पराली जलाने पर अब 30 हजार रुपये तक का जुर्माना, सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद केंद्र ने पेनाल्टी को किया दोगुना

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,7 नवम्बर। दिल्ली और उत्तर भारत के कई हिस्सों में प्रदूषण की स्थिति लगातार गंभीर होती जा रही है, और इसका एक बड़ा कारण पराली जलाना भी है। किसानों द्वारा फसल कटाई के बाद खेतों में बची पराली (फसल अवशेष) को जलाने से वातावरण में भारी मात्रा में प्रदूषण फैलता है। सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद अब केंद्र सरकार ने पराली जलाने पर जुर्माने की राशि को बढ़ा दिया है। अब किसानों को पराली जलाने पर 30 हजार रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है।

सुप्रीम कोर्ट की सख्ती और सरकार की नई नीति

सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने के मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाते हुए केंद्र सरकार से तुरंत कार्रवाई की मांग की थी। कोर्ट ने कहा था कि पराली जलाने पर अंकुश लगाने के लिए कड़े कदम उठाए जाने चाहिए। इसके बाद, केंद्र सरकार ने पराली जलाने पर लगने वाली पेनाल्टी को दोगुना करने का फैसला लिया है ताकि किसानों को पराली जलाने से हतोत्साहित किया जा सके और प्रदूषण के स्तर को कम किया जा सके।

जुर्माने की नई दरें

अब जुर्माने की दरें कुछ इस प्रकार होंगी:

  • 5 एकड़ से कम भूमि वाले किसान पराली जलाने पर 10,000 रुपये का जुर्माना।
  • 5 से 10 एकड़ भूमि वाले किसान पर 20,000 रुपये का जुर्माना।
  • 10 एकड़ से अधिक भूमि वाले किसान पर 30,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।

क्यों जरूरी है यह कदम?

दिल्ली-एनसीआर सहित उत्तर भारत के कई शहरों में अक्टूबर से नवंबर के बीच हवा की गुणवत्ता बहुत खराब हो जाती है। पराली जलाने से हवा में सूक्ष्म कण (PM 2.5 और PM 10) बढ़ जाते हैं, जिससे सांस लेने में समस्या, अस्थमा, हृदय रोग और अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इस समय के दौरान हवा में प्रदूषकों की मात्रा इतनी अधिक हो जाती है कि कई बार शहरों में दृश्यता भी घट जाती है और अस्पतालों में मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो जाती है।

किसानों की समस्याएं और समाधान

केंद्र और राज्य सरकारों ने पराली प्रबंधन के लिए कई विकल्प भी सुझाए हैं। इनमें पराली को जैविक खाद में बदलने, फसल अवशेष प्रबंधन उपकरणों का उपयोग करने और सरकार द्वारा प्रदान की गई सब्सिडी योजनाओं का लाभ उठाने जैसे उपाय शामिल हैं। किसानों का तर्क है कि फसल अवशेष का निपटान उनके लिए एक खर्चीला काम है, और इसे जलाना सबसे आसान विकल्प होता है। हालांकि, बढ़ते जुर्माने और जागरूकता अभियानों के जरिए सरकार उन्हें पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार बनाने का प्रयास कर रही है।

सरकार द्वारा सहायता और जागरूकता अभियान

पराली जलाने की समस्या को कम करने के लिए सरकार विभिन्न सहायता कार्यक्रमों और जागरूकता अभियानों का संचालन कर रही है। केंद्र और राज्य सरकारें किसानों को मशीनरी पर सब्सिडी भी प्रदान कर रही हैं, जिससे वे पराली को खेतों में ही नष्ट कर सकते हैं और इसे जलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसके अलावा, किसानों को पराली प्रबंधन के लिए ट्रेनिंग और सुझाव भी दिए जा रहे हैं।

निष्कर्ष

सुप्रीम कोर्ट की सख्ती और केंद्र सरकार के इस नए कदम से पराली जलाने पर प्रभावी नियंत्रण की उम्मीद है। बढ़ा हुआ जुर्माना और जागरूकता अभियान किसानों को पराली जलाने से रोकने में सहायक हो सकते हैं। यह कदम प्रदूषण कम करने और दिल्ली-एनसीआर जैसे क्षेत्रों में स्वच्छ हवा का स्तर सुधारने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।

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