मारना था ”सो मैंने किया। बिलखते हुए हाफिज सईद के वीडियो आये है।
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहबाज के संबोधन में है कि “हम युद्ध से पीछे हट रहे हैं क्योंकि दूश्मन अधिक ताकतवर है। “लेकिन मोदी जी ने न तो युद्ध विराम खुद घोषित किया और न ही ख़त्म । आपरेशन सिंदूर अभी जारी रखा है। केवल स्थगित किया है। आज़ रात्रि में पाकिस्तान से ड्रोन हमला किया तो उसको अच्छा जबाब दिया गया तो शांत हो गया।
रही बात सिमला समझौता और विदेश नीति के फेल्योर की, तो यशवंत सिन्हा जी !आप के समय में और आज के समय में जमीन-आसमान का अंतर है। सिमला समझौता टूटा नहीं है। भारत-पाक बार्ता होगी तो दोनों देशों के मध्य ही, न कि अमेरिका या किसी बिचौलिए के बीच। भारत ने अमेरिका की बता दिया है। और कहा कि अधिकृत कश्मीर पर बार्ता होगी।अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा बार्ता कराने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। यदि आप मानते हैं कि पाकिस्तान की कूटनीति कि कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने में सफल रहा , तो यह वह पहले भी करता रहा है। अमेरिका के कहने से कश्मीर मुद्दे का हल नहीं होने वाला है। अमेरिका अपने व्यवहार, व्यापार की ओर देख रहा है।वह कभी नहीं चाहता कि हमारी समस्या खत्म हो। नहीं तो अमेरिका की भूमिका खत्म हो जाएगी।वह के शांति कायम कर व्यापार बढ़ाना चाहता है।
जो कुछ लोग कह रहे हैं कि चीन युद्ध में कूद सकता था तो वह ऐसी ग़लती कदापि नहीं करेगा। उसके एक अरब बिलियन डॉलर के व्यापार भारत में है सब धुआं धुआं हो जायेगा।जब तक सीजफायर नहीं हुआ तब तक उसने तटस्थ रुख अपनाया। जैसे सीजफायर हुऐ उसने पाकिस्तान को खुश करने के लिए बयान दिया कि हम पाकिस्तान के साथ है। उसके पीछे पाकिस्तान में उसके प्रोजेक्ट्स है।
तुर्की, अज़रबैजान दो देश पाकिस्तान की ओर खड़े थे। नाटो देश होने के कारण भारत को तुर्की से डायरेक्ट युद्ध से बचना चाहिए। अज़रबैजान की कोई बिसात नहीं,। वैसे तुर्की कह रहा था कि पाकिस्तान हवाईअड्डे पर पहुंचे हमारे चारों विमानों ने युद्धक सामग्री नहीं थी पाकिस्तान झूठ बोल रहा है।
रूस ,युक्रेन युद्ध में फंसा है ।युरोपीयन देश रूस के साथ उलझे हुए हैं। भारत के साथ युद्ध में केवल सीमित हथियार दे कर सहयोग के अलावा और सहयोग नहीं कर सकते। इजरायल हमास,हूती विद्रोहियों में उलझा है वह भी बहुत हद तक साथ नहीं दे सकेगा।
वर्तमान अंतरराष्ट्रीय सिचुएशन में ईरान,सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, बांग्लादेश,इण्डोनेशिया, मलेशिया जैसे देश पाकिस्तान के साथ युद्ध तो भारत से नहीं करेंगे लेकिन भारत का साथ भी नहीं देंगे।
ऐसे समय युद्ध को खतरनाक स्थिति में ले जाना बुद्धिमत्ता नहीं होगी।
प्रधानमंत्री ने कल के संबोधन में कहा कि आपरेशन सिंदूर मैं ने केवल स्थगित किया है न कि समाप्त। यदि पाकिस्तान के अनियंत्रित आतंकी कोई हरकत करते हैं तो इससे भयंकर संग्राम होगा।तब पाकिस्तान के सभी सैन्य प्रतिष्ठानो को टारगेट कर एक ही झटके में इतना नुक्सान पहुचेगा कि अगले दिन के लिए केवल वह जमीनी लड़ाई के काबिल रह जायेगा। मुझे भी आक्रोश था कि इतने बड़े मूमेंट के बाद पैर पीछे खींचना अच्छा नहीं है, हमें अधिकृत कश्मीर हथियाने चाहिए। लेकिन सिचुएशन खराब न हो भयंकर विनाश से बंचतते हुए अपने लक्ष्य को हासिल करना है। राहुल गांधी जी! 56 इंच का सीना देशवासियों की लाश पर नहीं दिखाया जाता। देखने के लिए धैर्य रखिये। यशवंत सिन्हा जी ! संसद का विशेष सत्र भी बुलाया जाएगा और स्पष्टीकरण भी दिया जायेगा। अभी हमें एकजुटता प्रदर्शित करने की आवश्यकता है। जिस पार्टी में अपनी राजनीति जीवन भर किये हो और बेटा तक है ।तो उस पर क्षणिक विश्वास भी कीजिए। आपके सारे प्रश्न अनुत्तरित नहीं रहेंगे।

अभी युद्ध का माहौल है दोनों सेनाएं आमने-सामने डटी है एक चिनगारी इसे पुनः भड़का सकती है। इसलिए सरकार पर भरोसा और सहयोग करें। मजबूत नेतृत्व मजबूत निर्णय ले सकता है। देश रहेगा तो राजनीति चमकाते रहिएगा।

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