समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,18 मार्च। सिनेमा में कुछ कहानियाँ देखने के बाद आपके दिमाग में अटक जाती हैं। वे आपको सोचने पर मजबूर कर देती हैं, रातों की नींद उड़ा देती हैं और अंत तक आपको उलझन में डालकर छोड़ देती हैं। ‘रेखाचित्रम’ ऐसी ही एक फिल्म है—एक रहस्य, जो जितना खुलता है, उतना ही गहराता जाता है।
फिल्म की शुरुआत एक सनसनीखेज वीडियो से होती है। एक अधेड़ उम्र का शख्स जंगल में बैठा अपना इकबालिया बयान रिकॉर्ड करता है। उसकी आँखों में गहरी उदासी और डर का मिला-जुला भाव है। वीडियो में वह कबूल करता है कि 1985 में उसने अपने दो साथियों के साथ मिलकर एक लड़की को मारकर इसी जंगल में दफना दिया था। उसके बाद, वह खुद को गोली मार लेता है।
पुलिस मौके पर पहुँचती है। जंगल की खुदाई होती है और वहाँ से एक कंकाल बरामद होता है। जांच में पता चलता है कि यह किसी ‘रेखा’ नाम की लड़की की लाश है। लेकिन जैसे-जैसे पुलिस तहकीकात आगे बढ़ाती है, सवाल बढ़ते ही जाते हैं—
रेखा आखिर थी कौन?
वह कहाँ से आई थी?
क्या यह लाश सचमुच रेखा की ही है या फिर कोई और खेल खेला जा रहा है?
फिल्म एक साधारण हत्या की गुत्थी से शुरू होती है, लेकिन धीरे-धीरे इसमें एक गहरा साजिशनुमा रंग चढ़ता जाता है। जैसे कोई चित्रकार किसी अद्भुत चित्र को बनाते-बनाते उसमें कुछ ऐसे रंग जोड़ दे कि वह समझ से परे हो जाए।
‘रेखाचित्रम’ को सिर्फ एक मर्डर मिस्ट्री कहकर कमतर आंकना इस फिल्म के साथ अन्याय होगा। यह एक माइंड-बेंडिंग थ्रिलर है जो दर्शकों को हर पल सोचने पर मजबूर करती है। फिल्म में फ्लैशबैक और प्रेजेंट टाइमलाइन को इतनी खूबसूरती से पिरोया गया है कि आप कभी नहीं समझ पाएंगे कि सच क्या है और भ्रम क्या।
सस्पेंस, जो आखिरी मिनट तक खुलता ही नहीं!
साइकोलॉजिकल ट्विस्ट, जो दिमाग को झकझोर देता है!
एक ऐसा अंत, जो आपके होश उड़ा देगा!
फिल्म का निर्देशन कमाल का है। निर्देशक ने पूरी फिल्म को इतने टाइट और एंगेजिंग तरीके से गढ़ा है कि आप सीट से हिल भी नहीं पाएंगे। कैमरा वर्क और सिनेमैटोग्राफी फिल्म के मिज़ाज को और भी रहस्यमय बना देती है।
अभिनेताओं की बात करें तो मुख्य भूमिका निभाने वाले अभिनेता ने एक असाधारण परफॉर्मेंस दी है। उसका डर, संदेह, और एक गहरे राज़ को दबाकर जीने की कोशिश… हर भाव चेहरे पर दिखता है।
अगर आपको थ्रिलर फिल्मों से प्यार है और सिर्फ मसाला नहीं बल्कि दिमाग को हिला देने वाली कहानियाँ देखना पसंद है, तो ‘रेखाचित्रम’ आपके लिए परफेक्ट फिल्म है! यह एक ऐसी फिल्म है जिसे देखने के बाद आप खुद से सवाल करेंगे—क्या मैंने सच में इसे समझ लिया या कहानी अब भी अधूरी है?