अगर बागी भाजपा में तो भाजपा के लोगों का रोष थामना भी चुनौती

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अगर बागी भाजपा में तो भाजपा के लोगों का रोष थामना भी चुनौती

के.एस . तोमर
हिमाचल विधानसभा के अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया द्वारा दल बदल निरोधक कानून के अंतर्गत 28 फरवरी को विधानसभा में पार्टी व्हिप का उल्लंघन करने वाले जिन 6 कांग्रेस विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी थी उन्हें उच्चतम न्यायालय से कोई राहत नहीं मिल पाई है। उच्चतम न्यायालय 6 मई को इस विषय पर गौर करेगा कि क्या इन विधानसभा क्षेत्रों में 1 जून को प्रदेश में होने वाले लोकसभा चुनावों के मतदान के साथ मतदान करवाया जाए या नहीं। चुनाव आयोग इन 6 सीटों को रिक्त मान कर इनके लिए कर चुनाव की घोषणा कर चुका है। के लिए नामांकन 7 मई से आरंभ होंगे चुनाव आयोग ने लोकसभा की सीटे के उपचुनावो को एक साथ करवाने की घोषणा की है।

उच्चतम न्यायालय के इस फैसले का महत्वपूर्ण पहलू यह है कि अगले 49 दिन तक मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार को कोई खतरा नहीं है और उच्चतम न्यायालय की अगली सुनवाई तक सरकार बहुमत में रहेगी।

माना जा रहा है कि भाजपा ने इन सभी निष्कासित विधायकों को देने का भरोसा दिया है, उपचुनाव होने की स्थिति में टिकट देने का भरोषा दिया है लेकिन इससे विधानसभा क्षेत्रों के कर्मठ भाजपा कार्यकर्ताओं में रोष है और पिछले चुनावों में इन क्षेत्र के हारे हुए प्रत्याशी निराश हैं कि उन्हें पुनः मौका नहीं मिलेगा। लेकिन सशक्त हाईकमान के कारण कोई भी विरोध करने का साहस नहीं जुटा पाएगा।

आंकड़ों से समझें
यद्यपि सदन में कांग्रेस विधायकों की संख्या 40 से घट कर 34 रह गई है, लेकिन सदन में विधायकों की संख्या भी अब 62 ही हैं जिस कारण 34 सदस्यों के साथ कांग्रेस अब भी बहुमत में है। उधर, 25 भाजपा सदस्यों के अलावा 3 निर्दलीय विधायकों के समर्थन के बावजूद विपक्ष के पास महज 28 विधायक हैं।

याचिका वापस ले सकते हैं बागी
जानकारों में यह चर्चा जोर पकड़ रही है कि सभी 6 विधायक उच्चतम न्यायालय के समक्ष दायरे अपनी याचिका वापस ले सकते हैं, ताकि उनका भाजपा में शामिल होने का मार्ग प्रशस्त हो सके। इससे उनकी याचिका निरस्त हो जाएगी और चुनाव आयोग द्वारा इन 6 सीटों के लिए उपचुनाव की राह हमवार हो जाएगी भाजपा है तो चुनाव मैदान में उतरेंगे।

अभी हालत अस्थिर
इस समय सभी 6 बर्खास्त विधायक केंद्रीय सुरक्षा बल और हरियाणा पुलिस के संरक्षण में हैं तो भाजपा को हिमाचल में सरकार गिरने के आरोपों से मुक्त नहीं किया जा सकता। इन परिस्थितियों में यदि 6 मई को उच्चतम न्यायालय का फैसला इन 6 विधायकों के पक्ष में जाता है तो इसका असर प्रदेश में भाजपा की राजनीतिक गतिविधियों पर भी पड़ेगा। यह सच्चाई है कि हिमाचल में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल है और जब तक उच्चतम न्यायालय निर्णय नहीं सुनाता, हालात अस्थिर ही रहेंगे। उच्चतम न्यायालय का फैसला विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को भी प्रभावित करेगा।

के.एस . तोमर (राजनीतिक विश्लेषक , राष्ट्रीय स्तंभकार)

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