‘देशहित में जरूरी है दंगाइयों की कुटाई…’: बहराइच हिंसा पर भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी का बयान

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,19 अक्टूबर। हाल ही में उत्तर प्रदेश के बहराइच में हुई हिंसा को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने एक विवादास्पद बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि “देशहित में जरूरी है दंगाइयों की कुटाई,” जिससे उन्होंने दंगाइयों के प्रति अपनी सख्त राय प्रकट की है। नकवी का यह बयान बहराइच में हुई हिंसा के बाद आया है, जहां समुदायों के बीच झड़पों की सूचना मिली थी।

बहराइच हिंसा का घटनाक्रम

बहराइच में हुई हिंसा के पीछे का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं है, लेकिन यह घटना कई सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को लेकर बढ़ते तनाव का परिणाम मानी जा रही है। इस हिंसा में कई लोग घायल हुए थे और प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए कड़ी कार्रवाई की। स्थानीय पुलिस और प्रशासन ने स्थिति को संभालने के लिए धारा 144 लागू कर दी थी और संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा बढ़ा दी थी।

नकवी का बयान

मुख्तार अब्बास नकवी ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, “दंगाइयों की कुटाई होना चाहिए, क्योंकि वे समाज में नफरत और अराजकता फैलाने का काम करते हैं। ऐसे लोगों को सख्त सजा मिलनी चाहिए ताकि भविष्य में कोई इस तरह की हरकत करने की सोच भी न सके।” उनका यह बयान भाजपा के ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य दंगों और हिंसा को समाप्त करना है।

भाजपा की सख्ती

भाजपा नेता का यह बयान इस बात का संकेत है कि पार्टी दंगों और हिंसा के मामलों में सख्त रवैया अपनाने के लिए तैयार है। पिछले कुछ वर्षों में, भाजपा ने ऐसे मामलों में अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं को सख्ती से निपटने के लिए निर्देशित किया है। पार्टी का मानना है कि समाज में शांति और सद्भाव को बनाए रखने के लिए दंगाइयों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई आवश्यक है।

समाज पर प्रभाव

मुख्तार अब्बास नकवी के इस बयान का समाज पर मिश्रित प्रभाव पड़ सकता है। कुछ लोग उनके इस बयान का समर्थन कर सकते हैं, जबकि अन्य इसे अस्वीकार्य मान सकते हैं। कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह के बयानों से सामाजिक तनाव बढ़ सकता है और इससे समस्या का समाधान नहीं होगा।

निष्कर्ष

मुख्तार अब्बास नकवी का यह बयान बहराइच हिंसा के संदर्भ में एक गंभीर संदेश देता है कि दंगाइयों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। हालांकि, यह भी जरूरी है कि राजनीतिक नेता और दल समाज में शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाएं। केवल सख्त कानून और दंडात्मक कार्रवाई से ही समस्या का समाधान नहीं होगा, बल्कि संवाद और समझदारी से भी समाज में शांति की स्थापना की जा सकती है।

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