फर्जी एनकाउंटर करने वाले पंजाब पुलिस के रिटायर्ड डीआईजी को 7 साल की कैद

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इंद्र वशिष्ठ, 
सीबीआई मामलों के विशेष न्यायाधीश, मोहाली ने दिलबाग सिंह, तत्कालीन डीएसपी, सिटी तरन तारन (डीआईजी के रूप में सेवानिवृत्त) को अपहरण की धारा 364 के तहत सात साल कैद, पचास हजार रुपए जुर्माना और  गुरबचन सिंह, तत्कालीन थानेदार/एसएचओ, पुलिस स्टेशन सिटी तरन तारन (डीएसपी के तौर पर सेवानिवृत्त) को  हत्या, अपहरण, सबूत नष्ट करने की धारा 302, 364, 201 व 21 के तहत गुलशन कुमार की हत्या के मामले मे उम्रकैद और  तीन लाख 25 हजार रुपए जुर्माने की सज़ा  सुनाई है।
गुलशन का पंजाब पुलिस ने  22 जून 1993 को उनके घर से अपहरण कर लिया और बाद में 22 जुलाई 1993 को एक फर्जी मुठभेड़ में मार दिया गया।
सर्वोच्च न्यायालय ने 15-11-1995 को परमजीत कौर की याचिका पर पंजाब पुलिस द्वारा अज्ञात शवों के बड़ी संख्या में दाह संस्कार से संबंधित मामले की जांच करने का सीबीआई को आदेश दिया था।
जाँच  के दौरान चमन लाल ने बताया कि उनके बेटे गुलशन कुमार को दिलबाग सिंह, तत्कालीन डीएसपी सिटी तरन तारन के नेतृत्व में एक पुलिस दल ने 22 जून1993 को उनके घर से अपहरण कर लिया एवं बाद में  22 जुलाई 1993 को फर्जी मुठभेड़ में मार डाला।
पुलिस ने परिवार के सदस्यों को सूचित किए बिना  22 जुलाई1993 को उनके बेटे के शव का  तरन तारन के श्मशान घाट में अंतिम संस्कार कर दिया। तदनुसार, दिलबाग सिंह, तत्कालीन डीएसपी सिटी तरन तारन, अमृतसर एवं 4 अन्य के विरुद्ध सीबीआई द्वारा 28 फरवरी1997 को  मामला दर्ज किया गया।
जांच पूरी होने के पश्चात, सीबीआई द्वारा तत्कालीन डीएसपी दिलबाग सिंह, तत्कालीन एसएचओ / इंस्पेक्टर गुरबचन सिंह, तत्कालीन एएसआई अर्जुन सिंह (सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई), तत्कालीन एएसआई देविंदर सिंह (सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई) और तत्कालीन सब- इंस्पेक्टर बलबीर सिंह (सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई) के विरुद्ध आरोप पत्र दायर किया गया।
अदालत के समक्ष पेश किए गए साक्ष्यों से पता चलता है कि आरोपी पुलिस अधिकारियों ने हत्या को मुठभेड़ का रूप दिया। गवाही व दस्तावेज़, दोषी पुलिस अधिकारियों द्वारा बनाई गई कहानियों को झूठी साबित करते हैं।
अदालत में  सुनवाई के दौरान, चश्मदीद गवाहों और ठोस सबूतों से यह सिद्ध हुआ कि आरोपी व्यक्तियों  दिलबाग सिंह एवं गुरबचन सिंह सहित अन्यों ने गुलशन कुमार का उसके घर से अपहरण कर लिया, उसे अवैध हिरासत में रखा और बाद में उसकी हत्या कर दी।
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