भारत ने पूरी दुनिया को बता दिया- हारी बाज़ी को जीतना, हमें आता है
" सूर्या भाऊ " का कमाल का कैच, किंग कोहली की विराट पारी, ह्रदय को गदगद कर गए हार्दिक, रोहित का स्वप्न हुआ साकार_*
नितिनमोहन शर्मा
दिल धक धक कर रहा था। धड़कने परवान पर थी। थामने पर भी नही थम रही थी। बाजी लगभग हाथ से निकल गई थी। हर चेहरा रुंआसा हो चला था। माहौल ग़मगीन होने पर आमादा हो चला था। सब तरफ सन्नाटा पसर गया था। एक बार फिर सबको 19 नवम्बर 2023 का दिन याद आ गया। उस वक्त भी बाजी ऐसे ही हाथ से फिसली थी। जिसका दुःख 6 महीने बाद भी भुलाए न भुला जा रहा था। हर आँख में ये ही दु:स्वप्न उभरने लगा। उम्मीदें टूटने लगीं। आंख भीगने लगी। लेकिन तब ही चमत्कार हुआ और वो शख्स बिदा हुआ, जिसने भारत की बिदाई लगभग तय कर दी थी। बस फिर क्या था। बाजीगरों ने प्रतिद्वंद्वी के हलक में हाथ डालकर वो जीत निकाल ली, जो जीत वे लगभग निगल गए थे। हारी हुई बाजी को बाज़ीगर जीत गये। करोड़ो करोड़ आंखों का स्वप्न साकार हो गया। ग़मगीन आंखों में खुशियों के आंसू तैर गए। बधाइयों का दौर शुरू हो गया। उत्सव उल्लास पसर गया। सब तरफ जश्न मनने लगा। तिरंगा लहराने लगा और समूचे विश्व पर छा गया।
ये क्रिकेट में भारत के ” विश्व गुरु ” होने का पल था। ये क्षण था दुनिया में क्रिकेट की भारतीय बादशाहत का। एक सपना साकार होने की घड़ी। जिसे जिया हिंदुस्तान ने। करोड़ो क्रिकेट प्रेमियों ने। अपने अपने इष्ट की प्रार्थना में करबद्ध हाथो की दुआये कबूल हो गई। धड़ धड़ धड़कते दिल की मुराद पूरी हो गई। सब तरफ बस तिरंगा ही तिरंगा नज़र आने लगा। देश जश्न में डूब गया। भारत झूमकर नाच उठा। गांव, गली, शहर, कस्बों में से सैलाब बह निकला। सब तरफ बस एक ही जयघोष- इंडिया, इंडिया। आपस मे गले मिलते लोग। एक दूसरे को बधाई देते लोग। मिठाई बाटते, पटाखे फोड़ते लोग। आधी रात को दीपावली मनाते लोग। भारत माता की जय, वंदेमातरम गुंजायमान करते लोग। भारत, भारतीयता, देशभक्ति के रंग में डूबे लोग। क्रिकेट को अपनी रगों में जीते लोग। टीम इंडिया और नीली जर्सी के लड़ाकों पर बलिहारी जाते लोग। हर तरफ बस ये ही दीवानगी। जो शब्द से परे। ऐसा नज़ारा जो 1983, 2007 और 2011 में था, उससे कई कई गुना बढ़कर।
“सूर्या भाऊ, तुम्हारें पढू पाँउ”
” सूर्या भाऊ, तुम्हारें पढू पाँउ”। सूर्यकुमार यादव का वो कालजयी कैच ने हर हिंदुस्तानी को ये शीर्षक के ये शब्द कहने को मजबूर कर दिया। 30 गेंद में 30 रन। 6 विकेट शेष। कौन सोच सकता था यहां से अफ्रीका मैच हार जाएगी? वो टीम जिसे 32 साल के इंतजार के बाद पहली बार फ़ायनल खेलने का मौका मिला। वो महज 30 रन ओर वो भी 5 ओवर में पूरे नही कर पाएगी? किसने सोचा था? लेकिन ये हो गया। हार्दिक पटेल की ऑफ स्टम्प से दूर जाती उस गेंद से, जिसने क्लासेन का कैच हुआ। सूर्यकुमार यादव के उस यादगार कैच से जो जब तक क्रिकेट है, तब तक नही भुलाया जा सकता। कमाल का कैच। जिस शॉट को सब सिक्स मुकर्रर कर चुके थे, सूर्या भाऊ ने उसी छक्के को कैच में बदलकर मिलर के मंसूबो पर ही नही, पूरी दक्षिण अफ्रीका टीम की जीत पर पानी फेर दिया। लाजवाब कैच ने मैच का रुख पलट दिया और 140 करोड़ भारतीयों को वर्ल्डकप का यादगार तोहफ़ा दे दिया। इस तोहफे में किंग कोहली की विराट पारी, अक्षर पटेल की आक्रमकता में बड़ा योगदान दिया। शेष काम बूम बूम बुमराह, अर्शदीप सहित पूरी टीम इंडिया ने मिलकर पूरा कर दिया।
शहर का हर चौराहा बना राजबाड़ा, सुबह 3 बजे तक मना जश्न
वर्ल्डकप की जीत ने पूरे इंदौर में दीपावली मनवा दी। इतने पटाखे फूटे जितने दिवाली की रात फोड़े जाते हैं। पूरा शहर उत्सव में डूब गया। हर रास्ता राजवाड़ा तरफ जाने लगा। हजारो का सैलाब जनता चोक बढ़ने लगा। एरोड्रम रोड वालो को भी राजवाड़ा जाना था तो सुदामा नगर वालो को भी। विजयनगर, तिलकनगर को भी राजबाड़ा आना था तो मालवा मिल ऒर छावनी वालो को भी। अब राजबाड़ा अपने आंगन में कितने इन्दौरी समाता? वहां तो पांव रखने की जगह नही थी। पूरा खजूरी बाज़ार जाम था। यशवंत रोड की तरफ हरसिद्धि मन्दिर तक जाम लगा था। इमली बाज़ार, आड़ा बाज़ार, पीर गली, कृष्णपुरा, सुभाष चौक सहित हर वो गली जाम थी जिसका एक मुहाना राजबाड़ा से मिलता है। लिहाजा परिणाम ये रहा कि शहर का हर चोराहा राजबाड़ा हो गया। रीगल टाकीज, महू नाका, पलासिया, विजय नगर, मालवा मिल, बड़ा गणपति, छावनी, रेसकोर्स रॉड, भंवरकुआं, नवलखा आदि चौराहै राजबाड़ा बन गए जहां रात 3 बजे तक जश्न चलता रहा। जीत का उत्सव मनाने लोग परिवार सहित घरों से बाहर निकले। राजबाड़ा पर तो हालात रँगपंचमी से भी ज्यादा भीड़ के थे। मा अहिल्या के आँगन में इतने लोग उमड़े की पैदल चलना भी दूभर हो गया। जो कार लेकर फंस गए, वे कार की छत को पिचकाएँ बगेर आगे बढ़ न सके। ऐसी आतिशबाजी की आंखे चुंधिया गई। इस जश्न में सब समरस थे। कोई बड़ा छोटा नही। अमीर गरीब नही। सब ख़ालिस हिंदुस्तानी। शुद्ध क्रिकेटप्रेमी। यादगार जीत के साथ इंदौर और इंदोरियो ने यादगार लम्हों को जीभरकर जिया। बाजीगरों ने हारी हुई बाज़ी जो जीत ली थी।