गुस्ताखी माफ हरियाणा- पवन कुमार बंसल l

हरियाणा की जनता भाजपा की जन विरोधी नीतियों से परेशान- क्या सी एम इन वेटिंग हुडा, शैलजा और सुरजेवाला की तिगड़ी भाजपा की शतरंजी चाल का मुकाबला कर पाएगी? 

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गुस्ताखी माफ हरियाणा- पवन कुमार बंसल l

हरियाणा की जनता भाजपा की जन विरोधी नीतियों से परेशान- क्या सी एम इन वेटिंग हुडा, शैलजा और सुरजेवाला की तिगड़ी भाजपा की शतरंजी चाल का मुकाबला कर पाएगी? 

मिलिए कांग्रेस की सी एम इन वेटिंग कुमारी शैलजा से  lप्रदेश अध्यक्ष के काबिल नहीं! अयोग्य एवं संकीर्ण सोच एवं आधार विहीन नेता को पार्टी ने तरक्की दे दी.. और राष्ट्रीय महासचिव बना दिया! छत्तीसगढ़ का प्रभार दिया , उनकी कार्यप्रणाली के कारण पार्टी बुरी तरह हार गई ! इसका इनाम यह मिला कि इसे उत्तराखंड का प्रभार दिया ! ये नेता पार्टी एवं हरियाणा में पार्टी को नुकसान पहुंचा रहे हैं और रात को सी एम बन सोते हैं lलगभग पिछले नो वर्षों से हो भाजपा की सरकार जन विरोधी नीतियों पर चल रही है lहरियाणा में विपक्ष के नेताओं ने जनता को राम भरोसे छोड़ दिया lक्या मजदूर , क्या छोटा व्यापारी क्या बेरोजगार युवक l सभी ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं l जातिवाद का बोलबाला है l

जब से हरियाणा में भाजपा ने शासन की बागडोर संभाली है सरकार के प्रति विरोध होना स्वाभाविक है परंतु कांग्रेस पार्टी की जो दुर्दशा पूरे देश में है हरियाणा भी उस से अलग नहीं lहरियाणा में कांग्रेस गुटबाज़ी में से पूर्ण रूप से शिकार है lहरियाणा में कुमारी शैलजा प्रदेशाध्यक्ष होने के बावजूद भी कांग्रेस पार्टी में कोई जान फूंकने में पूर्ण रूप से असमर्थ एवं एस सफल रही थी l

उनके कार्यकाल में हरियाणा में कांग्रेस पार्टी में संगठन के चुनाव नहीं हुए lजिला और ब्लॉक पार्क के कांग्रेस पद ख़ाली पड़े रहे जिसके फलस्वरूप कांग्रेस पार्टी नगर निगम के चुनावों नगर परिषद के चुनावों लिया विधानसभा के उपचुनावों उपचुनाव में कांग्रेस मतदाताओं को अपने साथ नहीं जोड़ पाई lलोकतंत्र को सुचारु रूप से चलाने के लिए सुदृढ़ विपक्ष का होना ज़रूरी होता है परंतु हरियाणा में आज पिछले दशक से कांग्रेस खेमों में बंटी हुई है lकांग्रेस हाईकमान भी इन गुटों के नेताओं को एक मंच पर लाने में बेबस नज़र आती रही है, जिसके कारण 2014 और 2019 के लोक सभा और विधान सभा चुनाव कांग्रेस पार्टी की बुरी तरह हार हुई lहरियाणा कांग्रेस दोबारा अपने वर्चस्व को क़ामयाब नहीं कर पाई l

आज कांग्रेस के बड़े बड़े कह जाने वाले नेता एक दूसरे को राजनीतिक रूप से हम सामाजिक रूप से नीचा दिखाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना छोड़ रहे हैं lऐसे हालातों में हरियाणा में कांग्रेस का भविष्य अधर में लटका है lदुखद पहलू यह है कि केंद्रीय नेतृत्व हरियाणा की कांग्रेस की गुटबाज़ी को दूर करने में क़ामयाब नहीं हो सका lहरियाणा में लगभग केन्द्र द्वारा पिछले एक दशक में दस प्रभारी नियुक्त किए गए लेकिन वो गुटबाजी दूर करने में कामयाब नहीं सके lकांग्रेस की गुटबाज़ी के परिणाम स्वरूप हरियाणा के कई क़द्दावर नेता कांग्रेस पार्टी को छोड़कर अन्य राजनीतिक दलों में चले गए और हरियाणा की गुटबाज़ी फिर भी दूर नहीं हो पाई lहमने भूपेंद्र हुड्डा और एस आर के के गुट का आकलन करने का प्रयास किया है l

आज के आकलन में कुमारी शैलजा की कार्यप्रणाली पर चर्चा करें करेंगे lकुमारी शैलजा ने 90 के दशक में अपने पिता की मृत्यु के पश्चात राजनीति में विरासत को आगे बढ़ाया और 1991 का लोक सभा का चुनाव सिरसा से लड़ा थाl इस चुनाव में शैलजा को पारिवारिक पृष्ठभूमि ,सहानुभूति वोट और अपने पिता की विरासत एवम् कद्दावर नेताओं का समर्थन मिला जिसके कारण चुनाव जीत गई और केंद्र मैं मंत्री बनी lऔर उस समय चुनाव 1,28,829 वोटों से जीता lजब 19 मैं चुनाव हुए तो शैलजा केवल 15, हज़ार100 वोटों से जीत पाई lशैलजा का जनाधार रसातल में जाने वाला है क्योंकि लोगों को जो अपेक्षाएं शैलजा जी से थी वे पूरी नहीं कर पाई lलोगों में असंतोष था और जब 1998 के चुनाव हुए तो शैलजा 93030 वोटों से चुनाव हार हार गई l 1999 के लोक सभा मध्यावधि चुनाव हुए तो उस सामान कांग्रेस पार्टी के जितने भी वफ़ादार कार्यकर्ता थे नेतृत्व था

उन्होंने सभी ने शैलजा को समर्थन देने के लिए मना कर दिया lविरोध इतना हुआ की लोक सभा चुनाव शैलजा ने नहीं लड़ा lऔर नाही दो हज़ार के विधानसभा चुनावों में इन्होंने अपनी भूमिका अदा की! शैलजा कि इस स्थिति इतनी बदतर हो गई की पार्टी में ही इसको कोई पूछने वाला नहीं है lऔर इसी दौरान हरियाणा में चौधरी ओम प्रकाश चौटाला की सरकार बनी है और केंद्र में भाजपा गठबंधन की सरकार बन गई l2004 के लोकसभा चुनाव के समय सिरसा लोक सभा के सभी कार्यकर्ता और नेता शैलजा को किसी क़ीमत पर भी चुनाव लड़वाना के लिए तैयार नहीं थे lलेकिन जोड़ तोड़ की राजनीति ने शैलजा का वक़्त बदला l

केंद्रीय नेतृत्व के आशीर्वाद से जिसमें अहमद पटेल ,जनार्दन द्विवेदी ,अखिल बख़्शी, डॉक्टर मनमोहन सिंह के नजदीकियों ने हरियाणा के कई नेताओं हरपाल सिंह, भूपेंद्र हुड्डा, बिरेन्द्र सिंह , ए सी चौधरी, निर्मल सिंह एवं कई नेताओं ने शैलजा के लिए लॉबिंग की थी इस महिला को दोबारा किसी भी प्रकार से हरियाणा में स्थापित करें lसभी के सामूहिक प्रयासों से यह निर्णय लिया गया कि अंबाला लोक सभा से चुनाव लड़ाया जाए ! वास्तव में यह चुनाव केंद्रीय नेतृत्व ने अपनी टीम के माध्यम से लड़ाया! चुनाव जीतना बहुत आसान बनाया था lउस समय कुमारी शैलजा अंबाला के लिए और यहाँ के कार्यकर्ताओं के लिए बिलकुल अनजान थीं परंतु जिन कार्यकर्ताओं ने नेताओं ने भी कांग्रेस पार्टी के लिए कांग्रेस पार्टी के नेताओं के कहने पर अपने तन मन और धन से पेश की चुनावी जीत सुनिश्चित की ! 2014 में राज्य सभा में चली गई l २०१९ में बुरी तरह हार ↔️342345 वोट सेlपार्टी अध्यक्ष पद से हटा दिया l दुमछला l अब भी लोकसभा चुनाव लडने से बिडक रही है और राहुल गांधी के आशीर्वाद से सी एम बनने का सपना देख रही है l 26 मार्च 2924. गुरुग्राम l

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