पाकिस्तानी सेना द्वारा शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर फायरिंग, महिलाओं और बच्चों पर लाठियों की बौछार

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,24 मार्च।
पाकिस्तान में बलूचिस्तान के क्वेटा शहर में एक बार फिर पाकिस्तान की सेना ने निर्दोष नागरिकों के खिलाफ बर्बर कार्रवाई की है। यह घटना तब सामने आई जब वहां के लोग, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे, पाकिस्तानी सेना द्वारा की गई फायरिंग के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि पाकिस्तान की सेना ने बच्चों समेत पांच प्रदर्शनकारियों को मौत के घाट उतार दिया था। इस घटना के विरोध में हजारों लोग एकत्र हुए और शवों को लेकर शांति से प्रदर्शन करने लगे।

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि पाकिस्तानी सेना ने न सिर्फ लाठियां बरसाई, बल्कि जब प्रदर्शनकारियों ने शांतिपूर्वक अपना विरोध जारी रखा, तो उन पर अंधाधुंध गोलीबारी भी की। इस गोलीबारी में कई लोग घायल हो गए, और एक व्यक्ति की जान भी चली गई। महिलाओं और बच्चों पर की गई यह कार्रवाई बेहद निंदनीय मानी जा रही है। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान की सेना ने मारे गए निर्दोष बच्चों और अन्य शवों को भी अपने साथ ले लिया, जिससे उनका दुख और बढ़ गया।

प्रदर्शन में शामिल बलूच कार्यकर्ता बलूच ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि “क्वेटा में पुलिस ने अंधाधुंध गोलियां चलाकर शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर हमला किया, जिससे कई लोग घायल हुए और एक की मौत हो गई।” इस घटना ने बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना के खिलाफ गुस्से को और बढ़ा दिया है। बलूच नेताओं का कहना है कि पाकिस्तान लगातार बलूचिस्तान के लोगों का दमन कर रहा है और उनके मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रहा है।

यह घटनाक्रम बलूचिस्तान के लंबे समय से चल रहे संघर्ष का हिस्सा है, जो 1948 से पाकिस्तानी सरकार के खिलाफ जारी है। बलूचिस्तान में लिबरेशन आर्मी के विद्रोही संगठन पाकिस्तानी सेना और सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। उनका मुख्य उद्देश्य बलूचिस्तान की स्वतंत्रता है, और वे पाकिस्तान के खिलाफ आवाज़ उठाते आ रहे हैं। इसके बावजूद, पाकिस्तान की सेना और सुरक्षा बल इस क्षेत्र में मानवाधिकारों का उल्लंघन करने में पीछे नहीं हट रहे हैं।

इसके अलावा, इस घटना में एक और चौंकाने वाली बात सामने आई है, जब बलूच महिला नेता अहिंसा के साथ आंदोलन करने के बावजूद गिरफ्तार कर ली गईं। 31 वर्षीय महिला कार्यकर्ता महरंग बलूच, जो पिछले कई वर्षों से बलूचिस्तान में अपहरण और मानवाधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ आवाज़ उठा रही थीं, को पाकिस्तान की सुरक्षा बलों ने गिरफ्तार कर लिया।

इसमें सबसे चिंताजनक बात यह है कि पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियां लखनऊ जैसे भारतीय शहरों से भी लोगों को उठाकर बलूचिस्तान ले आती हैं, जहां उनका कोई पता नहीं चलता। ऐसे मामलों ने पाकिस्तान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समुदाय में आक्रोश उत्पन्न किया है और बलूचिस्तान में मानवाधिकारों के हनन को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं।

इस घटना के बाद बलूचिस्तान में पाकिस्तान के खिलाफ विरोध और भी तेज हो गया है, और बलूच कार्यकर्ता इस मामले में अंतरराष्ट्रीय समुदाय से हस्तक्षेप की अपील कर रहे हैं। पाकिस्तान सरकार और सेना पर आरोप लग रहे हैं कि वे बलूचिस्तान के लोगों की आवाज़ को दबाने के लिए हिंसा का सहारा ले रहे हैं, जिससे बलूच लोगों में और भी आक्रोश फैल रहा है।

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