बाबा रामदेव को बड़ी राहत! पतंजलि ‘भ्रामक विज्ञापन’ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बंद किया मानहानि का केस
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 13अगस्त। सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापन मामले में योगगुरु रामदेव, उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के खिलाफ मानहानि की कार्यवाही को बंद कर दिया है। कोर्ट ने इन व्यक्तियों और कंपनी की ओर से किए गए माफीनामे को स्वीकार करते हुए यह आदेश दिया।
अदालत ने मंगलवार को रामदेव, बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के शपथपत्रों के आधार पर अवमानना कार्यवाही को समाप्त करने का निर्णय लिया। इनकी ओर से अधिवक्ता गौतम तालुकदार ने बताया कि, “अदालत ने हमारे द्वारा प्रस्तुत शपथपत्रों को स्वीकार कर लिया और मानहानि का मामला बंद कर दिया है।”
सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना नोटिस पर 14 मई को अपना आदेश सुरक्षित रखा था। यह आदेश भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) द्वारा दायर एक याचिका पर आधारित था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद ने कोविड टीकाकरण अभियान और आधुनिक चिकित्सा पद्धति के खिलाफ भ्रामक अभियान चलाया था।
21 नवंबर, 2023 को जारी अपने आदेश में, सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद के प्रतिनिधि वकील द्वारा दिए गए आश्वासन का उल्लेख किया। वकील ने आश्वस्त किया कि भविष्य में किसी भी प्रकार का कानून उल्लंघन नहीं होगा, विशेष रूप से उत्पादों के विज्ञापन या ब्रांडिंग के संबंध में। इसके अलावा, कोई भी औषधीय प्रभावों का दावा करने वाले या किसी चिकित्सा प्रणाली के खिलाफ आकस्मिक बयान मीडिया को जारी नहीं किए जाएंगे।
कोर्ट ने कहा कि पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड इस आश्वासन का पालन करने के लिए बाध्य रहेगा। यह निर्णय पतंजलि और उसके प्रबंधकों को एक बड़ी राहत प्रदान करता है और भविष्य में भ्रामक विज्ञापन या दावों के खिलाफ आवश्यक सावधानियों को अपनाने की उम्मीद जताता है।