‘आतंक के खिलाफ आगे बढ़े भारत, ट्रंप प्रशासन देगा हर मुमकिन मदद!’ — अमेरिका ने डंके की चोट पर किया ऐलान!
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,6 मई । आतंक के खिलाफ भारत की लड़ाई को अब मिला है दुनिया की सबसे बड़ी ताकत का खुला समर्थन! अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की प्रशासनिक टीम ने जोरदार ऐलान किया है कि भारत यदि आतंक के खिलाफ कोई बड़ा कदम उठाता है, तो वॉशिंगटन पूरी ताकत से उसके साथ खड़ा रहेगा।
यह कोई कूटनीतिक बयान नहीं, बल्कि एक ऐसा अलर्ट था जिसने इस्लामाबाद की नींद उड़ा दी है और बीजिंग तक में हलचल मचा दी है!
अमेरिकी विदेश मंत्रालय और सुरक्षा सलाहकारों की ओर से जारी बयान में कहा गया:
“भारत को अगर आतंक के खिलाफ कदम उठाना है तो अमेरिका उसका पूर्ण समर्थन करेगा। चाहे वो खुफिया जानकारी हो, हथियारों की सप्लाई हो या अंतरराष्ट्रीय दबाव — अमेरिका पीछे नहीं हटेगा।”
यह बयान ऐसे समय आया है जब पाकिस्तान की सरहदों से आतंकवाद की गतिविधियां एक बार फिर तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत कड़ी कार्रवाई की तैयारी में है।
सूत्रों की मानें तो अमेरिका ने पाकिस्तान को गुप्त रूप से सख्त संदेश भी भेजा है कि वह भारत के खिलाफ आतंक की प्रयोगशाला बंद करे। ट्रंप प्रशासन ने यह भी संकेत दिए हैं कि यदि पाकिस्तान ने सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देना जारी रखा, तो उसे आर्थिक और सामरिक मोर्चे पर भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
भारत के लिए यह समर्थन सिर्फ एक शब्द नहीं, रणनीतिक छूट है। अब भारत यदि आतंक के ठिकानों पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक 2.0’ या उससे भी बड़ा कदम उठाए, तो उसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अमेरिका की ढाल मिलेगी।
विशेषज्ञों का कहना है कि डोकलाम, पुलवामा और बालाकोट जैसी घटनाओं के बाद भारत अब “सब्र नहीं, जवाब” की नीति पर काम कर रहा है — और ट्रंप की यह घोषणा भारत की इस नीति को वैश्विक वैधता दे रही है।
बात सिर्फ पाकिस्तान की नहीं। अमेरिका की यह स्थिति अब चीन को भी सिग्नल दे रही है कि अगर वह भारत की सीमा पर चालबाज़ी करेगा या आतंकियों को अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन देगा, तो अमेरिका चुप नहीं बैठेगा।
ट्रंप प्रशासन का यह डंके की चोट पर किया गया ऐलान भारत के लिए सिर्फ समर्थन नहीं, बल्कि एक मनोबल बढ़ाने वाला युद्धघोष है। यह दिखाता है कि दुनिया अब भारत की आतंक विरोधी नीति को न सिर्फ समझ रही है, बल्कि खुलकर साथ दे रही है।
“अब भारत अकेला नहीं!”
आतंक के खिलाफ जंग में अब भारत के पास अमेरिका की खुली छूट है।
और यह छूट सिर्फ शब्दों में नहीं — कार्रवाई में भी झलक सकती है!