पाकिस्तान के टुकड़े होना तय: कराची डूबा, बलूचिस्तान जला, लंदन में पाकिस्तानी कर्नल की बेइज्जती ने दफन कर दी रही-सही इज्जत
पूनम शर्मा
एक देश जो नफ़रत और आतंक पर बना था, उसका पतन भी उतना ही घिनौना और शर्मनाक होना तय था।
आज पाकिस्तान बस नक्शे पर बचा है, ज़मीन पर उसका वजूद दम तोड़ चुका है। कराची का बंदरगाह वीरान पड़ा है, बलूचिस्तान विद्रोह की आग में जल रहा है, और लंदन की सड़कों पर पाकिस्तानी सेना के अफसर भारतीयों से गला काटने की धमकी देकर अपनी बौखलाहट का खुला प्रदर्शन कर रहे हैं।
यह किसी साधारण देश का नहीं, एक नर्क में तब्दील हो चुके देश का अंतिम विलाप है। एक समय था जब कराची पाकिस्तान की शान माना जाता था।
आज हालत ये है कि वहां के गोदाम खाली हैं, जहाज़ फंसे हैं, और सड़कों पर खाने-पीने के सामान के लिए लूट मची हुई है।
भारतीय नौसेना ने बिना कोई गोली चलाए पाकिस्तान की समुद्री नाकाबंदी कर दी है।
तेल के टैंकर फंसे हुए हैं, रसोई गैस की किल्लत है, बिजली कटौती चरम पर है। कराची, जो कभी पाकिस्तान का दिल था, अब उसके शवगृह में बदल चुका है। और भारत ने यह सब सिर्फ अपनी रणनीति से कर दिखाया है — बिना एक भी सिपाही भेजे।
पाकिस्तानी फौज ने बलूचिस्तान को दशकों तक कुचलने की कोशिश की थी। आज बलूच वीरों ने वही फौज घुटनों पर ला दी है। हर दिन पाकिस्तानी सेना के काफिले तबाह हो रहे हैं, हर रात बलूच आज़ादी के नारे लगाते हुए चौकियों को फूंक रहे हैं। इस्लामाबाद के जेनरल अब समझ चुके हैं — बलूचिस्तान उनके हाथ से फिसल चुका है।एक ओर कराची डूब रहा है, दूसरी ओर बलूचिस्तान जल रहा है — पाकिस्तान के दो फेफड़े सड़ चुके हैं। सांस लेना अब नामुमकिन है। लंदन में एक भारतीय नागरिक ने जब पाकिस्तान के अत्याचारों के खिलाफ प्रदर्शन किया, तो एक पाकिस्तानी कर्नल ने भरी सड़क पर गला काटने का इशारा किया। कितनी शर्मनाक बात है कि जिन अफसरों को अनुशासन और गरिमा का प्रतीक होना चाहिए था, वे विदेशी जमीन पर सड़कछाप गुंडों जैसी हरकत कर रहे हैं।यह घटना सिर्फ एक कर्नल की नहीं, बल्कि पूरे पाकिस्तान की मानसिक दिवालियापन की कहानी है।
जब सेना के अफसर इस स्तर तक गिर जाएं, तो समझिए कि मुल्क की जड़ों में ही सड़न फैल चुकी है। ब्रिटेन में अब पाकिस्तानी डिप्लोमैटिक मिशन की थू-थू हो रही है। विश्व मंच पर पाकिस्तान आज केवल एक जोकर बनकर रह गया है — एक परमाणु बमधारी जो अपने ही जूतों के तले कुचला जा रहा है।
भारत ने 2025 में जो रणनीति अपनाई है, वह इतिहास में दर्ज होगी।
अभी तक न कोई आधिकारिक युद्ध, न कोई बड़ी फौजी चढ़ाई — सिर्फ आर्थिक नाकाबंदी, कूटनीतिक अलगाव और बलूच जैसे आंदोलनों को नैतिक समर्थन। नतीजा ये है कि पाकिस्तान खुद-ब-खुद धसक रहा है।
“जिस पाकिस्तान ने कश्मीर को लेकर दुनिया भर में जहर उगला था, आज उसका खुद का शरीर सड़कर गिर रहा है।”
यह कोई कल्पना नहीं, ठोस सच्चाई है — पाकिस्तान अब एक विफल राष्ट्र बन चुका है। अर्थव्यवस्था बैठ गई है, सेना आपस में लड़ रही है, जनता भूख से बिलबिला रही है, और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसे अब कोई गंभीरता से नहीं लेता। भारत को बस धैर्य रखना है। ताश के पत्तों की तरह पाकिस्तान खुद बिखरेगा — कराची अलग, बलूचिस्तान अलग, सिंध अलग। भारत को किसी गोली की जरूरत नहीं, क्योंकि पाकिस्तान की अपनी नफरत ही अब उसकी कब्र खुद रही है। जैसे ही कराची का पानी सूखेगा और बलूचिस्तान में आज़ादी के झंडे लहराएंगे, पाकिस्तान का नक्शा इतिहास के कूड़ेदान में फेंक दिया जाएगा। भारत ने इंतजार करना सीख लिया है — और दुनिया अब पाकिस्तान के अंतिम संस्कार का मूक साक्षी बनने जा रही है।